पारंपरिक भैंसा दौड़ में श्रीनिवास गौड़ा का रिकॉर्ड बहुत जल्दी टूट गया है
खास बातें
- निशांत शेट्टी ने श्रीनिवास गौड़ा का रिकॉर्ड तोड़ा
- उन्होंने 9.51 सेकंड में तय की 100 मीटर की दूरी
- भैंसों की लगाम हाथ में होने से मिलती है गति, दर्ज होता है अच्छा समय
मंगलुरू: एक अन्य कम्बाला धावक (Kambala runner)ने कर्नाटक में पारंपरिक भैंसा दौड़ के दौरान 100 मीटर दूरी रिकार्ड 9.51 सेकेंड में तय करके श्रीनिवास गौड़ा (Srinivas Gowda) के समय में सुधार किया जो हाल में इस दौड़ में शानदार प्रदर्शन करके सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने हुए थे. श्रीनिवास गौड़ा पारंपरिक भैंसा दौड़ के दौरान 9.55 सेकंड में 100 मीटर की दूरी तय करके इसकदर चर्चाओं के केंद्र बन गए थे कि उन्हें 'भारत का उसेन बोल्ट' तक कहा जाने लगा था. बहरहाल, एक अन्य धावक द्वारा 9.51 सेकंड में दूरी तय करने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि इस रेस में अच्छा समय दर्ज कराने में भैंसों की भी अहम भूमिका होती है.
खेल मंत्री किरन रिजिजू ने 'भारत के उसैन बोल्ट' को ट्रॉयल के लिए बुलाया
आयोजकों ने कहा कि बजागोली जोगीबेट्ट्रू के रहने वाले निशांत शेट्टी (Nishant Shetty)ने रविवार को वेणूर कम्बाला के दौरान 28 साल के गौड़ा का रिकार्ड तोड़ा. कम्बाला के आयोजकों ने बताया कि शेट्टी सहित चार प्रतिभागियों ने 100 मीटर की दौड़ 10 सेकेंड से कम समय में पूरी की है. शेट्टी के अलावा इरुवाथुर आनंद (9.57 सेकेंड), अकेरी सुरेश शेट्टी (9.57 सेकेंड) और श्रीनिवास गौड़ा (9.55 सेकेंड) ने दौड़ पूरी करने के लिए 10 सेकेंड से कम का समय लिया. आनंद और सुरेश शेट्टी ने भी उसकी वेणूर कम्बाला दौड़ में हिस्सा लिया जिसमें निशांत ने बाजी मारी.
एक फरवरी को गौड़ा ने मंगलुरू के समीप एकाला गांव में कम्बाला दौड़ के दौरान सिर्फ 13.62 सेकंड में 142.5 मीटर की दौड़ लगायी थी. उन्होंने पहले 100 मीटर की दूरी सिर्फ 9.55 मीटर में तय की जिसके बाद उनकी तुलना कई बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता उसेन बोल्ट (India's Usain Bolt)से होने लगी जिनका 100 मीटर में वर्ल्ड रिकार्ड 9.58 सेकेंड का है. इसके बाद वह सोशल मीडिया पर छा गए थे. कम्बाला आयोजकों ने कहा कि रविवार को शेट्टी ने 143 मीटर की दौड़ 13.61 सेकेंड में पूरी की जिसके हिसाब से उन्होंने 100 मीटर दौड़ 9.51 सेकेंड में पूरी की. कर्नाटक सरकार को गौड़ा को उनकी उपलब्धि के लिए सम्मानित भी किया था. कम्बाला वार्षिक दौड़ है जिसका आयोजन कर्नाटक में किया जाता है. इस दौड़ में लोग अपनी भैसों के साथ धान के खेतों में 142 मीटर की दूरी तय करते हैं. इस दौड़ के दौरान धावकों के हाथ में भैंसों की लगाम होती है जिससे स्पष्ट है कि इस समय में जानवरों की भी अहम भूमिका होती है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)