पाकिस्‍तानी क्रिकेट के हित में कई बार 'हिटलर' की तरह पेश आए थे इमरान खान, 9 खास बातें

पाकिस्‍तानी क्रिकेट के हित में कई बार 'हिटलर' की तरह पेश आए थे इमरान खान, 9 खास बातें

अनुशासनहीन पाकिस्‍तान क्रिकेट टीम को एकजुट करने में इमरान खान की अहम भूमिका रही

क्रिकेट के मैदान पर सफलता के परचम लहराने के बाद इमरान खान अब पाकिस्‍तानी सियासत का शीर्ष पद संभालने के लिए तैयार हैं. पाकिस्‍तान के चुनावों में इमरान की पाकिस्‍तान तहरीक-ए- इंसाफ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और इमरान का मुल्‍क के प्रधानमंत्री का पद संभालना लगभग तय है. इमरान को पाकिस्‍तान के सर्वकालीन महान क्रिकेटर माना जा सकता है. बेशक पाकिस्‍तान में हनीफ मोहम्‍मद, जावेद मियांदाद और जहीर अब्‍बास जैसे नामी क्रिकेटर हुए लेकिन इनमें से किसी का भी कद ऐसा नहीं था कि इमरान को टक्‍कर दे सके. गबरू पठान इमरान ने अपनी कप्‍तानी में पाकिस्‍तानी क्रिकेट टीम को नई ऊंचाई पर पहुंचाया. खास बात यह है कि इस दौरान उन्‍होंने क्रिकेट में हित में अपने मन की चलाई और पाकिस्‍तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के पदाधिकारियों और चयनकर्ताओं से भिड़ने से भी नहीं चूके. दूसरे शब्‍दों में कहें तो पाकिस्‍तानी क्रिकेट के हित में वे कई बार तानाशाह हिटलर की तरह पेश आए. यही कारण था कि उन्‍हें साथी खिलाड़ि‍यों का भरपूर सम्‍मान हासिल हुआ. इमरान की लोकप्रियता और दृढ़ निश्‍चय को बयान करती 9 खास बातें...

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1. कप्‍तान रहते हुए इमरान खान का टीम के हर खिलाड़ी पर जबर्दस्‍त खौफ रहता था. वे अच्‍छा प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ि‍यों की जमकर तारीफ करते थे, वहीं खराब प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ि‍यों को कड़ी फटकार लगाने से नहीं चूकते थे. पाकिस्‍तान टीम में उनके साथ खेले एक क्रिकेटर के अनुसार, इमरान का रुतबा इस कदर था कि किसी खिलाड़ी से कैच छूटता था तो ड्रिंक्‍स के समय इस महान हरफनमौला के आसपास भी नहीं फटकता था. उसे डर रहता था कि कैच ड्रॉप करने के लिए इमरान भाई कहीं उसे सबके सामने फटकार न लगा दें.


2. वर्ष 1987 के वर्ल्‍डकप के बाद इमरान खान ने क्रिकेट से संन्‍यास लेने की घोषणा कर दी थी. उनकी इस घोषणा से तो पाकिस्‍तान में मानो भूचाल आ गया था. क्रिकेटप्रेमियों की ओर से उनसे संन्‍यास नहीं लेने की अपील की गई. कुछ जगह तो युवाओं ने भूख हड़ताल शुरू की दी. इमरान खान के संन्‍यास के फैसले को वापस लेने के लिए लोगों का दबाव इतना था कि राजनेताओं को भी इसमें दखल देना पड़ा. उन्‍हें संन्‍यास का फैसला वापस लेने के लिए मनाया गया.

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3. पाकिस्‍तान ही नहीं, दुनिया के सर्वश्रेष्‍ठ गेंदबाजों में शुमार वसीम अकरम ने इमरान से जुड़ा एक वाकया शेयर किया. अकरम ने बताया कि इंटरनेशनल करियर के शुरुआती दौर में मैं एक इंटरनेशनल मैच खेल रहा था. विपक्षी टीम के बल्‍लेबाज आक्रामक अंदाज में बैटिंग करते हुए रन बना रहे थे. इमरान ने मुझे यॉर्कर फेंकने को कहा लेकिन यॉर्कर फेंकने में चूक के कारण मेरी लगभग हर गेंद फुलटॉस हो रही थी जिसका विपक्षी बल्‍लेबाज पूरा लाभ ले रहे थे. इमरान को गुस्‍सा आ गया. उन्‍होंने नेट पर मुझे केवल यॉर्कर फेंकने का अभ्‍यास करने का फरमान सुना डाला. इमरान के इस डांट के कारण अकरम ने जल्‍द ही यॉर्कर फेंकने में महारत हासिल कर ली.

4. पाकिस्‍तान टीम के कप्‍तान रहते हुए इमरान ने पूरी 'दबंगई' दिखाई. एक बार पाकिस्‍तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी) के एक पदाधिकारी बिना किसी पूर्व सूचना के मैच के दौरान पाकिस्‍तानी ड्रेसिंगरूम में पहुंच गए तो इमरान ने उनकी जमकर खबर ली. इमरान ने दोटूक लहजे में इस पदाधिकारी को इस तरह ड्रेसिंग रूम में नहीं आने की हिदायत दे डाली थी.

