लालचंद राजपूत की फाइल फोटो
खास बातें
- पिछले तीन महीने से अस्थायी कोच थे राजपूत
- 2007 टी-20 विश्व जीतने वाली भारतीय टीम के मैनेजर थे
- भारत के लिए खेल चुके हैं 2 टेस्ट और 4 वनडे
हरारे: अब वह समय गुजरे जमाने की बात होता जा रहा है, जब भारतीय क्रिकेट कोच केवल देश या रणजी ट्रॉफी टीमों के दायर तक ही सिमटे रहते थे. टीम इंडिया के साथ-साथ अब भारतीय कोचों की मांग भी बढ़ रही है. इसी के तहत लालचंद राजपूत अब जिंबाब्वे टीम के स्थायी कोच नियुक्त कर दिए गए हैं, जो अस्थायी रूप से पिछले कुछ महीने से जिंबाब्वे टीम को कोचिंग दे रहे थे.
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ध्यान दिला दें कि जब भारत ने महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी साल 2007 में टी-20 विश्व कप जीता था, तब लालचंद राजपूत भारतीय टीम के मैनेजर थे. इसके बाद राजपूत ने बतौर कोच अपने करियर का विस्तार किया. हालांकि, वह रणजी ट्रॉफी टीम के कोच रह चुके थे, लेकिन उनके पास अंतरराष्ट्रीय अनुभव ज्यादा था. लेकिन मुंबई इंडियंस के बतौर कोच के रूप में उनकी पहचान बनी, तो इसके बाद अफगानिस्तान टीम के कोच के रूप में भी उनके काम की प्रशंसा हुई. जिंबाब्वे की टीम जब साल 2019 विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने में नाकाम रही, तो इसके बाद तत्कालीन कोच हीथ स्ट्रीक को बर्खास्त कर दिया गया. और लालचंद राजपूत की अस्थायी नियुक्ति की गई.
वैसे भारतीय टीम के लिए राजपूत का योगदान सिर्फ दो हफ्ते का रही है. वह भारत के लिए सिर्फ दो टेस्ट और 4 वनडे मैच ही खेल सके. राजपूत को बतौर ओपनर फिट करने के लिए गावस्कर को मध्यक्रम में उतारा गया. पहले टेस्ट में राजपूत ने 32 और 61 रन बनाए. इसके बाद राजपूत अगली दो पारियों में नाकाम रहे. नतीजा यह रहा कि राजपूत की जगह ऑलराउंडर रवि शास्त्री को मिल गई. लालचंद राजपूत मई के महीने से अस्थायी तौर पर जिंबाब्वे टीम के साथ थे. राजपूत के कार्यकाल में जिंबाब्वे ने आक्रामक क्रिकेट खेली.
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हालांकि, राजपूत के मार्गदर्शन में इस कमजोर टीम को मजबूत देशों के खिलाफ जीत नहीं मिल सकी, लेकिन राजपूत ने टीम के मिजाज को बदल दिया है. और जिंबाब्वे बोर्ड का मानना है कि राजपूत की निगरानी में खिलाड़ियों के तौर-तरीकों और तेवरों में बदलाव हुआ है और खिलाड़ियों में आए कॉन्फिडेंस और क्रिकेट खेलने की शैली में बदलाव को जिंबाब्वे बोर्ड ने स्वीकार किया. और बोर्ड ने राजपूत को स्थायी कोच नियुक्त कर दिया.