सुनील गावस्कर ने अब किया खुलासा, क्यों रखा बेटे का नाम दिग्गज विंडीज रोहन कन्हाई के नाम पर

गावस्कर (#SunilGavaskar) यूं तो पहले कई बार यह कह चुके हैं कि उन्होंने बेटे का नाम रोहन कन्हाई के नाम पर रखा, लेकिन वजह का खुलासा उन्होंने पहली बार किया है. रोहन कन्हाई ने अपने 17 साल के करियर में 79 टेस्ट में 6,227 रन बनाए. इसमें 15 शतक और 28 अर्द्धशतक शामिल हैं. और बाद में रोहन कन्हाई सुनील गावस्कर की प्रेरणा बन गए. 

सुनील गावस्कर ने अब किया खुलासा, क्यों रखा बेटे का नाम दिग्गज विंडीज रोहन कन्हाई के नाम पर

सुनील गावस्कर की फाइल फोटो

खास बातें

  • सनी गावस्कर हैं सिर्फ रोहन कन्हाई से प्रेरित
  • जो रोहन कन्हाई ने किया, वह कोई विरोधी खिलाड़ी नहीं करता!
  • पहली सीरीज में 1971 में कन्हाई ने दी सनी को प्रेरणा
नई दिल्ली:

आज की पीढ़ी ने विंडीज दिग्गज भारतीय मूल के बल्लेबाज रोहन कन्हाई को खेलते हुए नहीं देखा. इस बल्लेबाज ने विंडीज के लिए 79 टेस्ट और 7 वनडे मैच खेले. भारतीय दिग्गज सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) को रोहन कन्हाई के इतने बड़े मुरीद हो गए कि उन्होंने अपने बेटे रोहन गावस्कर (Sunil Gavaskar) का नाम कन्हाई के नाम  पर रखने का फैसला किया. और यह अनायास ही नहीं हुआ, इसके पीछे रही वह प्रेरणा, जिसने सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) को विंडीज की जमीं पर बेहतर करने के लिए प्रेरित किया. गावस्कर यूं तो पहले कई बार यह कह चुके हैं कि उन्होंने बेटे का नाम रोहन कन्हाई के नाम पर रखा, लेकिन वजह का खुलासा उन्होंने पहली बार किया है. रोहन कन्हाई ने अपने 17 साल के करियर में 79 टेस्ट में 6,227 रन बनाए. इसमें 15 शतक और 28 अर्द्धशतक शामिल हैं. और बाद में रोहन कन्हाई सुनील गावस्कर की प्रेरणा बन गए. 

गावस्कर ने एंकर गौरव कपूर के साथ बातचीत में खुलासा किया कि वह अपने करियर में केवल एक बल्लेबाज रोहन कन्हाई से प्रेरित रहे. और इतने ज्यादा प्रेरित रहे कि उन्होंने बेटे का नाम रोहन रखने का फैसला किया. गावस्कर ने कहा कि जब वह बल्लेबाजी कर रहे होते थे, तो रोहन चुपके से उन्हें शतक बनाने के लिए प्रोत्साहित किया करते थे. साथ ही गावस्कर ने विंडीज में अफ्रीकी और भारतीय मूल के लोगों के बीच नस्लीय मुद्दे पर भी रोशनी डाली. 


गावस्कर ने कहा कि रोहन की बल्लेबाजी का मैं बहुत सम्मान करता था, लेकिन इसके अलावा उनके सम्मान की जो वजह है, वह यह है कि वह चुपचाप मुझे प्रोत्साहित किया करते थे. विंडीज में त्रिनिडाड में हमेशा ही भारतीय और अफ्रीकी मूल के  लोगों के बीच  समस्याएं रही हैं. सनी बोले कि मैदान के बाहर मैं जिन बेहतरीन इंसानों से मिला हूं, उनमें रोहन कन्हाई एक थे. अपने बेटे का नाम उनके नाम पर रखना बहुत ही आसान था. गावस्कर ने कहा कि जब वह बल्लेबाजी किया करते थे, तो रोहन कन्हाई पास आकर कान में बोल-बोलकर उन्हें प्रोत्साहित किया करत थे.

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साल 1971 में अपनी पहली सीरीज की घटना को याद करते हुए गावस्कर ने कहा कि जब उन्होंने एक खराब शॉट खेला, तो रोहन पास आकर कान में बोले कि क्या मैं शतक नहीं बनाना चाहता. अब संयोग देखिए कि गावस्कर ने इस सीरीज में तीन शतक और एक दोहरा शतक जड़ा. गावस्कर बोले कि जब मैंने कोई खराब शॉट खेला, तो ओवर खत्म होने के बाद अगले ओवर के लिए स्लिप की तरफ जाते हुए रोहन कान में बोले, ध्यान केंद्रित करो. क्या तुम शतक नहीं बनाना चाहते? आखिर तुम्हारे साथ समस्या क्या है. वह विरोधी टीम में थे, लेकिन मुझ पर ताने नहीं कस रहे थे. वह मुझे शतक बनाते देखना चाहते थे. यह अविश्वसनीय और शानदार बात थी!