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This Article is From Apr 25, 2020

कपिल देव ने फिर से शोएब अख्तर को उनके प्रस्ताव पर दिया यह करारा अप्रत्यक्ष जवाब

कपिल देव ने शोएब अख्तर को एक बार फिर से उनके पैसा जुटाने के लिए सीरीज के आयोजन पर अप्रत्यक्ष रूप से जवाब देते हुए कहा कि कोरोनावायरस से निपटने के लिए पैसा जुटाने के लिए बाकी दूसरे भी उपाय हैं

कपिल देव ने फिर से शोएब अख्तर को उनके प्रस्ताव पर दिया यह करारा अप्रत्यक्ष जवाब
कपिल देव की फाइल फोटो
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
शोएब अब दोबारा न कहना !
अख्तर की बाउंसर पर कपिल का फिर से सिक्सर!
मैं बड़ी तस्वीर देख रहा हूं-कपिल
नई दिल्ली:

कुछ ही दिन ही हुए हैं, जब पैसा जुटाने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच सीरीज आयोजन को लेकर शोएब अख्तर और कपिल देव आमने-सामने थे. शोएब के सीरीज खेलने के प्रस्ताव को कपिल देव ने सिर से नकार दिया था. और अब एक बार फिर से कपिल देव ने शोएब अख्तर को अप्रत्यक्ष रूप से करारा जवाब दिया है.एक निजी टीवी के कार्यक्रम में कपिल ने कहा कि वह इस समय क्रिकेट नहीं बल्कि चाहते हैं कि प्रशासन स्कूल और कॉलेज खोलने पर ध्यानकेंद्रित करे.

कपिल ने कहा कि मैं बड़ी तस्वीर की ओर देख रहा हूं. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या आप सोचते हैं कि क्रिकेट बात करने के लिए एकमात्र मुद्दा है? वास्तव में मैं बच्चों को लेकर चिंतित हूं कि स्कूल नहीं जा पा रहे हैं. ये बच्चे और युवा हमारी आने वाली पीढ़ी हैं. ऐसे में मेरा माना है कि सबसे पहले स्कूल व कॉलेज खुलने चाहिए. इसके बाद फुटबॉल और क्रिकेट तो हो ही जाएंगे. 

वहीं, कपिल देव ने शोएब अख्तर को एक बार फिर से उनके पैसा जुटाने के लिए सीरीज के आयोजन पर अप्रत्यक्ष रूप से जवाब देते हुए कहा कि कोरोनावायरस से निपटने के लिए पैसा जुटाने के लिए बाकी दूसरे भी उपाय हैं. कपिल ने कहा कि आप भावुक होकर यह कह सकते हैं कि भारत और पाकिस्तान को मैच खेलने चाहिए. फिलहाल मैच खेलना प्राथमिकता नहीं है. अगर आपको पैसे की दरकार है, तो आपको अपने बॉर्डर की गतिविधियों पर रोक लगानी चाहिए. अब यह भी पूरी दुनिया जानती है कि बॉर्डर पर पाकिस्तान की गतिविधियां कैसी हैं और इन पर कितनी बड़ी रकम खर्च करता है. 


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पूर्व कप्तान ने कहा कि जो पैसा बॉर्डर पर गतिविधियों पर खर्छ होगा, उससे अस्पताल और स्कूल बनाए जा सकते हैं. अगर हमें वास्तव में पैसों की जरूरत है, तो हमारे पास बहुत सारे धार्मिक संस्थान हैं, जिन्हें आगे आना चाहिए. यह उनकी जिम्मेदारी है. जब हम धार्मिक स्थानों पर जाते हैं, तो बहुत पैसा चढ़ाते हैं. ऐसे में इन संस्थानों को सरकार की मदद करनी चाहिए. 
 

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