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5. कप्‍तान के तौर पर इमरान खान को साहस भरे फैसले लेने के लिए जाना जाता था. वर्ष 1986-87 में पाकिस्‍तान की टीम भारत में टेस्‍ट सीरीज खेलने आई थी. मनिंदर सिंह, गोपाल शर्मा और शिवलाल यादव जैसे स्पिनर सीरीज में अच्‍छा प्रदर्शन कर रहे थे. ऐसे में इमरान खान को पाकिस्‍तानी टीम में एक अच्‍छे बाएं हाथ के बल्‍लेबाज की कमी महसूस हुई. इमरान ने पीसीबी पर दबाव बनाते हुए बीच सीरीज में बाएं हाथ के बल्‍लेबाज यूनुस अहमद को टीम में शामिल कराया. भारतीय स्पिन गेंदबाजी की धार को कुंद करने के लिए इंग्‍लैंड में काउंटी क्रिकेट खेल रहे 40 वर्षीय यूनुस इस सीरीज में खेलने के लिए भारत पहुंचे. यूनुस ने उस सीरीज में दो टेस्‍ट खेले और तीन पारियों में एक बार नाबाद रहते हुए 44 के औसत से 88 रन बनाए. इमरान किसी भी खिलाड़ी की प्रतिभा को बहुत जल्‍दी परख लेते थे.

6. प्रतिभावान लेकिन अनुशासनहीन पाकिस्‍तान टीम को इमरान खान ने अपनी कप्‍तानी के दौरान एकजुट किया. यही कारण रहा कि उनके कप्‍तानी में टीम में लगातार सफलताएं अर्जित कीं. वसीम अकरम और वकार यूनुस को रिवर्स स्विंग का बादशाह कहा जाता था लेकिन उन्‍हें यह कला इमरान ने ही सिखाई. अकरम और वकार को विश्‍वस्‍तरीय गेंदबाज बनाने में इमरान के टिप्‍स का भी खास योगदान रहा. इमरान से पहले सरफराज नवाज को भी रिवर्स स्विंग कराने में महारत थी. हालांकि संन्‍यास के बाद इमरान ने एक बार स्‍वीकार किया था कि उन्‍होंने एकाध मौके पर गेंद को अधिक स्विंग/रिवर्स स्विंग कराने के लिए बॉल टैम्‍परिंग भी की थी.

7. इमरान ने जिस भी खिलाड़ी में प्रतिभा देखी, उसे पाकिस्‍तान टीम में शामिल कराने के लिए पीसीबी पर दबाव बनाया. एक दिन टीवी पर घरेलू मैच देखते हुए इमरान ने युवा तेज गेंदबाज को देखा. उन्होंने पीसीबी अधिकारियों से उसके बारे में पता करने को कहा. वह लड़का वकार युनूस था. इंजमाम उल हक को इमरान ने ऐसे समय पाकिस्‍तान की टीमें स्‍थान दिलाया जब उन्‍होंने बहुत ज्‍यादा प्रथम श्रेणी मैच भी नहीं खेले थे. इंजमाम ने 1992 के वर्ल्‍डकप में पाकिस्‍तान के लिए कई लाजवाब पारियां खेलीं. इमरान का यहां तक मानना था कि तेज गेंदबाजी का सामना करने में इंजमाम, सचिन तेंदुलकर से भी बेहतर हैं. इमरान ने जिन युवा खिलाड़ि‍यों को पाकिस्‍तान टीम में स्‍थान दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी थी, उनकी पाकिस्‍तान को वर्ल्‍ड चैंपियन बनाने में अहम भूमिका रही.

8. वसीम अकरम को पाकिस्‍तान टीम के लिए चुने जाने की याद ताजा करते हुए इमरान ने एक बार बताया था कि पाकिस्तान के बल्लेबाजों को अभ्यास कराने के लिए नेट्स पर क्रिकेट क्लबों से सिलेक्टेड गेंदबाजों को बुलाया था. पाकिस्तान की टीम न्यूजीलैंड के खिलाफ मुकाबले की तैयारियां कर रही थी. नेट्स के दौरान वसीम अकरम दूसरे गेंदबाजों की तुलना में काफी अच्‍छी गेंदबाजी कर रहे थे. इमरान ने वसीम के टेलैंट को खास माना और चयनकर्ताओं को उन्‍हें पाकिस्‍तान टीम में चुनने के लिए मजबूर कर दिया.

वीडियो: इमरान खान पाकिस्तान के नए 'कप्तान'

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9. इमरान ने अपने क्रिकेट करियर के दौरान तीन लक्ष्‍य तय किए थे-भारत के खिलाफ भारत में ही टेस्‍ट सीरीज जीतना, इंग्‍लैंड के खिलाफ इंग्‍लैंड में ही सीरीज जीतना और पाकिस्‍तान को वर्ल्‍डकप चैंपियन बनाना. यह इमरान की इच्‍छाशक्ति का कमाल था कि वे तीनों लक्ष्‍य पूरा करने में सफल रहे. वे जो बात ठान लेते थे, उसे पूरा करके रहते थे.