सौरव गांगुली की फाइल फोटो
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने शुक्रवार को तीन सदस्यीय क्रिकेट सलाहकार कमेटी (सीएसी) का ऐलान कर दिया. इस तीन सदस्यीय समेटी में मदन लाल, रुद्र प्रताप सिंह और पूर्व महिला क्रिकेटर सुलक्षणा नाइक हैं. यह तीन सदस्यीय कमेटी जल्द ही राष्ट्रीय चयन समिति की खाली हो रहीं दो जगहों के लिए दिग्गज क्रिकेटरों का साक्षत्कार लेगी. बता दें कि वर्तमाान चीफ सेलेक्टर एमएसके प्रसाद (MSK Prasad) का कार्यकाल गुजरते सितंबर महीने में खत्म हो गया, लेकिन उन्हें उन्हें जगह भरे जाने तक अपने पद पर बने रहने को कहा गया है. वर्तमान चयन समिति से एमएसके प्रसाद और गगन खोड़ा का कार्यकाल खत्म हो रहा है, लेकिन सदस्यों की भर्ती से पहले ही बॉस सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने एक बड़ा ऐलान कर दिया है. अब जबकि नए चेयरमैन पद के लिए बीसीसीआई (BCCI) का एक धड़ा "सबसे वरिष्ठ' की परिभाषा को अपने-अपने हिसाब से बयां कर रहा है, तो वहीं बोर्ड ने नए संविधान में इसको लेकर सबकुछ साफ-साफ बयां किया है. और इसी को लेकर अब सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने अपनी राय दी है.
यह भी पढ़ें: सुपर ओवर में एक और जीत पर मो. कैफ ने टीम इंडिया को सराहा
सेलेक्शन कमेटी के अगले चेयरमैन को लेकर सौरव गांगुली ने साफ करते हुए कहा कि यह चयन कमेटी अलग होगी. और इसका अध्यक्ष वही खिलाड़ी होगा, जिसने सबसे ज्यादा टेस्ट मैच खेले होंगे. अब पिछली बार की तरह नहीं होगा केवल भारत का नेतृत्व भर करने से ही कोई खिलाड़ी चेयरमैन बन जाएगा. अब वही खिलाड़ी पांच सदस्य सेलेक्शन कमेटी का चेयरमैन होगा, जिसने सबसे ज्यादा टेस्ट मैच खेले होंगे.
यह भी पढ़ें: विराट कोहली ने बताया, KL Rahul ने सुपर ओवर के ठीक पहले मुझे दी थी 'यह' सलाह..
बता दें कि बीसीसीआई के संविधान की एक शर्त को लेकर भ्रम की स्थिति है. यह शर्त कहती है कि कमेटी के सदस्यों में सबसे ज्यादा टेस्ट खेलने वाले खिलाड़ी को समिति का चेयरमैन चुना जाएगा. कई पूर्व क्रिकेटरों जैसे अजित अगरकर, वीसीएस लक्ष्मण, शिवरामाकृष्णन, वेंकटेश प्रसाद, राजेश चौहान, नयन मोंगिया, चेतन चौहान, निखिल चोपड़ा और अभय कुरुविला जैसे खिलाड़ियों का साक्षात्कार खाली दो पदों के लिए नई क्रिकेट कमेटी साक्षात्कार लेगी.
VIDEO: पिंक बॉल बनने की पूरी कहानी, स्पेशल स्टोरी.
कुल मिलाक नयी चयन समिति के सदस्यों का चयन कई पहलुओं को लेकर रोचक हो चला है. बीसीसीआई का संविधान साफ-साफ कह रहा है, जबकि बीसीसीआई का धड़ा अलग-अलग विचार प्रकट कर रहा है, लेकिन बॉस ने स्थिति साफ कर दी है. अब "सबसे वरिष्ठ" किस आधार पर तय होता है, यह जल्द ही साफ हो जाएगा.