रवि शास्त्री के चयन के बाद सीएसी ने बीसीसीआई के सामने रखी नई मांग, लेकिन...

रवि शास्त्री के चयन के बाद सीएसी ने बीसीसीआई के सामने रखी नई मांग, लेकिन...

रवि शास्त्री की फाइल फोटो

खास बातें

  • कपिल देव की अध्यक्षता वाली सीएसी ने किया शास्त्री का चयन
  • सीएसी का उड़ रहा है सोशल मीडिया पर मजाक
  • बीसीसीआई पूरी कर पाएगा सीएसी की मांग ?
नई दिल्ली:

पूरा क्रिकेटर जगत हाल ही में टीम इंडिया (Team India) के कोच चयन प्रक्रिया की जमकर मजाक उड़ा रहा है, आलोचना कर रहा है, लेकिन इससे शायद न तो बीसीसीआई (BCCI) और न ही क्रिकेट  सलाहकार कमेटी (सीएसी) पर कोई असर पड़ता दिखाई दे रहा है. इससे बेपरवाह कपिल देव (Kapil Dev) की अध्यक्षता वाली सीएसी ने एक अलग ही मांग कर डाली है. कपिल देव  (Kapil Dev) के अलावा पूर्व भारतीय क्रिकेटर अंशुमन गायकवाड और शांता रंगास्वामी सीएसी की सदस्य हैं. इसी कमेटी ने टीम इंडिया (Team India)के नए कोच के रूप में रवि शास्त्री (Ravi Shastri is appointed again head coach) का चयन किया. 

ध्यान दिला दें कि सीएसी को सिर्फ हेड कोच को चुनने की जिम्मेदारी बीसीसीआई ने दी थी, लेकिन अब यह कमेटी ज्यादा अधिकार चाहती है. सीएसी चाहती है कि उसे सपोर्ट स्टॉफ को चुनने की प्रक्रिया में भी शामिल किया जाए. बोर्ड ने यह अधिकार फिलहाल सेलेक्शन कमेटी को दिया हुआ है. बोर्ड के एक कार्यकारी ने पुष्टि करते हुए कहा, "कपिल देव और उनकी टीम ने सीओए को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने टीम के सपोर्ट स्टाफ चुनने की प्रक्रिया में शामिल होने की इच्छा जताई है. 

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अधिकारी ने कहा कि हालांकि यह पूरी तरह से सीओए पर निर्भर है कि वह सीएसी को यह मौका देते हैं या नहीं, क्योंकि बीसीसीआई के संविधान में यह स्पष्ट है कि चयनकर्ता ही स्पोर्ट स्टाफ का चयन करेंगे. ऐसी उम्मीद थी कि सीएसी केवल मुख्य कोच का ही चयन करेंगे" यह पूछे जाने पर कि तो फिर ऐसी स्थिति में क्या होगा, कार्यकारी ने कहा, "ठीक है. आपके पास हमेशा मार्गदर्शन की संभावना हो सकती है. यह सब अब सीओए पर निर्भर है, जिन्हें सोमवार से सपोर्ट स्टाफ के चयन की प्रक्रिया शुरू करनी करनी है" 

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उन्होंने कहा, "संविधान के खिलाफ जाना सीओए के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है क्योंकि उनके पास नया संविधान रजिस्टर्ड है. निश्चित रूप से आने वाला समय काफी दिलचस्प होने वाला है." सीएसी के प्रमुख कपिल ने शुक्रवार को कहा था, "हां, वहां भी हमारी राय ली जानी चाहिए. अगर आप मुझ से पूछेंगे तो हमने सहयोगी सदस्यों के चयन प्रकिया के बारे में बोर्ड को प्रस्ताव भेजा है. 

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कपिल ने कहा कि अगर हम वह काम नहीं करेंगे तो यह सही नहीं होगा. यह हमने सीओए से कहा है कि हम उस नियुक्ति का भी हिस्सा होना चाहते हैं". बहरहाल, कपिल देव की मांग अपनी जगह है और बीसीसीआई के नए संविधान की शर्तें अपनी जगह. जाहिर है कि संविधान के उलट जाना बोर्ड के लिए असंभव सरीखा होगा और बोर्ड कुछ भी ऐसी मांग मानकर खुद को मुश्किल में नहीं ही डालना चाहेगा.