India World Cup Squad: लंबी बहस के बाद सेलेक्टर आखिरी में कार्तिक के नाम पर सहमत हुए
खास बातें
- पंत का चयन करीब-करीब पक्का था-चीफ सेलेक्टर
- आईपीएल में कार्तिक से बेहतर प्रदर्शन है पंत का
- कार्तिक का सौभाग्य, पंत का दुर्भाग्य!
इंग्लैंड में इस साल मई और जून में खेले जाने वाले वर्ल्ड कप (World Cup 2019) के लिए भारतीय टीम के चयन से पहले सिर्फ दो ही सवाल फिजां में तैर रहे थे. सबसे बड़ा सवाल था कि आखिरकार नंबर-4 बल्लेबाज कौन होगा. और टीम में दूसरे विकेटकीपर की भूमिका कौन निभाएगा. दूसरे विकेटकीपर के लिए ऋषभ पंत (Rishabh Pant) का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन राष्ट्रीय पांच सदस्यीय चयन समिति ने सभी की पसंद को दरकिनार करते हुए दिनेश कार्तिक (Dinesh Karthik) को दूसरे विकेटकीपर के रूप में चुना और चीफ सेलेक्टर ने कार्तिक के चयन के पीछे चयन समिति का तर्क भी रखा .
बता दें कि जारी आईपीएल में प्रदर्शन के बाद तो ऋषभ पंत अपनी प्रतिद्वंद्वी दिनेश कार्तिक से आगे निकल गए थे. केकेआर के कप्तान दिनेश कार्तिक जहां बल्ले से अभी तक पूरी तरह उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे, तो ऋषभ पंत ने यह दिखाया कि वह धीरे-धीरे परिपक्व हो रहे हैं. कार्तिक 8 मैचों में अभी तक 18.50 के औसत से सिर्फ 111 रन ही बना सके हैं, तो ऋषभ पंत ने इतने ही मैचों में 35.00 के औसत से 254 रन बनाए हैं.
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ऋषभ पंत का टीम में संभावित चयन इसलिए भी माना जा रहा था कि ज्यादातर पूर्व क्रिकेटरों ने इस लेफ्टी बल्लेबाज को 15 सदस्यीय टीम में जगह दी, लेकिन अब जब चीफ सेलेक्टर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पंत को चयनित न किए जाने का कारण बताया, उसमें हैरानी की कोई बात नहीं है.
एमएसके प्रसाद ने कहा कि हम सभी ने यह महसूस किया कि पंत और कार्तिक में से किसी को भी इलेवन में तभी जगह मिलेगी, जब महेंद्र सिंह धोनी चोटिल होंगे. और अगर यह कोई महत्वपूर्ण मैच हुआ, तो ऐसे में विकेटकीपिंग भी बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाती है. चीफ सेलेक्टर बोले कि यही वजह रही कि हमने दिनेश कार्तिक को वरीयता प्रदान की. अन्यथा ऋषभ का चयन टीम में पक्का था.
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कुल मिलाकर ऋषभ पंत की विकेटकीपिंग उनके चयन के खिलाफ गई. यह वह बात है, जिस पर ऋषभ पंत पर लगातार उंगली उठती रही है. और हालिया महीनों कई ऐसे मौके आए, जब अहम मौकों पर उनसे कैच छिटक गए, या स्टंप छूट गया. एक तरफ पंत लगातार बल्ले से रन तो बरसाते रहे, लेकिन खूब मेहनत करने के बावजूद उनकी विकेटकीपिंग का स्तर उस मुकाम तक नहीं पहुंच सका, जो सेलेक्टर या टीम मैनेजमेंट चाहता था.