विराट कोहली के 'प्रोटोकॉल' तोड़ने को CoA ने बताया अभिव्यक्ति की आजादी

विराट कोहली के 'प्रोटोकॉल' तोड़ने को CoA ने बताया अभिव्यक्ति की आजादी

Virat Kohli ने कोच के तौर पर रवि शास्‍त्री के पक्ष में ही राय जताई है

खास बातें

  • CoA प्रमुख बोले थे, कोच चयन प्रक्रिया में नहीं होगा कप्‍तान का रोल
  • कोच के लिए रवि शास्‍त्री को अपनी पसंद बता चुके हैं कोहली
  • सीओए के सदस्‍य ने कहा, विराट ने केवल अपनी राय जताई
नई दिल्‍ली:

भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) के कोच के चयन के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई है. कपिलदेव, अंशुमन गायकवाड़ और शांता रंगास्‍वामी की तीन सदस्‍यीय समिति टीम के अगले कोच का चयन करेगी. मौजूदा कोच रवि शास्‍त्री के अलावा, भारत के पूर्व क्रिकेटर लालचंद राजपूत और ऑस्‍ट्रेलिया के टॉम मूडी सहित कुछ अन्‍य पूर्व क्रिकेटर कोच पद की रेस में हैं. भारतीय क्रिकेट टीम के मुख्य कोच को लेकर जब आवेदन मांगे गए थे तब प्रशासकों की समिति (CoA) के अध्यक्ष विनोद राय ने साफ कहा था कि इस प्रक्रिया में कप्तान की भूमिका नहीं होगी. दूसरी तरफ, वेस्टइंडीज दौरे पर रवाना होने से पहले कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli)ने कोच पद के लिए अपनी पसंद को खुलेआम जाहिर कर दिया था. उन्‍होंने कहा था कि यदि मौजूदा कोच रवि शास्‍त्री को बरकरार रखा जाता है तो उन्‍हें (कोहली को) खुशी होगी.कोहली के अपनी पसंद के साफ इजहार के बाद सीओए ने कहा है कि कप्तान एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं ऐसे में उन्हें अपनी बात रखने का अधिकार है.

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सीओए (CoA)के एक सदस्य ने कहा कि कोहली लोकतांत्रिक देश में रहते हैं और उन्हें बोलने से नहीं रोका जा सकता. जब उनसे पूछा गया कि क्या कप्तान का रवि शास्त्री के साथ अपने संबंधों के बारे में बात करना तीन सदस्यीय क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के लिए एक तरह का इशारा है? इस पर सीओए सदस्य ने कहा कि ऐसा नहीं है. इस सदस्य ने कहा, "यह उनका विचार है और उन्होंने इसे जाहिर किया है. यह लोकतांत्रिक देश है इसलिए हम किसी को कुछ भी कहने से नहीं रोक सकते. क्यों हर व्यक्ति का हर शब्द मायने रखता है? वह टीम के कप्तान हो सकते हैं, लेकिन सीएसी भी है और कोच की नियुक्ति को लेकर फैसला उसे लेना है।"


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इस सदस्य ने कहा, "करोड़ों लोग इस देश में रह रहे हैं और आप हर किसी को उसकी बात रखने से नहीं रोक सकते. यह देखना होगा कि सीएसी कोहली के बयान को किस तरह से लेती है। हर किसी का चीजें करने का अपना एक तरीका होता है." दिलचस्प बात यह है कि तब दूसरे खिलाड़ियों की बात आती है तो उन्हें मीडिया से बात करने के इजाजत नहीं दी जाती. यही बात बीसीसीआई के अधिकारियों पर लागू होती है जिन्हें जवाब देने के लिए मंजूरी लेने की जरूरत होती है.

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इससे फिर एक बार सवाल पैदा होता है कि क्या अलग लोगों के लिए अलग नियम हैं. भारत के पूर्व कप्तान सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar)ने हाल में कहा था कि किस तरह राष्ट्रीय चयनकर्ताओं को अपने कदम कई बार पीछे लेने पड़ते हैं. गावस्कर ने वेस्‍टइंडीज दौरे के लिए विराट कोहली (Virat Kohli)के स्‍वाभाविक चयन को लेकर सवाल उठाए थे और एमएसके नेतृत्‍व वाली चयन समिति को कमजोर बताया था. उन्‍होंने कहा था कि इससे एक सवाल पैदा होता है कि क्या कोहली अपनी मर्जी से कप्तान हैं या चयनकर्ताओं की मर्जी से. भारत की वर्तमान चयनसमिति पर दूरदर्शी नहीं होने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन चयन समिति प्रमुख एमएसके प्रसाद (MSK Prasad)इससे सहमत नहीं है. उन्‍होंने कहा कि अगर ऐसा होता तो जसप्रीत बुमराह (Jasprit Bumrah)टेस्ट स्तर पर शानदार प्रदर्शन नहीं कर पाते और हार्दिक पंड्या (Hardik Pandya) जैसा खिलाड़ी टी20 से उभरकर टेस्ट क्रिकेटर नहीं बन पाता. (इनपुट: IANS)

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