
राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी का नाम बदलकर भले ही उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) कर दिया गया हो लेकिन यह मामला 'नयी बोतल में पुरानी शराब' जैसा है चूंकि कुछ खास खिलाड़ियों की चोटों के प्रबंधन की समय सीमा पर कोई स्पष्टता नहीं है. भारत के नंबर एक तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह हो या देश के सबसे तेज गेंदबाज मयंक यादव, सीओई ने समय सीमा और चोट प्रबंधन प्रक्रिया को लेकर कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं दी है. कुछ साल पहले एनसीए में चोटिल खिलाड़ियों को लेकर एक लतीफा मशहूर था "आप साल में किसी भी समय आ सकते हैं लेकिन जा नहीं सकते."
सीओई में चोट प्रबंधन (फिजियो द्वारा)से लेकर रिहैबिलिटेशन और चोट से बचाव (स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग कोच द्वारा) से लेकर खेल में वापसी ( गेंदबाजी कोचों और बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञों द्वारा ) तक खिलाड़ी तीन स्तरीय प्रक्रिया से गुजरते हैं. हर तरह की चोट और खेल के मैदान पर वापसी के लिए समय सीमा होती है जो हर खिलाड़ी के लिये अलग होती है.
लेकिन खिलाड़ी की वापसी को लेकर अनुमान भी नहीं दे पाने से भारतीय क्रिकेट में किसी को हैरानी नहीं है. सीओई की गतिविधियों को करीब से जानने वाले बीसीसीआई के एक सूत्र ने कहा,"पिछले साल चोट और रिहैबिलिटेशन के अधिकांश मामलों में मेडिकल टीम ने इतना ही कहा कि 'क्लीनिकली फिट' हैं जिससे खिलाड़ी की वापसी को लेकर तस्वीर साफ नहीं होती. मैं नाम नहीं लेना चाहता लेकिन कई खिलाड़ी गेंदबाजी कोच के साथ ट्रेनिंग शुरू करते हैं तो भी उन्हें असहज महसूस होता है."
उन्होंने कहा,"यह अजीब हालात है जिसमें विभिन्न स्तरों पर समन्वय का अभाव दिखता है." मयंक की बाजू में खिंचाव के कारण वह अप्रैल से अक्टूबर तक बाहर थे. उन्होंने अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यू किया और 12 अक्टूबर को खेला. पिछले पांच महीने से वह कमर के निचले हिस्से में स्ट्रेस फ्रेक्चर के कारण बाहर हैं.
बुमराह को लेकर आखिरी आधिकारिक बयान चयन समिति के प्रमुख अजित अगरकर ने दिया था कि वह पांच सप्ताह पूरे आराम के बाद ही अभ्यास शुरू कर सकेंगे. यह बात फरवरी की है और अगले कुछ दिन में आईपीएल शुरू हो रहा है लेकिन बुमराह फिट नहीं हैं.
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