'उड़नपरी' पीटी उषा ने बताया, इस कारण लॉस एंजिलिस ओलिंपिक में मेडल जीतने से चूकी थी....

'उड़नपरी' पीटी उषा ने बताया, इस कारण लॉस एंजिलिस ओलिंपिक में मेडल जीतने से चूकी थी....

पीटी उषा की गिनती देश की महान एथलीटों में की जाती है (फाइल फोटो)

खास बातें

  • कहा, खाने को मिला था चावल के दलिये और अचार
  • इस कारण दौड़ के आखिरी मिनट में ऊर्जा नहीं रह पाई
  • सेकंड के सौवें हिस्‍से से कांस्‍य पदक चूकी थीं उषा
नई दिल्‍ली:

लॉस एंजिलिस ओलिंपिक में सेकंड के सौवें हिस्‍से से पदक जीतने से वंचित रही भारत की 'उड़नपरी' पीटी उषा ने अपनी पुरानी यादें ताजा की हैं. उषा ने बताया कि बताया कि वर्ष 1984 के लॉस एंजिलिस ओलिंपिक के दौरान उन्हें खेलगांव में खाने के लिये चावल के दलिये के साथ अचार पर निर्भर रहना पड़ा था. उषा के अनुसार, बिना पोषक आहार के खाने से उन्हें कांस्य पदक गंवाना पड़ा था. भारत की इस मशहूर एथलीट ने कहा,‘इससे मेरे प्रदर्शन पर असर पड़ा और अपनी दौड़ के आखिरी 35 मीटर में मेरी ऊर्जा बनी नहीं रह सकी.’

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गौरतलब है कि उषा 400 मीटर बाधादौड़ के फाइनल में रोमानिया की क्रिस्टियाना कोजोकारू के साथ ही तीसरे स्थान पर पहुंची थी लेकिन निर्णायक लैप में वह पीछे रह गई. उषा ने इक्वाटोर लाइन मैगजीन को दिये इंटरव्यू में कहा,‘हम दूसरे देशों के खिलाड़ियों को ईर्ष्‍या के साथ देखते थे जिनके पास पूरी सुविधायें थीं. हम सोचते थे कि काश एक दिन हमें भी ऐसी ही सुविधायें मिलेंगी.’उन्होंने कहा,‘मुझे याद है कि केरल में हम उस अचार को कादू मंगा अचार कहते हैं. मैं भुने हुए आलू या आधा उबला चिकन नहीं खा सकती थी. हमें किसी ने नहीं बताया था कि लॉस एंजिलिस ओलिंपिक में अमेरिकी खाना मिलेगा. मुझे चावल का दलिया खाना पड़ा और कोई पोषक आहार नहीं मिलता था. इससे मेरे प्रदर्शन पर असर पड़ा और आखिरी 35 मीटर में ऊर्जा का वह स्तर बरकरार नहीं रहा. मुझे पदक गंवाना पड़ा.’


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उषा ने अपने 18 साल के एथलेटिक्‍स करियर में भारत के लिये कई पदक जीते और अब अपनी कोचिंग अकादमी चलाती हैं. उन्होंने कहा कि उनका सपना किसी भारतीय धावक को ओलिंपिक में पदक जीतते देखना है. उन्होंने कहा,‘मेरा पूरा जीवन ही उसी लक्ष्य पर केंद्रित है. उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स में हम उदीयमान एथलीटों को वे सुविधायें देते हैं जो हमें नहीं मिल सकीं. अभी 18 लड़कियां यहां अभ्यास कर रही हैं.’  (इनपुट: एजेंसी)