मैदान पर रेफरी की फाइल फोटो
नई दिल्ली: फीफा विश्व कप में सहायक रेफरी की भूमिका निभाने वाले भारतीय कोमालेश्वरम शंकर ने इस बात की वजह बताई है कि आखिर भारत का रेफरियों का स्तर इतना खराब क्यों है. शंकर ने कहा, 'हमारे पास अच्छे रेफरी हैं और देश में रेफरिंग सही दिशा में जा रही है. हालांकि, आधुनिक समय में रेफरिंग अधिक वैज्ञानिक हो गई है और इसमें आपके पास अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों का अनुभव होना जरूरी है. कोमालेश्वरम शंकर ने 2002 विश्व कप के तीन मैचों में सहायक रेफरी की भूमिका निभाई थी.
उन्होंने कहा कि हमें भारतीय रेफरियों को अंतररष्ट्रीय स्तर का अनुभव हासिल करने के लिए अधिक अवसर देने की जरूरत है. उन्हें नियमित रूप से उच्च स्तरीय कॉन्टिनेंटल मैचों का कार्यभार देना चाहिए. मेरा मानना है कि हम उस स्तर पर जल्द ही पहुंच सकते हैं. हमारे पास बस अनुभव हासिल करने के लिए मिले अवसरों की कमी है. शंकर देश के एकमात्र ऐसे रेफरी हैं, जिन्होंने विश्व कप में आधिकारिक रूप से रेफरी का कार्यभार संभाला है. शंकर का मानना है कि भारतीय रेफरियों की सफलता के लिए उन्हें हर ओर से समर्थन मिलना जरूरी है.
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अखिल भारतीय फुटबाल महासंघ (एआईएफएफ) को आशा है कि कतर में 2022 में होने वाले विश्व कप में देश से एक रेफरी जरूर शामिल होगा. हालांकि, इसके लिए चयन प्रक्रिया में सफल हो पाना आसान नहीं होगा. एआईफएफ में रेफरी प्रमुख कर्नल गौतम कार का कहना है कि विश्व कप में भारत के पुरुष रेफरियों के शामिल न होने के पीछे बहुत कारण हैं. ऐसे में 2022 विश्व कप में भारतीय रेफरियों को शामिल करने के क्रम में एआईएफएफ तैयारी कर रहा है. शंकर ने कहा कि बिना अंतरराष्ट्रीय अनुभव के आप विश्व कप के मैचों में आधिकारिक रेफरी का अवसर हासिल नहीं कर सकते.
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लेकिन अब एआईएफएफ अब इसी के तहत रेफरियों को प्रशिक्षण देकर उन्हें तराश रहा है. अगले साल तक फीफा 2022 विश्व कप के लिए रेफरियों की संभावित सूची की घोषणा कर सकता है.