Aahna singh ने इंटरनेशनल किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप में दो सिल्वर मेडल जीते
खास बातें
- आहना सिंह ने दो श्रेणियों में सिल्वर मेडल जीता
- फाइनल में कोरिया की खिलाड़ी से हारीं
- बिना किसी सरकारी मदद के टूर्नामेंट में लिया भाग
नई दिल्ली: "मैं लड़की हूं पर कमजोर नहीं हूं" यह कहना है 11 साल की आहना सिंह का. आहना ने बैंकॉक में आयोजित किक बॉक्सिंग चैंपियनशिप में दो कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता है. इस मुकाम तक वे बहुत मुश्किल से पहुंची हैं. पहले सिलीगुड़ी में जिला स्तर पर जीत हासिल की. इसके बाद कोलकाता में नेशनल चैंपियनशीप में बाजी मारी तब जाकर उसका चयन इंटरनेशनल चैंपियनशिप के लिए हुआ. बैकॉक में आहना ने ऑस्ट्रेलिय समेत तीन देशों की लड़कियों को हराया. फाइनल में कोरिया की खिलाड़ी से हार गईं और सिल्वर से ही संतोष करना पड़ा.
इस बार आहना बेशक गोल्ड से चूक गईं, लेकिन अगली बार ज़र्मनी में होने वाली चैंपियनशिप में कोई कसर छोड़ने का इरादा नहीं है. आहना के मुताबिक,उसे अपने भारतीय होने का बेहद गर्व हुआ जब बैंकाक में उसके जीतने पर 'भारत माता की जय' के नारे लगे. बैंकॉक में किक बॉक्सिंग गेम में तिरंगा फहराने में आहना के पिता को काफी पापड़ बेलने पड़े हैं. लाख कोशिशों के बावजूद कहीं से एक पैसे की मदद नहीं मिली. राज्य सरकार को चिट्ठी लिखी, किक बॉक्सिंग एसोसिएशन को अनुरोध किया पर कोई मदद के लिये सामने नहीं आया. अपने पैसे से बेटी को बैंकॉक लेकर गए और फिर बेटी ने जो किया वो इतिहास बन गया. आहना ने दो साल पहले ही इस गेम में हाथ आजमाया और आज वो अपने कैटेगरी में नेशनल चैंपियन हैं.
किक बॉक्सिंग एक तरह का मार्शल आर्ट्स है जो कराटे और बॉक्सिंग से मिलकर बना है. ये एक सेल्फ डिफेंस मार्शल आर्ट है जो जापान, यूरोप, रूस आदि में काफी लोकप्रिय है. भारत में इसकी ख्याति फिलहाल उत्तर पूर्वी राज्यों तक ही सीमित है. आहना बार्डर सिक्युरिटी फोर्स में कमांडेट एके सिंह की बेटी हैं जिनका कहना है कि वो खुद बॉक्सिंग में जिला स्तर के खिलाड़ी रह चुके है पर वो आगे नहीं खेल पाए. उन्हें खुशी है कि उनकी बेटी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का प्रतिनिधित्व कर रही है.