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This Article is From Feb 23, 2023

"रोहित और द्रविड़ विश्व कप में यह बड़ी गलती नहीं करेंगे, जो पहले हुई", पूर्व फील्डिंग कोच ने कहा

World Cup 2023: करोडों फैंस और पूर्व दिग्गजों का आज भी इस बात का मलाल है कि इंग्लैंड की धरती पर सर्वश्रेष्ठ हालात और टीम होने के बावजूद भारत फिफ्टी-फिफ्टी  विश्व कप जीतने से चूक गया. तब पूर्व फील्डिंग कोच आर. श्रीधर (Ramakrishnan Sridhar) इस टीम का हिस्सा थे.

"रोहित और द्रविड़ विश्व कप में यह बड़ी गलती नहीं करेंगे, जो पहले हुई", पूर्व फील्डिंग कोच ने कहा
भारत के पूर्व फील्डिंग कोच आर. श्रीधर साल 2019 विश्व कप में स्टॉफ से जुड़े हुए थे
नई दिल्ली:

इसमें कोई दो राय नहीं कि भले ही पूर्व कप्तान विराट कोहली और रवि शास्त्री की जुगलबंदी के समय भारत कोई आईसीसी ट्रॉफी नहीं जीत सकता, लेकिन इस जोड़ी ने भारतीय क्रिकेट को खासी ऊंचायी दी और इनके कार्यकाल में कई नयी बातें भी देखने को मिलीं. यही वजह रही कि भारत साल 2019 विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंचा, तो वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में जगह बनाने के अलावा टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलियाई धरती पर दो लगातार सीरीज भी जीतीं. लेकिन करोडों फैंस और पूर्व दिग्गजों का आज भी इस बात का मलाल है कि इंग्लैंड की धरती पर सर्वश्रेष्ठ हालात और टीम होने के बावजूद भारत फिफ्टी-फिफ्टी  विश्व कप जीतने से चूक गया. तब पूर्व फील्डिंग कोच आर. श्रीधर (Ramakrishnan Sridhar) इस टीम का हिस्सा थे. तब नंबर-4 बल्लेबाज को लेकर भी खासा विवाद हुआ था. यह वही विश्व कप था, जब अंबाती रायुडु को ड्रॉप करके विजय शंकर को टीम में लिया गया था, जो एकदम सुपर फ्लॉप  फैसला साबित हुआ. और बाद में इसकी गाज बैटिंग कोच संजय मांजरेकर पर गिरी थी. और श्रीधर को अभी तक इस नंबर चार को लेकर हुए विवाद का मलाल है. और उनका मानना है कि इससे बचा जा सकता था. 

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उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि तब हमारे द्वारा लिए गए कई फैसले फलीभूत नहीं रहे. हालांकि, हमारी सबसे बड़ी गलती वह रही, जो समय का दबाव न होने के बावजूद रही. उन्होंने कहा कि वास्तव में मैं साल 2019 विश्व कप में नंबर चार बल्लेबाज की बात कर रहा हूं. हमारे पास नंबर चार बल्लेबाज को हासिल करने के लिए साल 2015 से लेकर 2019 तक चार साल थे. हमारे पास पूरा समय था कि हम किसी एक को इस नंबर पर व्यवस्थित होने का मौका देते. बल्लेबाजी क्रम में नंबर चार बहुत ही अहम क्रम है. इस नंबर पर बल्लेबाज से उम्मीद की जाती है कि वह वह शीर्ष तीन बल्लेबाजों से मिली जिम्मेदारी को आगे बढ़ाते हुए फिनिशरों को जिम्मेदारी दे. 

श्रीधर ने लिखा कि यह वह बल्लेबाज होता है, जो ज्यादा कर समय 80-90 के स्ट्राइक-रेट से बल्लेबाजी कर सके और पारी का समापन सौ के स्ट्राइक-रेट के साथ करे. यह कौशल हासिल किया जाता है और प्रत्येक बल्लेबाज के पास यह नैर्सिगक रूप से नहीं होता. दुर्भाग्यवश, हमने किसी बल्लेबाज को व्यवस्थित होने, नाकाम होने और सीखने का मौका नहीं दिया. उन्होंने किताब में लिखा कि हम तुरंत ही परिणाम चाहते थे. ऐसे में अगर कोई दो या तीन मैचों में नाकाम रहा, तो हम उसे छोड़कर दूसरे खिलाड़ी पर चले गए. वास्तव में, मेरे पास कोई बहाना नहीं है. हमारे पास पूरे सीजन में एक ही कोच संजय बांगड़ थे. विंडीज में साल 2026 दौरे को छोड़कर फील्डिंग कोच भी मैं ही था. जब अनिल कुंबले एक साल तक टीम के कोच थे, तो उस समय शास्त्री और भरत अरुण टीम के साथ नहीं थे. लेकिन इसके बावजूद हमारे पास नंबर चार बल्लेबाज ढूंढने के लिए पर्याप्त समय था. मेरे हिसाब से बल्लेबाज न ढूंढ पाना एक ऐसी गलती रही, जिसे नियंत्रित किया जा सकता था. इस गलती में कई पहलुओं ने योगदान दिया और सबसे जरूरत के समय यह हम पर भारी पड़ी.

पूर्व फील्डिंग कोच ने कहा कि हम इस क्रम पर किसी को तैयार करने में विफल रहे. और इसमें कोई चौंकाने की बात नहीं कि जब हमें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो हमें नंबर चार बल्लेबाज की कमी खली. उन्होंने कहा कि शायद हम इस भाव में बह गए कि हमारे वास शीर्ष क्रम पर रोहित, धवन और विराट जैसे बल्लेबाज हैं. और हार्दिक और धोनी के रूप में दो असाधारण फिनिशर हैं.  इससे नंबर-चार की अहमियत की अनदेखी हो गयी. मुझे लगता है कि हमें इससे सीखने की जरूरत है. और मैं पूरे भरोसे के साथ कह सकता है कि रोहित और द्रविड़ आने वाले विश्व कप में यह गलती नहीं करेंगे

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