
टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) ने अपने करियर से जुड़ी अपनी सबसे शर्मिंदगी वाली घटना से जुड़ी याद ताजा की है. वर्ष 2012 के ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान विराट को दर्शकों को बीच की उंगली दिखाते हुए कैमरे पर पकड़ा गया था. बीच की उंगली दिखाने को अभद्र इशारे के रूप में देखा जाता है. विराट ने दर्शकों की लगातार छींटाकशी से खफा होकर ऐसा किया था. वर्ष 2012 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) पर खेले गए दूसरे टेस्ट मैच के दौरान विराट ने यह आक्रामक प्रतिक्रिया जताई थी. इस व्यवहार के लिए विराट उस सीरीज के मैच रैफरी रंजन मदुगले ने विराट को अपने कमरे में बुलाकर स्पष्टीकरण मांगा था.
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विज्डन क्रिकेट मंथली से बात करते हुए विराट ने उस घटना से जुड़ी यादें शेयर कीं. विराट ने कहा, 'मुझे एक बात याद है कि जब सिडनी (in 2012) में ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों ने अति कर दी थी तब मैंने उन्हें बीच की उंगली दिखाने का फैसला किया था.' उन्होंने कहा कि मैच रैफरी रंजन मदुगले ने अगले दिन मुझे अपने रूम में बुलाया था और मेरी प्रतिक्रिया कुछ इस अंदाज में थी 'क्या गड़बड़ हो गई'. विराट के अनुसार, 'रैफरी ने पूछा-बाउंड्री पर कल क्या हुआ था. जवाब में मैंने कहा-कुछ नहीं, यह केवल एक चुहलबाजी की तरह था. इसके बाद उन्होंने (मदुगले ने) मेरी ओर अखबार फेंका और उसमें पहले पेज पर मेरी बड़ी तस्वीर थी. मैंने कहा-मैं बेहद शर्मिंदा हूं, प्लीज मुझे बैन मत करिये. मदुगले शानदार व्यक्ति थे. वे समझते थे कि मैं युवा हूं और ऐसी चीजें हो जाती है. इस घटना के बाद कोहली ने एक ट्वीट भी पोस्ट किया था. इस दौरान कोहली ने अपने बचपन के कोच राजकुमार शर्मा के उनके खेल को तराशने में दिए गए योगदान को याद किया.
i agree cricketers dont have to retaliate. what when the crowd says the worst things about your mother and sister. the worst ive heard
— Virat Kohli (@imVkohli) January 4, 2012
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विराट ने बताया, 'मेरे कोच राजकुमार शर्मा बाहर से चीजों को देखते थे. मेरे परिवार के बाद वे मुझे सबसे ज्यादा अच्छी तरह समझते थे इसका कारण यह है कि मैं उनसे कई सालों तक जुड़ा रहा हूं. मेरे परिवार को जब भी उन्हें ऐसा लगता था कि मैं सही रास्ते पर नहीं हो तो वे मुझे इसके लिए टोकते थे.' उन्होंने कहा कि मेरे प्रति बेहद सख्त थे. यदि मैं कुछ गलत कर रहा हूं तो वे यह सुनिश्चित करते थे कि इसे किसी भी तरह से ठीक किया जाए. जब मैं बड़ा हो रहा था तो वे इकलौते ऐसे शख्स थे जिनसे मैं डरता था. मैं जब उनकी अकादमी में गया तब केवल नौ वर्ष का था. अभी भी मैं उनसे अपने खेल के बारे में बात करता हूं.
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