
पूर्व भारतीय हॉकी कप्तान सरदार सिंह ने अपने चमकदार करियर को अलविदा कहने का फैसला किया है. सरदार ने कहा कि पिछले 12 साल में वह काफी हॉकी खेल चुके हैं और अब युवाओं के लिये जिम्मेदारी लेने का समय आ गया है. सरदार ने कहा कि उन्होंने एशियाई खेलों में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद यह फैसला किया जिसमें भारत अपने खिताब का बचाव करने में असफल रहा और उसे कांस्य पदक के साथ संतोष करना पड़ा. सरदार की उम्र भी बढ़ रही है और अब उनके खेल में पहले जैसी फुर्ती देखने को नहीं मिलती जिससे एशियाई खेलों के दौरान उनके प्रदर्शन की काफी आलोचना हुई. भारतीय हॉकी टीम के इस पूर्व कप्तान ने कहा, ‘हां, मैंने अंतरराष्ट्रीय हॉकी से संन्यास लेने का फैसला किया है. मैंने अपने करियर में काफी हॉकी खेली है. 12 साल का समय बहुत लंबा होता है. अब भविष्य की पीढ़ी का जिम्मेदारी संभालने का समय आ गया है. ’
खेल रत्न पाने वाले 'सरदार' डिफेंस और आक्रमण में हैं माहिर
उन्होंने कहा, ‘मैंने चंडीगढ़ में अपने परिवार, हॉकी इंडिया और अपने दोस्तों से सलाह मशविरा करने के बाद यह फैसला किया है. मुझे लगता है कि अब हॉकी से आगे के बारे में सोचने का सही समय आ गया है. ’दिलचस्प बात है कि जकार्ता में एशियाई खेलों के दौरान सरदार ने कहा था कि उनके अंदर काफी हॉकी बची है और उन्होंने 2020 टोक्यो में अपना अंतिम ओलिंपिक खेलने की इच्छा व्यक्त की थी. हॉकी इंडिया ने बुधवार को राष्ट्रीय शिविर के लिये 25 सदस्यीय मजबूत कोर ग्रुप की घोषणा की, जिसमें सरदार का नाम शामिल नहीं था. जिससे अटकलें लगायी जा रही हैं कि उन्हें संन्यास लेने के लिये बाध्य किया गया था. शिविर की टीम से बाहर किये जाने के बारे में पूछने पर सरदार ने इस सवाल को टालते हुए कहा कि वह शुक्रवार को नई दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान अपने संन्यास की आधिकारिक घोषणा करेंगे.
पाकिस्तान के खिलाफ पहला और आखिरी मैच खेला
सरदार ने भारत के लिए सीनियर टीम में पदार्पण पाकिस्तान के खिलाफ 2006 में किया था और इसके बाद से वह टीम की मध्यपंक्ति में अहम खिलाड़ी बने हुए हैं. उन्होंने अपना अंतिम इंटरनेशनल मैच भी पाकिस्तान के खिलाफ ही एशियाई खेलों के दौरान खेला. 32 वर्ष के इस खिलाड़ी ने देश के लिये 350 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले और 2008 से लेकर 2016 तक आठ वर्षों तक राष्ट्रीय टीम की कप्तानी भी संभाली. इसके बाद टीम की कमान पीआर श्रीजेश को सौंप दी गयी. वर्ष 2008 सुल्तान अजलन शाह कप में टीम की अगुवाई के दौरान वह भारतीय टीम की कप्तानी करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी भी बने थे.
वीडियो: हॉकी टीम के कोच हरेंद्र सिंह से खास बातचीत
अर्जुन पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित हुए
सरदार सिंह को 2012 में अर्जुन पुरस्कार और 2015 में पद्मश्री से नवाजा गया. उन्होंने दो ओलिंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया. गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों की टीम से बाहर किये जाने के बाद इस खिलाड़ी ने अपनी फिटनेस पर कड़ी मेहनत की और चैम्पियंस ट्राफी के लिये शानदार वापसी की जिसमें भारतीय टीम ने रजत पदक जीता. उम्र के साथ वह थोड़े धीमे जरूर हुए लेकिन सरदार अब भी भारतीय टीम के सबसे फिट खिलाड़ियों में से एक हैं. उन्होंने कहा, ‘इस फैसले के पीछे फिटनेस कारण नहीं है. मैं कुछ और साल तक हॉकी खेलने के लिये पूरी तरह फिट हूं. लेकिन हर चीज का समय होता है और मुझे लगता है कि अब मेरे लिये जीवन में आगे बढ़ने का समय आ गया है. ’सरदार ने कहा कि उन्होंने अपना फैसला मुख्य कोच हरेंद्र सिंह को बता दिया है और उन्होंने यह भी कहा कि वह घरेलू सर्किट में हॉकी खेलना जारी रखेंगे. हरियाणा के सिरसा के इस खिलाड़ी का करियर विवादों से दूर नहीं रहा. उन पर भारतीय मूल की ब्रिटिश महिला ने बलात्कार का आरोप भी लगाया था जिससे उन्होंने हमेशा इनकार किया था. उन्हें इस मामले में लुधियाना पुलिस के विशेष जांच दल द्वारा क्लीन चिट मिल गई थी.(इनपुट: एजेंसी)
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