कुछ ऐसे विराट कोहली ने खुद को साबित किया "चेजिंग मास्टर" और...

कुछ ऐसे विराट कोहली ने खुद को साबित किया

Virat kohli ने अपना कद बहुत ही ऊंचा कर लिया है

नई दिल्ली:

क्रिकेट में अगर बीता एक दशक देखा जाए तो सचिन तेंदुलकर, रिकी पोंटिंग जैसे खिलाड़ियों के जाने से उभरे सूनेपन को किसी खिलाड़ी ने सही मायने में भरा है तो वो हैं भारत के मौजूदा कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli). इस बल्लेबाज ने बीते एक दशक में रिकार्ड बुक को नए सिरे से लिखा और उसमें अपने लिए एक नई तहरीर तैयार की है. ऐसे में इस रिकार्ड बुक में उनके लिखे अध्याय का नाम अगर 'चेज मास्टर' रखा जाए तो शायद ही किसी को एतराज होगा. रनों का पीछा करते हुए कोहली (Virat Kohli) का बल्ला अलग भाषा बोलता है. इसकी बानगी साल 2019 के भारत के आखिरी वनडे में देखी गई. विंडीज ने बाराबाती स्टेडियम में भारत को 316 रनों का विशाल लक्ष्य दिया. भारत को अच्छी शुरुआत तो मिली, लेकिन अनुभवहीन मध्यक्रम ने जल्दी विकेट गंवा कर कोहली को फिर मौका दिया कि चेज मास्टर अपने अध्याय में एक और चैप्टर लिखे. कोहली चूके नहीं और 85 रन बनाए और टीम की जीत दिलाकर साल का अंत अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज के रूप में करने में सफल रहे.

इस चेजमास्टर ने 2008 में अपना पहला वनडे खेला था. उस समय बड़े बल्लेबाजों के रहते टीम में नियमित स्थान नहीं था. हालांकि दाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने जल्दी अपनी जगह पक्की की और फिर साल दर साल क्रिकेट के हर फॉरमेट में बल्ले से रन उगलते चले गए. यही कारण था कि जल्द ही उनकी गिनती भारत के सर्वकालिक महान बल्लेबाजों होने लगी. बीते एक दशक में भारत के सामने जब भी 300 रनों से ज्यादा की चुनौती आई तो अधिकतर समय कोहली के बल्ले ने भारत की जीत की कहानी लिखी. इस मामले में कम से कम कोहली की बराबरी आज या बीते समय का कोई और बल्लेबाज करता नहीं दिख रहा है.

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पिछला एक दशक देखा जाए तो 300 से ज्यादा रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए कोहली का औसत 141.85 का है. भारत ने बीते एक दशक में 10 बार ऐसे लक्ष्यों का पीछा किया है. इन 10 मैचों में कोहली ने 993 रन बनाए हैं, जिसमें से सात शतक और सिर्फ एक अर्धशतक शामिल है. यह इकलौता अर्धशतक कटक में रविवार को विंडीज के खिलाफ आया. इन 10 मैचों में से कई ऐसे मैच हैं जो यादगार रहे हैं. श्रीलंका के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया में वो मैच शायद ही कोई भूल सके जिसमें भारत को 321 रनों का पीछा करना था और मैच 37 ओवरों में जीतना था ताकि तीन देशों की सीरीज के फाइनल में जगह बना सके. कोहली ने 86 गेंदों पर नाबाद 133 रनों का पारी खेल भारत को 36.4 ओवरों में ही जीत दिला दी थी और फाइनल में भी पहुंचा दिया था.

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इस दशक में कोहली ने सिर्फ इतना ही हासिल नहीं किया. वह खेल के हर प्रारूप में रन उगलते रहे. हां वनडे में वह ज्यादा बेहतर रहे. पिछले 10 साल में कोहली ने वनडे में सबसे ज्यादा 11,125 रन बनाए. इतना ही नहीं सबसे ज्यादा शतक (42) बनाए. 35 बार वह मैन ऑफ द मैच चुने गए और सात बार मैन ऑफ द सीरीज.  कोहली इस दशक में फिटनेस की उत्कृष्ठता के भी अभिप्राय भी बने. यही कारण है कि वह इस दशक में 227 वनडे मैच खेलने में सफल रहे. साल 2019 में कोहली ने खेल के तीनों प्रारूप में सबसे ज्यादा रन बनाए. उन्होंने इस रेस में अपने उप-कप्तान रोहित शर्मा को पीछे किया. कोहली ने 2019 का अंत 2595 रनों के साथ किया. ऐसा पहली बार नहीं है कि कोहली ने साल में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाए हों बल्कि यह लगातार चौथी बार है जब चेजमास्टर ने साल का अंत पहले नंबर पर रहते हुए किया हो.

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साल 2018 में कोहली ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 2735 रन बनाए थे. वहीं 2017 में दाएं हाथ के बल्लेबाज ने 2818 और 2016 में 2595 रन बनाए थे. विंडीज के खिलाफ खेले गए मैच के बाद कोहली ने कहा, "2019 मेरे क्रिकेट करियर के सबसे अच्छे वर्षो में से एक रहा है. विश्व कप सेमीफाइनल मैच के वो 30 मिनट हटा दिए जाएं तो यह साल शानदार रहा है. हम आईसीसी ट्रॉफी के पीछे हमेशा भागते रहेंगे, लेकिन इसके अलावा हम जिस तरह से खेले हैं वो संतोषजनक रहा है"

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कोहली जिस फॉर्म में हैं, उसे देखकर तो यही लगता है कि रन अभी और आएंगे, रिकार्ड अभी और टूटेंगे और एक दिन ऐसा भी आ सकता है, जब क्रिकेट के सभी बड़े रिकॉर्ड कोहली के नाम पर होंगे.