
भारतीय क्रिकेट में एमएस धोनी की कामायबी किसी परीकथा से कम नहीं रही है. उनकी इस सफलता में कई पूर्व क्रिकेटरों और कोचों का योगदान रहा है. और इनमें पूर्व सलामी बल्लेबाज और चीफ सेलेक्टर कृष्णाचारी श्रीकांत भी एक रहे हैं. यह सही है कि पूर्व चीफ सेलेक्टर दिलीप वेंगसरकर ने धोनी का चयन करने में अहम रोल निभाया, लेकिन माही को सफलता श्रीकांत के कार्यकाल के दौरान मिली. अब श्रीकांत ने धोनी, गांगुली और कुंबले की कप्तानी के अंतर को बयां किया है.
धोनी से पहले सौरव गांगुली सबसे सफल कप्तान थे, लेकिन बाद में धोनी ने न केवल अपनी कप्तानी में सबसे ज्यादा टेस्ट जीतने का सौरव का रिकॉर्ड तोड़ा, बल्कि भारत को दो विश्व कप भी जिताए. धोनी के साल 2007 में टी20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद जल्द ही वनडे टीम की भी कमान मिल गई थी, लेकिन अनिल कुंबले के टेस्ट कप्तान बनने का कारण माही को देर से 2008 में टेस्ट टीम की कप्तानी मिली.
पूर्व चीफ सेलेक्टर ने कहा कि यह सौरव गांगुली थे, जो टीम में आक्राक रवैये लेकर आए थे, लेकिन एमएस धोनी इसके एकदम उलट थे. श्रीकांत ने कहा कि जब कुंबले टेस्ट टीम के कप्तान थे, तो धोनी के लिए यह सीखने का अच्छा मौका था. अनिल ने एमएस को बहुत ही जरूरी अनुभव प्रदान किया. और धोनी ने खिलाड़ियों को बहुत ही ज्यादा भरोसा प्रदान किया.
VIDEO: कुछ दिन पहले विराट ने करियर को लेकर बड़ी बात कही थी.
इसके अलावा श्रीकांत ने भारतीय क्रिकेट के आयामों में परिवर्तन का श्रेय भी धोनी को दिया. उन्होंने कहा कि एमएस ने बहुत ही ज्यादा दबाव के पलों में एकदम शांत रवैया दिखाया. एमएस के टीम में आने से पहले तक भारतीय टीम में दिल्ली, मुंबई और चेन्नई से बड़े शहर के खिलाड़ियों का दबदबा था, लेकिन धोनी के आने के बाद छोटे शहरों के लड़कों को भी यह भरोसा मिला कि वे भी भारतीय टीम में जगह बना सकते हैं और ऐसा हुआ.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं