हिमा दास बोलीं, नेशनल डोपिंगरोधी एजेंसी की निगरानी सूची में होना मेरे लिए समस्या नहीं

हिमा दास बोलीं, नेशनल डोपिंगरोधी एजेंसी की निगरानी सूची में होना मेरे लिए समस्या नहीं

हिमा दास अंडर-20 वर्ल्‍ड एथलेटिक्‍स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं (फाइल फोटो)

खास बातें

  • कहा, यह मेरे अच्‍छे एथलीट होने का संकेत है
  • नाडा ने उन्‍हें पंजीकृत परीक्षण सूची में रखा
  • वर्ल्‍ड चैंपियनशिप में गोल्‍ड जीत चुकी हैं हिमा
नई दिल्‍ली:

भारत की मशहूर एथलीट हिमा दास (Hima Das) ने इस कदम का स्वागत किया कि राष्ट्रीय डोपिंगरोधी एजेंसी (NADA) उनकी कड़ी निगरानी कर रहा है. हिमा ने नाडा की इस पहल का स्‍वागत करते हुए कहा कि यह उनके अच्छी एथलीट होने के संकेत हैं. रिपोर्टों के अनुसार,  यूनिसेफ की युवा दूत नियुक्त की गई हिमा को नाडा ने अपने ‘पंजीकृत परीक्षण सूची' में शीर्ष वर्ग में रखा है. इसके तहत इस 18 वर्षीय एथलीट का लगातार प्रतियोगिता के दौरान और प्रतियोगिता से इतर परीक्षण किया जा सकता है.

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असम के गरीब परिवार से निकलकर भारतीय एथलेटिक्‍स जगत में चकाचौंध बिखरने वाली हिमा ने कहा, ‘जो भी नियम हैं हमें उनका अनुसरण करना होगा. मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है. अच्छे एथलीटों के साथ यह आम बात है. यह अच्छे एथलीटों के फायदे के लिये ही है.' एशियाई खेलों में चार गुणा 400 मीटर महिला रिले में स्वर्ण और फिनलैंड में अंडर-20 विश्व चैंपियनशिप में ऐतिहासिक स्वर्ण पदक जीतने वाली हिमा को यूनिसेफ ने भारत की पहली युवा दूत नियुक्त किया है.


वीडियो: एथलीट दुती चंद से खास बातचीत

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 हिमा ने कहा कि उनका लक्ष्य अपने समय में लगातार सुधार करना है। उन्होंने कहा, ‘मैं पदकों के लिये नहीं दौड़ती. मैं अपना समय बेहतर करने के लिये दौड़ती हूं. मैं अपने समय में सुधार करने पर ध्यान देती हूं. 'गौरतलब है कि हिमा असम के  धिंग गांव की रहने वाली हैं. वह अभी सिर्फ 18 साल की हैं. वे एक साधारण किसान परिवार से आती हैं. उनके पिता चावल की खेती करते हैं. वह परिवार के 6 बच्चों में सबसे छोटी हैं. हिमा पहले लड़कों के साथ फुटबॉल खेलती थीं और एक स्ट्राइकर के तौर पर अपनी पहचान बनाना चाहती थीं. उन्‍होंने 2 साल पहले ही रेसिंग ट्रैक पर कदम रखा था. उनके पास पैसों की उनके थी, लेकिन कोच ने उन्हें ट्रेन कर मुकाम हासिल करने में मदद की. (इनपुट: PTI)