
जारी WTC Final मुकाबले में भारतीय पूर्व दिग्गज और फैंस शुभमन गिल (Shubman Gill) को दिए गए आउट के फैसले को लेकर खासे निराश हैं. दिग्गज खुलकर मीडिया में बोल रहे हैं, तो सोशल मीडिया पर फैंस अंपायर को जमकर ट्रोल कर रहे हैं. एक बड़े वर्ग की जुबां पर यह भी सवाल है कि सॉफ्ट सिग्नल का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया? इसमें दो राय नहीं कि पहली ही नजर में कैच एकदम संदिग्ध था. थर्ड अंपायर ने भी फैसला लेने से पहले खासा समय लिया, लेकिन सवाल फैंस का फिर भी है कि मैदानी अंपायर ने सॉफ्ट सिग्नल का इस्तेमाल क्यों नहीं किया और मामला सीधे थर्ड अंपायर को क्यों भेज दिया गया. गिल के कैच में कैमरे से दिखा कि जब ग्रीन ने कैच लिया, तो उनकी उंगलियां गेंद के नीचे थी, लेकिन निर्णायक रूप से यह नहीं कहा जा सकता था कि साफ तौर पर कैच है या नहीं.
— Shubman Gill (@ShubmanGill) June 10, 2023
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बहरहाल, अच्छे खासे इंतजार के बाद जब थर्ड अंपायर ने आउट दिया, तो गिल हैरान रह गए. उन्होंने बाद में इसे लेकर एक गूढ़ ट्वीट भी किया, तो यह कैच बहस का भी विषय बन गया. फैंस के बीच चर्चा इस बात को लेकर भी थी कि सॉफ्ट सिग्नल का इस्तेमाल क्यों नहीं किया गया.
दरअसल इसकी वजह यह रही कि जून के महीने की शुरुआत से अब यह नियम खत्म हो गया है. क्रिकेट कमेटी की सिफारिश के बाद इसे 1 जून से खत्म करने का फैसला किया गया था. और यही वजह रही कि मैदानी अंपायर ने सॉफ्ट सिग्नल का सहारा नहीं लिया. कुछ ही हफ्ते पहले इंग्लैंड और आयरलैंड के बीच खेले गए टेस्ट के साथ ही नए नियम लागू हो गए थे. मई में आसीसी ने घोषणा की थी कि नए नियम के तहत मैदानी अंपायर कोई भी निर्णय देने से पहले टीवी अंपायर के साथ चर्चा करेंगे.
जानिए क्या था सॉफ्ट सिग्नल
खत्म हुए सॉफ्ट सिग्नल के तहत मैदानी अंपायर फैसले पर अपना शुरुआती निर्णय देते थे. आम तौर पर फैसला तीसरे अंपायर को भेजने से पहले अंपायर इस बात पर फैसला देते थे कि गेंद फील्डर तक पहुंची या नहीं. कैच स्पष्ट है या नहीं. इसके बाद वह फैसला तीसरे अंपायर को रेफर करते थे. और अगर तीसरा अंपायर "निर्णायक सबूत" न होने की स्थिति में निर्णय नहीं ले पाता था, तो फिर मैदानी अंपायर द्वारा लिया गया फैसला ही अंतिम निर्णय माना जाता था. लेकिन अब जब सॉफ्ट सिग्नल खत्म कर दिया गया है, तो मैदानी अंपायर का फैसला भी इसी के साथ चला गया. अब इस तरह के मामले में थर्ड अंपायर का फैसला ही मान्य होगा, जैसा गिल के साथ हुआ. अगर सॉफ्ट सिग्नल जारी रहता और मैदानी अंपायर गिल को नॉटआउट करार देते, तो उनका यह फैसला बरकरार रहता क्योंकि थर्ड अंपायर निर्णयक सबूत (साफ तस्वीरें) नहीं जुटा सका
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