महान फुटबॉलर माराडोना का 60 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. माराडोना अपने बेहतरीन खेल और विवादों के लिए जाने जाते थे.
वर्ल्ड कप 1986 माराडोना के नाम था. उनके नाम 5 गोल और इतने ही असिस्ट थे, जिनकी बदौलत अर्जेंटीना ने मैक्सिको में 1986 विश्व कप ट्रॉफी जीती थी.
1986 वर्ल्ड कप क्वार्टर-फाइनल में माराडोना ने मिडफील्ड से बॉल लेकर आधी इंग्लैंड टीम को छकाते हुए शानदार गोल किया, जिसे गोल ऑफ द सेंचुरी माना जाता है.
लीग कप 1983 में बार्सिलोना के लिए माराडोना ने इतना शानदार प्रदर्शन किया कि चिर-प्रतिद्वंदी टीम रियाल मैड्रिड के फैन्स नतमस्तक हो गए थे.
1985 में माराडोना इटैलियन क्लब नापोली से जुड़े थे. करिश्माई खेल से उन्होंने क्लब का भाग्य बदल दिया और टीम ने दो लीग खिताब सहित पांच टाइटल जीते.
सेमीफाइनल में अर्जेंटीना का सामना इटली से हुआ था. इस मैच में होम-फेवरेट इटली के फैन्स माराडोना का नाम पुकार रहे थे. यह मुकाबला अर्जेंटीना जीता था.
1998 में उनके जन्मदिन पर इग्लेसिया माराडोनियाना (माराडोना का चर्च) की स्थापना हुई थी. रिपोर्ट्स के अनुसार इस चर्च में 10 साल बाद 1,20,000 लोग जुड़े थे.
2000 में उन्हें फीफा ने ब्राज़ील के महान पेले के साथ प्लेयर ऑफ द सेंचुरी अवार्ड भी दिया था. हालांकि पेले के साथ अवार्ड बांटने पर उन्होंने रोष जताया था.
मारोडोना का विवादों से कुछ ऐसा गहरा नाता रहा कि किसी न किसी वजह से वह अक्सर सुर्खियों में आ जाते थे. एक नज़र उनसे जुड़े कुछ विवादों पर
1986 वर्ल्ड कप क्वार्टर-फाइनल में माराडोना ने एक विवादित गोल किया. यह गोल 'हैंड ऑफ गॉड' के नाम से मशहूर हुआ, क्योंकि इसे हाथ की मदद से किया गया था.
1991 में माराडोना के जीवन में नशे और ड्रग्स ने भी जगह ले ली थी, जिस वजह से 1991 और 1994 में उन पर डोपिंग बैन लगे थे.
माराडोना पर इटली के अधिकारियों ने टैक्स चोरी के भी आरोप लगाए थे. 2013 में इटली की सरकार के अनुसार उन पर 39 मिलियन यूरो का बकाया था.
1994 में उन्होंने एक पत्रकार पर एयर राइफल से गोली चला दी थी. कोर्ट ने उन्हें 2 साल और 10 महीने की सज़ा सुनाई थी.
2018 वर्ल्ड कप के एक मैच के दौरान माराडोना सिगार के कश लगा रहे थे, जबकि रूस में मैचों के आयोजन स्थल पर सिगार, सिगरेट का इस्तेमाल करना गैरकानूनी था.
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