
विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप (World Boxing Championship) में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने अमित पंघाल ने कहा है कि उन्हें लंबे कद के मुक्केबाजों के खिलाफ खेलने में कोई परेशानी नहीं है. यह साल पंघल के लिए अब तक काफी शानदार रहा है. उन्होंने इस साल अप्रैल में 52 किग्रा के ओलिंपिक कांस्य पदक विजेता हु जिंगुआन को हराकर एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था और अब वह विश्व मुक्केबाजी चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष मुक्केबाज बने हैं. पंघाल ने लाइट फ्लाइवेट के 48 किलोग्राम भार वर्ग में पिछले साल एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. लेकिन ओलिंपिक में 48 किग्रा भार वर्ग नहीं होने के कारण पंघाल ने उसके बाद 52 किग्रा वर्ग में उतने का फैसला किया क्योंकि 52 किग्रा एक ओलिंपिक भार वर्ग है.
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— Amit Panghal (@Boxerpanghal) September 23, 2019
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पंघाल ने रूस के एकातेरिनबर्ग में सम्पन्न हुई विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिन में भाग लेकर स्वदेश लौटने के बाद सोमवार को कहा, "मैंने हमेशा लंबे मुक्केबाजों के साथ अभ्यास किया है. 52 किग्रा में मैं हमेशा छोटा रहता हूं. मैंने अपने से लंबे मुक्केबाज के खिलाफ भी खेला है." उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी ताकत और पॉवर में और ज्यादा सुधार करने की जरूरत है. उन्हें फाइनल में रियो ओलिंम्पिक-2016 में स्वर्ण जीतने वाले उज्बेकिस्तान के शाखोबिदीन जोइरोव से 0-5 से हार का सामना करना पड़ा.
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पंघाल ने कहा, "मुझे लगता है कि अभी मुझे अपनी ताकत और पॉवर पर और ज्यादा काम करने की जरूरत है. मैंने इसलिए ही 48 किग्रा से 52 किग्रा में खेलने का फैसला किया था. उज्बेकिस्तान के मुक्केबाज काफी मजबूत हैं. फाइनल में मेरा प्रतिद्वंद्वी ओलिंपिक चैंपियन था. मैंने अपना शतप्रतिशत दिया, लेकिन अभी भी कुछ चीजों में सुधार की जरूरत है." पंघाल सेमीफाइनल में अपने से कहीं लंबे कजाकिस्तान के साकेन बिबोसीनोव से भिड़े थे. उन्होंने कहा, "मैं अपने प्रतिद्वंद्वी के जितना करीब हो सके, रहने की कोशिश करता हूं क्योंकि इससे मुझे उनके अधूरे घूंसे को रोकने में मदद मिलती है. इसके बाद मैं अपने मुक्कों को ठीक से लगा सकता हूं और अगर ऐसा होता है तो फिर विरोधी मुक्केबाज अनियंत्रित हो जाता है"
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पंघाल को अब अगले महीने चीन के वुहान में होने वाले सैन्य विश्व खेलों में हिस्सा लेना हैं. उन्होंने कहा, "मैं उन लोगों के खिलाफ मुकाबला करूंगा, जिनका सामना मैं यहां नहीं कर सकता क्योंकि उनमें से ज्यादातर मुक्केबाज सेना में हैं. ओलिंपिक क्वालीफायर में खेलने के लिए यहां का अनुभव काफी काम आएगा."
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं