इस वजह से पड़ा था 'महाराज' नाम, पर इन दो शतकों ने बदल दी सौरव गांगुली की किस्मत

इस वजह से पड़ा था 'महाराज' नाम, पर इन दो शतकों ने बदल दी सौरव गांगुली की किस्मत

सौरव गांगुली की फाइल फोटो

खास बातें

  • हैप्पी बर्थ डे टू यू सौरव !
  • बार-बार ये दिन आए..बार-बार ये दिन आए..!
  • सौरव हुए 47 के !
नई दिल्ली:

भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्तानों में से एक सौरव गांगुली (#HappybirthdayDada) का आज जन्मदिन है. सौरव गांगुली (#SouravGanguly ) आज  सोमवार को अपना 47वां जन्मदिन बना रहे हैं और करोड़ों क्रिकेटप्रेमियों ने सोशल मीडया पर अपने चहेते कप्तान को अपने-अपने अंदाज में जन्मदिन की बधाई दी है, तो वहीं उनके साथ और उनकी कप्तानी में खेले ज्यादातर खिलाड़ियों ने गांगुली को जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं. 

बहुत से क्रिकटेप्रेमियों को मालूम नहीं होगा कि गांगुली ने अपने वनडे करियर का आगाज साल 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेनसन एंड हेजेस वनडे सीरीज में वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था. संजय मांजरेकर, सचिन तेंदुलकर, कपिल देव और मोहम्मद अजहरुद्दीन जैसे दिग्गज उस समय टीम का हिस्सा थे. इस मैच में गांगुली ने 13 गेंद खेलकर सिर्फ तीन रन बनाए. इस दौरे में मैदान के बाहरी कारणों के चलते भी सौरव की काफी बदनामी हुई. उन्हें वर्ल्ड कप की टीम से ड्रॉप कर दिया गया. और इसके बाद सौरव गांगुली अंतरराष्ट्रीय करियर से करीब चार साल के लिए गधे के सिर से सींग की तरह गायब हो गए. 

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दरअसल गांगुली इस दौरे में एक रिजर्व बल्लेबाज के तौर पर लिए गए थे. इसलिए उन्हें ज्यादा क्रिकेट खेलने को नहीं मिली. लेकिन स्थानीय और भारतीय मीडिया में इस तरब की खबरें छपीं कि सौरव ने 12वें खिलाड़ी की भूमिका को सही तरह से अंजाम नहीं दिया. यहां तक लिखा गया कि उन्हें बतौर 12वें खिलाड़ी मैदान पर ड्रिंक्स ले जाने से इनकार कर दिया. कहा जाने लगा कि वह बहुत ही सुस्त और अहंकारी खिलाड़ी हैं. बस इसी ऑस्ट्रेलियाई दौरे में उनका नाम 'महाराज' पड़ गया. हालांकि, यह कभी सामने नहीं आया कि पहली बार उन्हें किसने यह नाम दिया. 

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इसके बाद 1996 में वर्ल्ड कप के ठीक बाद इंग्लैंड के दौरे में भी सौरव एक रिजर्व बल्लेबाज के तौर पर ही इंग्लैंड पहुंचे थे. पहले संजय मांजरेकर को चोट लगी, तो नवजोत सिद्धू कप्तान अजहरुद्दीन के साथ हुए विवाद के बाद दौरा छोड़कर वापस भारत आ गए. इंडिया पहले टेस्ट में बुरी तरह से हार गई. गांगुली और राहुल द्रविड़ ने टेस्ट सीरीज से पहले टूर मैचों में अच्छा प्रदर्शन किया था. ऐसे में 20 से 24 जून 1996 को लॉर्ड्स में खेले गए दूसरे टेस्ट में सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ दोनों को इलेवन में मौका दिया गया. और यहीं से गांगुली ने वह इतिहास रच डाला, जहां से उन्होंने कभी मुड़कर नहीं देखा. 

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सौरव गांगुली ने लॉर्ड्स में नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए 131 और फिर नॉटिंघम में खेले गए तीसरे टेस्ट में लगातार दूसरे टेस्ट 136 रन बनाकर धमाका कर कर दिया. दुनिया भर में गांगुली का डंका बजा. और इसके बाद ऐसा बजा, जो अलग-अलग रूप में अभी भी जारी है. विश यू वेरी-वेरी हैप्पी बर्थ-डे दादा