Sachin Tendulkar Vinod Kambli Video viral on NDTV
Sachin Tendulkar Vinod Kambli Video viral : सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली ने साल 1988 में हैरिस शील्ड गेम में 664 रनों की रिकॉर्ड नाबाद साझेदारी करके अपना नाम बनाया था. माना जा रहा था कि यह जोड़ी कई सालों तक भारतीय क्रिकेट की सेवा करेगी, लेकिन उनके करियर ने अलग-अलग दिशाएं लीं, एक ओर जहां तेंदुलकर अब तक के सबसे महान खिलाड़ियों में से एक बन गए, तो दूसरी ओर कांबली अपने इंटरनेशनल करियर की शानदार शुरुआत के बावजूद कुछ खास नहीं कर पाए. उनके अलग-अलग करियर किसी भी युवा को यह याद दिलाने के लिए काफी है कि सिर्फ़ प्रतिभा ही उन्हें ऊंचाइयों तक नहीं पहुंचा सकती..जीवन में कुछ बड़ा हासिल करने के लिए आपको समर्पण, दृढ़ संकल्प और अनुशासन का पालन करना होता है.

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सचिन-कांबली ..जब दे मेट, मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया !
NDTV के स्पोर्ट्स एडिटर विमल मोहन ने सचिन और कांबली की दोस्ती को लेकर बात की है उन्होंने कहा कि, "ये कहानी उनके बचपन से शुरू होती है. 1980 की बात है,.. उस समय अमिताभ बच्चन की एक फिल्म आई थी दोस्ताना.. उस फिल्म एक मशहूर गाना मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया..इतने लंबे समय के बाद शिवाजी पार्क में जो कुछ देखने को मिला वह हमें इमोशनल कर दिया. दोनों कई सालों के बाद एक मंच पर थे. कांबली जिस स्टेज में थे उसे देखकर यह समझा जा सकता है कि उनकी स्थिति अब पहले जैसा नहीं रही है. वहीं, इस समय जिस हालत में सचिन हैं. उसे देखकर इस गाने की याद आती है".

विमल मोहन ने सचिन और कांबली को लेकर आगे कहा, "एक बार स्पोर्ट्स्टार में एक खबर छपी थी जिसमें तेंदुलकर की तुलना लारा से होते रहती थी. तब पाकिस्तान के कई पूर्व खिलाड़ियों ने कहा था कि बासित अली की भी बात होनी चाहिए. तब उस समय सुनील गावस्कर ने कहा था कि फिर विनोद कांबली का नाम भी आना चाहिए. कांबली कई मैचों में सचिन से बेहतर खेले थे. एक मशहूर मैच था, 1994 में जिसमें शेन वार्न को बाहर निकलकर छक्का मारते हुआ देखा गया था शाहजाह में यह मैच था. यह पहली बार था जब किसी बल्लेबाज ने बाहर निकलकर वार्न की गेंद पर छक्का लगाया था. कांबली ने शेन वार्न के खिलाफ एक ओवर में 22 रन बनाए थे. वार्न हमेशा कहते थे कि उन्हें सचिन के सपने आते हैं लेकिन वार्न की भय को तोड़ने का काम सबसे पहले विनोद कांबली ने ही किया था."
किस्मत को कुछ और ही मंजूर थी
अपने करियर की तरह, तेंदुलकर और कांबली की शक्ल-सूरत भी अलग-अलग दिशा में चली गई है.. दोनों की उम्र लगभग एक जैसी है - तेंदुलकर उनसे एक साल छोटे हैं - लेकिन कांबली उनसे बहुत बड़े दिखते हैं.
तेंदुलकर ने 24 साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेलकर खुद को महान क्रिकेटर बनाया. 35,000 रन और 100 इंटरनेशनल शतकों के साथ, सचिन सबसे महान बल्लेबाज के रूप में सामने आए. तेंदुलकर ग्रेटेस्ट ऑफ ऑल टाइम की श्रेणी में शामिल हो गए हैं. दूसरी ओर, बाएं हाथ के कांबली ने अपने करियर में 17 टेस्ट में 54.20 की औसत से 1,084 रन बनाए और 104 वनडे में 32.59 की औसत से 2,477 रन बनाए.. हालांकि, अनुशासनहीनता ने उन्हें टीम से बाहर कर दिया . उन्होंने आखिरी इंटरनेशनल मैच 2000 में खेला था.

Photo Credit: NDTV Marathi
भले ही कांबली आज क्रिकेट के इतिहास के पन्नों में खो गए हैं लेकिन उन्होंने जिस अंदाज में अपने करियर की शुरुआत की थी उसने विश्व क्रिकेट को चौंका कर रख दिया था. उनके रिकॉर्ड को देखकर आप भी यकीन कर जाएंगे.
विनोद कांबली के छोटे से करियर में अनोखे कारनामें
- स्कूली क्रिकेट में 349 रनों की पारी और सचिन के साथ 664 रन की रिकॉर्ड साझेदारी
- रणजी ट्रॉफ़ी के पहले ही मैच में पहली ही गेंद पर छक्का
- टेस्ट मैचों में सबसे तेज़ 1000 रन बनाने का भारतीय रिकॉर्ड
- शुरुआती 7 टेस्ट में दो दोहरे शतकों के साथ कुल चार शतक
- टेस्ट में 54 और प्रथम श्रेणी में 60 से अधिक का औसत
- 21 साल की उम्र में पहला टेस्ट, लेकिन सिर्फ़ 14 मैच
- दिग्गज स्पिनर शेन वार्न के एक ओवर में 22 रन
- 23 की उम्र में आख़िरी टेस्ट और वापसी का रास्ता बंद
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