क्रिकेटर और अंधविश्वास: कामयाबी के लिए सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले आजमाते थे ये 'नुस्खे'

क्रिकेटर और अंधविश्वास: कामयाबी के लिए सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और अनिल कुंबले आजमाते थे ये 'नुस्खे'

Sachin Tendulkar हमेशा अपने बाएं पैर का पैड पहले पहनते थे

खास बातें

  • बाएं पैर का पैड पहले बांधते थे सचिन तेंदुलकर
  • बॉलिंग के समय कुंबले की कैप-स्वेटर सचिन अंपायर को देते थे
  • मोहिंदर अमरनाथ लाल रुमाल को अपने लिए मानते थे लकी
नई दिल्ली:

Superstitious Cricketers: क्रिकेट जैसे खेल को भारत में धर्म समझा जाता है और खिलाड़ियों को भगवान. इसका कारण खिलाड़ियों के द्वारा किया गया प्रदर्शन होता है जिसके दम पर वह अपनी टीम को जीत दिलाते हैं और खुद भी नाम कमाते हैं. लेकिन कई बार खिलाड़ी इस 'अच्छे प्रदर्शन' के लिए मेहनत, काबिलियत के अलावा कई तरह के टोटकों और अंधविश्वास पर भी निर्भर रहते हैं. कोई खास रंग और नंबर को अपने साथ रखना पसंद करता है तो कोई अपनी पसंदीदा चीजों को साथ लेकर चलना चाहते हैं ताकि उन्हें असुरक्षा की भावना नहीं आए और वह अपने इन टोटकों से अच्छे प्रदर्शन का विश्वास हासिल कर सकें. सचिन तेंदुलकर हों, विराट कोहली, राहुल द्रविड़ या फिर अनिल कुंबले, हर खिलाड़ी का क्रिकेट को लेकर कुछ न कुछ 'खास टोटका' रहा.

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क्रिकेट में 'भगवान' का दर्जा पाने वाले सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar)सचिन बल्लेबाजी के लिए जाने से पहले खास तरह का पैटर्न फॉलो करते थे. सचिन हमेशा अपने बाएं पैर में पहले पैड पहनते थे,क्योंकि खेल के भगवान को लगता है कि इससे वह मैदान पर अच्छा करेंगे. इसी तरह 2011 वर्ल्डकप से पहले सचिन ने अपना पसंदीदा बल्ला भी ठीक करवाया था जिसे वो लकी मानते थे. सचिन को अपना आदर्श मानने वाले विराट कोहली भी लंबे समय तक क्रिकेट को लेकर अंधविश्वास से घिरे रहे. कोहली ने जब रनों का अंबार लगाने की शुरुआत की थी, तब उन्होंने जो ग्लव्स पहने थे, कोहली (Virat Kohli) लंबे समय तक उन्हें ही दोहराते रहे क्योंकि उन्हें लगता था कि इन्ही ग्लव्स के दम पर उनके बल्ले से रन निकल रहे हैं. एक समय के बाद जब उन्हें यह अहसास हो गया कि उनकी प्रतिभा इस अंधविश्वास से कहीं ज्यादा ताकतवर है तो उन्होंने इससे छुटकारा पा लिया. सचिन जहां पहले बाएं पैर में पैड पहनना पसंद करते थे वहीं उनके साथी और भारत के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ (Rahul Dravid)ठीक सचिन से उल्टा दाएं पैर में थाईपैड पहनना पसंद करते थे. अंधविश्वास के कारण राहुल कभी भी मैच में नए बल्ले से नहीं खेलते थे. हम सभी जानते हैं कि द्रविड़ को दीवार कहा जाता था.



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सचिन और राहुल के साथी अनिल कुंबले (Anil Kumble) भी अपने करियर में एक समय इससे पीछे नहीं रहे. कुंबले ने ऐतिहासिक फिरोजशाह कोटला मैदान पर पाकिस्तान के खिलाफ एक टेस्ट मैच की एक पारी में पूरे 10 विकेट लिए थे. इस मैच में कुंबले जब भी गेंदबाजी करने जाते थे,तो सचिन को अपनी कैप और स्वेटर देते थे. आमतौर पर गेंदबाज गेंदबाजी करने से पहले अपने सभी सामना चाहे वो कैप हो, स्वेटर हो या चश्मा, गेंदबाजी छोर पर खड़े अंपायर को देता है, लेकिन कुंबले ने उस मैच में सचिन को दिए थे. भारत के पूर्व हरफनमौला खिलाड़ी मोहिंदर अमरनाथ और उनके 'लाल रुमाल' का किस्सा भी काफी प्रचलित है. 1983 के वर्ल्डकप के फाइनल में मैन ऑफ द मैच अमरनाथ मैदान पर जब भी फील्डिंग करने जाते थे तो वह अपनी जेब में लाल रुमाल रखते थे.

सौरव गांगुली (Sourabh Ganguly)और महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni)से पहले भारत के सबसे सफल और चतुर कप्तान माने जाने वाले मोहम्मद अजहरुद्दीन भी टोटके आजमाने से पीछे नहीं रहे थे. उनके गले में डाला ताबीज इसकी गवाही था जिसे इस दिग्गज बल्लेबाज ने कभी नहीं उतारा. फील्डिंग के दौरान कई बार अजहर को यह ताबीज चूमते हुए भी देखा जा सकता था, लेकिन खास बात यह थी कि अजहर जब भी बल्लेबाजी करने आते थे, तो वह अपने इस ताबीज को टी-शर्ट के बाहर ही रखते थे.

भारत रीति-रिवाजों और मान्यताओं का देश है ऐसे में यहां के कई खिलाड़ी इसी तरह के टोटकों और अंधविश्वास में भी विश्वास रखते हैं तो इसमें कोई हैरानी वाली बात नहीं होती, लेकिन जब विदेशी खिलाड़ी इस तरह के टोटकों के साथ मैदान पर कदम रखते हैं तो थोड़ा अजीब जरूर लगता है. दुनिया के सबसे सफल कप्तानों में गिने जाने वाले आस्ट्रेलिया के स्टीव वॉ भी अमरनाथ की तरह लाल रुमाल रखकर चलते थे. स्टीव को यह रुमाल उनकी दादी ने दिया था और उन्हें लगता था कि दादी का यह आशीर्वाद उनके लिए भाग्यशाली है. श्रीलंका के दिग्गज बल्लबाजों में शुमार महेला जयवर्धने बल्लेबाजी करते हुए कई बार अपने बल्ले को चूमते थे. यह उनकी मान्यता का हिस्सा था. उन्हें लगता था कि यह उनके लिए अच्छा साबित होगा.

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