India vs Bangladesh: ईडन गार्डंस पर डे-नाइट टेस्ट में यह बात बनेगी बांग्लादेश टीम के लिए चिंता का कारण..

India vs Bangladesh: ईडन गार्डंस पर डे-नाइट टेस्ट में यह बात बनेगी बांग्लादेश टीम के लिए चिंता का कारण..

कोलकाता का Eden Gardens भारत में होने वाले पहले डे-नाइट टेस्ट मैच की मेजबानी करेगा

खास बातें

  • इस डे-नाइट टेस्ट में परेशानी का कारण सकती है ओस
  • ऐसे में पिच पर हो सकती है अधिक घास, आउटफील्ड पर कम
  • पिच पर ज्यादा घास होने से तेज गेंदबाजों को मिलेगी मदद

India vs Bangladesh, Day-Night Test: भारत में डे-नाइट टेस्ट मैच के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) तैयार है. कोलकाता का मशहूर ईडन गार्डंस  (Eden Gardens) भारत और बांग्लादेश (India vs Bangladesh) के बीच डे-नाइट टेस्ट की मेजबानी करेगा. भारत में होने वाला यह पहला डे-नाइट टेस्ट होगा. भाग लेने वाले दोनों देश भी पहली बार डे-नाइट टेस्ट खेलेंगे. डे-नाइट टेस्ट में ओस परेशानी का कारण बन सकती है. पूर्व मुख्य क्यूरेटर दलजीत सिंह ने अगले महीने भारत में होने वाले पहले डे-नाइट टेस्ट (Day-Night Test) के दौरान विकेट पर अधिक घास रखने और ओस से बचने के लिये आउटफील्ड पर कम घास रखने की सलाह दी है. विकेट पर अधिक घास होने से तेज गेंदबाजों को मदद मिलेगी और ऐसे में मोहम्मद शमी, उमेश यादव जैसे रफ्तार के सौदागर बांग्लादेशी बल्लेबाजी की 'कठिन परीक्षा' ले सकते हैं. वैसे भी तमीम इकबाल और शाकिब अल हसन की गैरमौजूदगी के कारण बांग्लादेश की बल्लेबाजी कमजोर हो गई है. शाकिब पर आईसीसी ने दो साल का बैन लगाया है जबकि तमीम निजी कारणों के चलते भारत दौरे से हट गए हैं.बीसीसीआई और बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (बीसीबी) ने ईडन गार्डन्स में 22 नवंबर से शुरू होने वाले टेस्ट मैच को गुलाबी गेंद से खेलने पर सहमति जताई है.

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बंगाल क्रिकेट संघ (कैब) को गुलाबी गेंद से मैचों के आयोजन का अनुभव है. भारतीय क्रिकेट में 22 साल तक सेवा देने के बाद बीसीसीआई के मुख्य क्यूरेटर पद से पिछले महीने सेवानिवृत होने वाले दलजीत ने कहा, ‘ओस मुख्य चिंता होगी. इसमें कोई संदेह नहीं. उन्हें समझना होगा कि आप इससे बच नहीं सकते हो.' दलजीत ने कहा, ‘इससे बचाव के लिये आउटफील्ड में घास कम रखनी होगी और पिच पर आम घास से अधिक लंबी घास रखनी पड़ेगी. आउटफील्ड में जितनी अधिक घास होगी, ओस की परेशानी उतनी ज्यादा होगी.' इस मैच के दोपहर बाद एक बजकर 30 मिनट से शुरू होने की संभावना है और खेल रात आठ बजकर 30 मिनट तक चल सकता है. दलजीत का मानना है कि गुलाबी गेंद की चमक लंबे समय तक बनाये रखने के लिये पिच पर अधिक घास रखनी होगी. उन्होंने और उनकी टीम ने 2016 में दलीप ट्रॉफी टूर्नामेंट के दौरान ऐसा किया था जब मैच ग्रेटर नोएडा में दूधिया रोशनी में खेले गए थे.


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उन्होंने कहा, ‘गुलाबी गेंद जल्दी गंदी हो जाती है और इसलिए उन्हें पिच पर अधिक घास रखनी होगी. आपको याद होगा जबकि एडिलेड में (2017 में) पहला डे-नाइट टेस्ट मैच खेला गया था तो उन्होंने पिच पर 11 मिमी घास रखी थी. आपको इतनी घास को तैयार करना होगा. आप मैच के एक दिन पहले इसे नहीं काट सकते या फिर पिच धीमी खेलेगी.' दलजीत ने कहा, ‘(दलीप ट्रॉफी मैचों के दौरान) ओस एक मसला था, गेंद वास्तव में गंदी हो जाती थी. पिच पर सात मिमी घास थी जबकि अमूमन घास 2.5 से चार मिमी लंबी होती है. घास लंबी होने का मतलब है कि गेंद बहुत अधिक सीम करेगी.' एक अन्य क्यूरेटर ने गोपनीयता की शर्त पर मैच से दो तीन दिन पहले से आउटफील्ड की घास पर पानी न डालने की सलाह दी.

उन्होंने कहा, ‘ओस मसला होगा लेकिन तब बहुत अधिक ठंड नहीं रहेगी. सुपरसोपर्स के अलावा ओस से निबटने में उपयोगी रसायनों का उपयोग किया जा सकता है. आउटफील्ड में काफी घास काटनी होगी. मैच से दो दिन पहले पानी डालना बंद करना होगा क्योंकि इससे नमी बन जाएगी.' उन्होंने कहा, ‘आउटफील्ड में हम अमूमन सात से आठ मिमी घास रखते हैं लेकिन डे-नाइट टेस्ट के लिए यह छह मिमी रखी जा सकती है. इससे आप ओस का प्रभाव कम कर सकते हैं लेकिन आप प्राकृतिक परिस्थितियों से पूरी तरह नहीं निबट सकते हो.'

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