विराट कोहली बोले, 'सचिन तेंदुलकर हमेशा से मेरे लिए प्रेरणा रहे, उनकी तरह बनना चाहता था'

विराट कोहली बोले, 'सचिन तेंदुलकर हमेशा से मेरे लिए प्रेरणा रहे, उनकी तरह बनना चाहता था'

Sachin Tendulkar बचपन से ही Virat Kohli के आदर्श रहे हैं (फाइल फोटो)

खास बातें

  • एक वेब शो में विराट कोहली ने कही यह बात
  • सचिन जिस तरह से बैटिंग करते थे, वह सबसे अलग थी
  • टीवी के सामने बैठकर उनकी बैटिंग का इंतजार करता था
नई दिल्ली:

बल्ले से लगातार प्रभावशाली प्रदर्शन के कारण टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli)की तुलना मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर से की जा रही है. हालांकि विराट हमेशा से इस तुलना से दूरी बनाते रहे हैं. उन्होंने कहा है कि सचिन (Sachin Tendulkar)के साथ उनकी तुलना का कोई सवाल ही नहीं है. विराट ने कहा है कि सचिन उनके बचपन के हीरो थे. विराट ने कहा है कि सचिन हमेशा से ही उनके लिए प्रेरणा रहे हैं और वे उनकी ही तरह बनना चाहते थे.

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कोहली (Virat Kohli) ने एक वेब शो ‘इन डेप्थ विद ग्राहम बेनसिंगर' में कहा, 'मैंने कभी भी इस बात को छुपाने की कोशिश नहीं की कि मैं अपने शुरुआती दिनों से ही सचिन की तरह बनना चाहता था. उन्होंने कहा कि सचिन ने अपने खेल कौशल की दम पर मैदान पर जो कुछ किया, वह जिस तरह से बल्लेबाजी करते थे वो बाकी सभी से अलग थी और इसी बात ने मुझे प्रभावित किया.' मौजूदा कप्तान ने कहा, “मैं हमेशा कहता था कि यह काफी अलग है और उनका खेल मुझे इतना अच्छा लगता था कि मैं अपनी आंखें नहीं हटा पाता था. कोहली ने कहा कि ऐसा कोई भी मैच जिसमें सचिन (Sachin Tendulkar) खेलते थे, के शुरू होने से पहले मैं दुकान पर जाता और चिप्स वगैरह खरीद कर टीवी से सामने बैठकर उनकी बल्लेबाजी का इंतजार करता था. उनकी बल्लेबाजी को देखना भरपूर मजा देने वाला होता था. मैं हमेशा लोगों से यही कहता था कि मैं सचिन की तरह बनना चाहता हूं.'


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विराट कोहली (Virat Kohli) को मौजूदा समय के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में एक माना जाता है. उन्होंने कहा, “मुझे एक चीज याद है कि जब मैं मैच देखता था और भारतीय टीम लक्ष्य का पीछा करते हुए हार जाती थी तो मैं सोते समय यह सोचता था कि अगर मैं उस स्थिति में होता तो मैं मैच जिता ले जाता और ऐसा मेरे करियर में अभी तक कई बार हो चुका है. मैं इस तरह के मैचों का हिस्सा रहा हूं और टीम को कई बार जीत तक ले गया हूं.' टीम इंडिया के कप्तान ने कहा कि जब भी वे जब वे बल्लेबाजी के लिए जाते थे तो विपक्षी खिलाड़ियों के मन में उनको (विराट के) लेकर कोई खौफ या सम्मान का भाव नहीं होता था, इस बात में मुझे अपने कौशल को ऊंचे स्तर पर ले जाने के लिए प्रेरित किया.

उन्होंने कहा कि मैं इस तरह से मैदान पर नहीं जाना चाहता कि विपक्षी में मन में यह भाव आए कि यह शख्स तो कमजोर है और कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता. मैं ऐसा खिलाड़ी बनना चाहता था जो मैदान पर पहुंचे तो विपक्षी टीम सोच कि हमें इसे आउट करना है वरना हम मैच हार जाएंगे और यदि मैं ऐसा शख्स नहीं बन पाता हूं तो मेरी मानसिकता में कुछ गड़बड़ है. फिटनेस को लेकर कोहली (Virat Kohli) का जुनून ऐसा है कि इसने टीम इंडिया के रवैया और मानसिकता को बदल दिया है. कोहली के अनुसार, वर्ष 2012 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के बाद मुझे इस बदलाव की जरूरत महसूस हुई, इस दौरे में टीम इंडिया को 0-4 की करारी हार का सामना करना पड़ा था. उन्होंने कहा जब हम 2012 के ऑस्ट्रेलिया दौरे से लौटे तो मैंने अपनी और ऑस्ट्रेलियाई टीम के फर्क महसूस किया. मैंने महसूस किया कि यदि हमने अपने खेलने का तरीका, ट्रेनिंग और खानपान में बदलाव नहीं क्या तो दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीमों का मुकाबला नहीं कर सकते.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)