
दिग्गज नेता और क्रिकेट में गहरी रुचि रखने वाले शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा है कि वह सचिन तेंदुलकर (Sachin Tendulkar) के नेतृत्व कौशल को लेकर कभी भी आश्वस्त नहीं थे. थरूर बोले कि उन्होंने सोचा था कि 90 के दशक के मध्य में सचिन तेंदुलकर कप्तानी के लिए सर्वश्रेष्ठ पसंद थे, लेकिन उनका नजरिया तब बदल गया, जब सचिन को कप्तानी सौंपी गई और सर्वश्रेष्ठ परिणाम देखने को नहीं मिले.
Today is #WorldCoconutDay — as we know in Kerala, which is named for the coconut, it's the elixir of life! Kept me going on the campaign trail last year... pic.twitter.com/4ioSJ3OFnp
— Shashi Tharoor (@ShashiTharoor) September 2, 2020
थरूर ने एक निजी वेबसाइट से बातचीत में कहा कि सचिन के कप्तान बनने से पहले मैंने सोचा था कि सचिन संभवत: भारत के सर्वश्रेष्ठ कप्तान थे. कारण यह था कि जब वह कप्तान नहीं थे, तो वह बहुत ही ज्यादा सक्रिय थे. वह स्लिप में फील्डिंग करते थे, दौड़-दौड़ कर कप्तान के पास जाते थे. सलाह देते थे और सभी की हौसलाअफजाई किया करते थे. तेंदुलकर को साल 1996 में कप्तान बनाया या था. उनके नेतृत्व में भारत ने 73 में से 23 मैच जीते, जबकि 43 गंवाए. उनकी जीत का प्रतिशत 35.07 रहा. टेस्ट में रिकॉर्ड और भी खराब रहा. 25 टेस्ट में से भारत ने सिर्फ 4 ही जीते और नौ गंवाए. जीत का प्रतिशत था सिर्फ 16.
थरूर ने कहा कि मैंने कहा कि इस शख्स को कप्तान बनने दो क्योंकि वह हर जगह उपस्थित रहता है, लेकिन जब सचिन कप्तान बने, तो इस बात ने काम नहीं किया. यह सही है कि अपने कप्तानी के दिनों में सचिन को मजबूत टीम नहीं मिली, लेकिन खुद सचिन ने स्वीकार किया कि वह सर्वश्रेष्ठ प्रेरणादायक कप्तान नहीं थे. ऐसा कुछ हद तक था था क्योंकि सचिन को अपनी बल्लेबाजी के बारे में सोचना था. और आखिरी में सचिन ने खुशी-खुशी कप्तानी छोड़ दी. यहां तक कि बाद में भी सचिन ने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया.
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