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This Article is From May 23, 2022

Video: "लड़कियां भी बॉक्सिंग कर सकती हैं" ये साबित कर चाहती थी, निकहत जरीन ने NDTV से खास बातचीत में कहा

निकहत जरीन ने इस्तांबुल में हुए विश्व महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप के फाइनल में थाईलैंड की जिटपॉग जुतामास को 5-0 से एकतरफा हराकर स्वर्ण पदक जीता है. वह यह कारनामा करने वाली पांचवीं भारतीय महिला बॉक्सर हैं.

Video: "लड़कियां भी बॉक्सिंग कर सकती हैं" ये साबित कर चाहती थी, निकहत जरीन ने NDTV से खास बातचीत में कहा
निकहत जरीन ने NDTV को कहा स्पेशल थैंक्स

भारत की निकहत जरीन ने पिछले सप्ताह वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप (World Boxing Championship) के 52 किलो भार वर्ग में गोल्ड मेडल जीतकर ऐसा करने वाली देश की पांचवी महिला मुक्केबाज होने का गौरव हासिल किया. जरीन (Nikhat Zareen) की इस शानदार उपलब्धि के बाद स्वदेश वापस लौटने पर उनका भव्य स्वागत हुआ. चैंपियन बॉक्सर ने सोमवार को NDTV के स्टूडियो में कई मुद्दों पर अपने दिल की बात कही. स्टार मुक्केबाज ने चैनल के साथ अपने पिछले इंटरव्यू के रिस्पांस में सलमान खान (Salman Khan) के ट्वीट पर अपनी भावनाएं सामने रखी. 

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सलमान खान के बधाई ट्वीट के बारे में पूछे जाने पर निकहत जरीन ने कहा, "मैं आप सभी का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं. मैं फिर से कहना चाहूंगी कि वो मेरे भाई नहीं हैं. उनका ट्वीट देखने के बाद मेरे हाथ कांप रहे थे."

खुद को सलमान का बहुत बड़ा फैन कहने वाली निकहत ने आगे कहा, "जब मैं टाइप कर रही थी, मेरे हाथ कांप रहे थे और मैं भावुक हो गई. सलमान खान के उस ट्वीट ने मेरा दिन बना दिया."

इससे पहले एथलेटिक्स में भाग लेने वाली 25 वर्षीय खिलाड़ी ने बॉक्सिंग में अपनी शुरुआत के बारे में भी बताया.

उन्होंने कहा, "बॉक्सिंग में आने से पहले मैं एथलेटिक्स में थी. 100 और 200 मीटर मेरे इवेंट थे. जैसा कि उस जिले में कोई उचित सुविधा और कोच नहीं थे, तो मरे पिता ने मुझे ट्रेन किया. मैं लड़कियों को हर खेल में देखती थी, सिर्फ बॉक्सिंग के अलावा."

निकहत ने गर्व के साथ कहा, "मैंने अपने पिता से पूछा, बॉक्सिंग में ज्यादा लड़कियां क्यों नहीं है. उन्होंने मुझसे कहा कि बॉक्सिंग में भी लड़कियां होती है लेकिन हमारे समाज में बॉक्सिंग जैसे खेल के लिए लड़कियों को कमजोर माना जाता है. अपने बचपन से ही में जिद्दी और टॉम बॉय की तरह थी. कोई मुझे लड़की की तरह नहीं देखता था क्योंकि मैं ज्यादातर लड़कों की तरह बर्ताव करती थी. मैंने उस बात को चुनौती की तरह लिया और फैसला किया कि मैं समाज की इस मानसिकता को बदल दुंगी कि हम लड़कीयां भी ऐसे स्पोर्ट को चुन सकती है. इसके बाद मैंने अपने पिता के साथ मिलकर ये फैसला किया कि मैं बॉक्सिंग करुंगी."

उन्होंने रिंग से बाहर होने पर पूरी तरह से अलग व्यक्ति होने की बात भी कही. निकहत ने कहा, "मेरे दो अलग व्यक्तित्व हैं. रिंग के अंदर मैं बेहद गंभीर, शांत और संयमित होती हूं और लक्ष्य पर केंद्रित हूं. रिंग के बाहर मैं एक बच्चे की तरह हूं. मैं हर तरह का खाना खाना चाहती हूं, शॉपिंग करना और रील बनाना चाहती हूं." 

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निकहत जरीन ने इस्तांबुल में हुए विश्व महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप के फाइनल में थाईलैंड की जिटपॉग जुतामास को 5-0 से एकतरफा हराकर स्वर्ण पदक जीता है. वह यह कारनामा करने वाली पांचवीं भारतीय महिला बॉक्सर हैं. फाइनल बाउट में जजों ने 30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 29-28 से भारतीय मुक्केबाज के पक्ष में वोट किया. ये मैरी कॉम द्वारा साल 2008 में जीते गोल्ड के बाद भारत का पहला स्वर्ण पदक भी है.

उनसे पहले मैरी कॉम ने रिकॉर्ड 6 बार (2002, 2005, 2006, 2008, 2010, 2018) विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता है. इसके अलावा सरिता देवी (2006), जेनी आर.एल (2006) और लेख के.सी (2006) ने इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में स्वर्ण जीतने का काम किया है.

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