
PR Sreejesh: भारतीय हॉकी टीम (Indian Hockey Team) की दीवार माने जाने वाले दिग्गज गोलकीपर पीआर श्रीजेश ने संन्यास का ऐलान कर दिया है. इस बार भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने में सफलता हासिल की. भारत के ब्रॉन्ज जीतने में पीआर श्रीजेश (PR Sreejesh India Goalkeeper) की भूमिका काफी अहम रही. श्रीजेश मैचों के दौरान दीवार बनकर खड़े रहे और आखिर में भारतीय हॉकी टीम को ब्रॉन्ज मेडल दिला दिया. अब पीआर श्रीजेश हॉकी टीम से अलग हो गए हैं पीआर श्रीजेश के बेहतरीन परफॉर्मेंस के कारण ही भारतीय हॉकी टीम एक बार फिर से अपनी स्वर्णिम युग में लौटने में सफल रही है. लेकिन अब श्रीजेश ने भारतीय हॉकी टीम में गोलकीपर की जगह खाली कर दी है.
ऐसे में अब सवाल उठता है कि उनकी जगह अब गोलकीपर की भूमिका में कौन होगा. पीआर श्रीजेश पिछले कई सालों से भारत के लिए लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है अब उनकी जगह भरना बहुत काफी मुश्किल होने वाला है. लेकिन आपको बता दें कि भारत के पास 4 ऐसे विकल्प हैं जो आने वाले समय में भारतीय हॉकी टीम में गोलकीप की भूमिका में नजर आने वाले हैं.
कृष्णा बहादुर पाठक
गोल कीपर कृष्णा बहादुर पाठक अब गोलकीप की भूमिका में नजर आने वाले हैं. कृष्णा बहादुर पाठक ने साल 2023 में होंगझोक एशियाई खेलों में भारतीय हॉकी टीम में सेकेंड गोलकीपर के तौर पर अहम भूमिका निभाई थी, जिसके चलते वहां भारतीय टीम गोल्ड मेडल जीतने में सफल रही थी. अगले महीने होने वाली एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी में पाठक पहली बार किसी टूर्नामेंट में पहली पसंद के गोलकीपर के रूप में उतर सकते हैं. बता दें कि पिछले दो ओलंपिक में हॉकी टीम के साथ रिजर्व गोलकीपर के रूप में कृष्णा मौजूद थे. बता दें कि कृष्ण बहादुर पाठक का जन्म 24 अप्रैल 1997 को पंजाब के कपूरथला में हुआ था. उनकी जर्नी भी काफी संघर्ष भरी रही है. जब कृष्णा 12 साल के थे तो उनकी मां का निधन हो गया था.

Photo Credit: Krishan B Pathak Insta
अपने जीवन के शुरुआत में ही मुश्किल समय देखने वाले कृष्णा को हॉकी में कोई दिलचस्पी नहीं थी. लेकिन जालंधर स्पोर्ट्स हॉस्टल में रहने के दौरान उनकी दिलचस्पी हॉकी में बढ़ी, समय के साथ कोचों ने उनमें क्षमता को पहचानना शुरू किया और फिर उन्हें हॉकी में ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया था. इसके बाद साल 2016 में जब कृष्णा टीम में आने वाले थे उसी दौरान उनके पिता का निधन हो गया था. लेकिन इसके बाद भी कृष्णा ने हिम्मत नहीं हारी और अपने सपने को साकार करने की कोशिश करते रहे. सीनियर टीम में उनका पदार्पण साल 2018 में हुआ.
साल 2018 में आयोजित पुरुष हॉकी चैंपियन ट्रॉफी में, वह रिजर्व गोलकीपर के रूप में खेले और भारत ने उस टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल जीतने में कामयाबी पाई थी. वह साल 2018 एशियाई खेलों में भारतीय टीम का भी हिस्सा थे. श्रीजेश के साथ रहकर कृष्णा ने गोलकीपिंग की उन बारिकियों पर काम किया जो उनके लिए काफी अहम थी. अब जब श्रीजेश ने संन्यास ले लिया है तो कृष्णा बहादुर पाठक भारत के नए विकेटकीपर के रूप में नजर आएंगे.
सूरज करकेरा और मोहित होनेनहल्ली भी विकल्प के तौर पर मौजूद
पाठक के बाद दूसरे विकल्प के रूप में भारत के पास 28 वर्षीय सूरज करकेरा का विकल्प है, जिन्होंने 43 इंटरनेशनल मैच खेले हैं, और 19 साल के मोहित होनेनहल्ली , जो सीनियर टीम का हिस्सा रहे हैं, लेकिन अभी तक डेब्यू नहीं कर पाए हैं. पिछले चक्र में कम इस्तेमाल किए गए पवन भी विकल्प गोलकीपर के तौर पर अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं. सूरज करकेरा ने अबतक 43 इंटरनेशनल मैच खेले हैं, साल 2007 में सूरज ने इंटरनेशनल हॉकी में अपना डेब्यू किया था. सूरज ने अबतक कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में गोलकीपकर की भूमिका में थे. इसके अलावा FIH हॉकी 5s विश्व कप ओमान 2024 और हीरो एशिया कप 2022, जकार्ता मे भी खेले खे थे.

सूरज करकेरा की तस्वीर
पवन मलिक भी कतार में
जब श्रीजेश को चोट के दौरान कुछ समय के लिए आराम मिला, या जब पाठक की शादी हुई, तब ज्यादातर सूरज या पवन गोलकीपर के तौर पर खेले थे. उन्होंने अपनी गोलकीपिंग क्षमता से साबित किया है कि वो आने वाले समय में भारतीय हॉकी में गोलकीपर की भूमिका के साथ न्याय कर सकते हैं. वे दोनों पूरी तरह से अलग गोलकीपर हैं. सूरज, पाठक की तरह है..अधिक शांत, अधिक लाइन पर खड़े रहने वाले गोलकीपर हैं तो वहीं, पवन, श्रीजेश की तरह है, बहुत ऊर्जावान, हमेशा बात करते रहने वाले.
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