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This Article is From Aug 02, 2024

Neeraj Chopra At Paris Olympics 2024: एक सेकंड में चोट लगने का खतरा', जानें जैवलिन थ्रो की बारीकियां और रोमांचक तथ्य

Paris Olympic 2024: पेरिस ओलंपिक में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) भारत के लिए पदक की सबसे बड़ी उम्मीद हैं. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में एथलेटिक्स में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रचा था.

Neeraj Chopra At Paris Olympics 2024: एक सेकंड में चोट लगने का खतरा', जानें जैवलिन थ्रो की बारीकियां और रोमांचक तथ्य
What is Javelin throw, Neeraj Chopra

Paris Olympic 2024: पेरिस ओलंपिक में नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) भारत के लिए पदक की सबसे बड़ी उम्मीद हैं. उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में एथलेटिक्स में भारत को गोल्ड मेडल दिलाकर इतिहास रचा था.  नीरज की तैयारियों को देखते हुए उनसे पेरिस में भी एक दमदार थ्रो की उम्मीद की जा रही है. नीरज चोपड़ा जैवलिन थ्रो के जिस खेल से आते हैं, वहां शारीरिक दमखम के अलावा सटीक तकनीक की भी जरूरत है. पेरिस ओलंपिक में शिरकत से पहले नीरज चोपड़ा ने जैवलिन थ्रो (Javelin throw) की बारीकियों के बारे में बताया है. जिस भाले को देखकर हमें उसके भारी वजन का अनुमान लगता हैं, वह असल में 800 ग्राम का ही होता है. हवा में 80-90 मीटर तक तैरने वाले इस भाला को फेंकने का तरीका भी काफी टेक्निकल है. इस भाले को तीन तरह की ग्रिप से पकड़ा जा सकता है. नीरज चोपड़ा इस भाले को जिस ग्रिप से पकड़ते हैं, वह 'फिनिश ग्रिप' कही जाती है.

भाले को दो और तरह की ग्रिप के साथ पकड़ा जा सकता है- 'वी ग्रिप' जिसको काफी कम भाला फेंक खिलाड़ी इस्तेमाल करते हैं और दूसरी 'अमेरिकन ग्रिप' जो भाला फेंक के शुरुआती खिलाड़ियों में काफी प्रचलित है. यह सबसे आसान ग्रिप मानी जाती है. भाला फेंकने में शरीर की बायोमैकेनिक्स पर काफी ध्यान दिया जाता है. भाला भले ही हाथ से पकड़कर फेंका जाता है, लेकिन यह कितनी दूर जाएगा, इसमें असली खेल पैरों की ताकत का होता है। भाला फेंकने में मात्र 40 प्रतिशत पावर ही शरीर के ऊपरी हिस्से (अपर बॉडी) से ली जाती है, जबकि 60 प्रतिशत पावर लोअर बॉडी, यानी पैरों से हासिल की जाती है. पैरों में गति और स्थिरता, यह दो ऐसे फैक्टर हैं, जिनके बिना भाले को इतनी दूर नहीं भेजा जा सकता.

भाला फेंकने की प्रक्रिया में शुरुआत पैरों से ही होती है, और रफ्तार के बाद जब खिलाड़ी स्थिर होता है तो फ्रंट फुट से पावर जेनरेट होती है. फ्रंट फुट के स्थिर होने के बाद जब खिलाड़ी भाला फेंकना शुरू करता है, तब शरीर ऊपरी हिस्सा रोटेट होकर एक्शन में आता है. भाला फेंकने के दौरान खिलाड़ी के लिए मोमेंटम को नहीं रोकना बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस दौरान खिलाड़ी के लिए लाइन से पहले रुकने की चुनौती भी होती है. नीरज चोपड़ा के अनुसार इसी एक सेकंड के दौरान चोट लगने की सबसे ज्यादा संभावना होती है. नीरज चोपड़ा ने यह जानकारी जियो सिनेमा पर भारत के पूर्व विकेटकीपर बल्लेबाज दिनेश कार्तिक से बातचीत के दौरान दी.

नीरज चोपड़ा के सर्वश्रेष्ठ थ्रो

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