
सचिन तेंदुलकर (Sacin Tendulkar) का उदाहरण देते हुए पूर्व कप्तान और बीसीसीआई (BCCI) के बॉस सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) ने कहा है कि जब एमएस धोनी (MS Dhoni) ने भारत के लिए खेलना शुरू किया था, तो धोनी को पूरी स्वतंत्रा से उनके शॉट खेलने के लिए ऊपरी क्रम में भेजना जरूरी था. ध्यान दिला दें कि जब एमएस (MS Dhoni) ने साल 2004 में भारत के लिए आगाज किया था, तो सौरव गांगुली कप्तान थे. शुरुआती कुछ वनडे मैचों में एमएस (Dhoni) के नाकाम रहने के बाद गांगुली ने उन्हें साल 2005 में विशाखापट्टनम में पाकिस्तान के खिलाफ नंबर-3 पर बैटिंग के लिए भेजा. और सौरव के इस फैसले को पूरी तरह सही साबित करते हुए धोनी ने इस मैच में 148 रनों की पारी खेलकर भारत को जीत दिलायी. साथ ही, फिर यहां से माही ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
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सौरव ने इस बाबत सचिन का उदाहरण देते हुए कहा कि सचिन अगर वनडे में लगातार नंबर-6 पर बैटिंग करना जारी रखते, तो कभी भी इतने महान खिलाड़ी नहीं बन पाते. ध्यान दिला दें कि साल 1989 में करियर के आगाज के बाद सचिन ने शुरुआती पांच साल में मिड्ल ऑर्डर में बल्लेबाजी की. यह साल 1994 में पहली बार था, जब सचिन ने पारी की शुरुआत की. और जब एक बार शुरुआत हुई, तो फिर सचिन ने यहां से इतिहास रच दिया.
सौरव ने कहा कि धोनी को विजाग में नंबर-3 पर खेलने का मौका मिला और उसने बेहतरीन शतक जड़ दिया. और जब भी एमएस को ज्यादा ओवर खेलने को मिले, तो उसने हमेशा रन बनाए. अगर तेंदुलकर नंबर-6 पर खेलना जारी रखते, तेंदुलकर नहीं बन पाते, जो वह अपने करियर में बने. तेंदुलकर मिड्ल ऑर्डर से बाहर निकले क्योंकि यहां कम गेंद खेलने को मिलती हैं. सौरव ने कहा कि वह एमएस की क्षमता को तभी समझ गए थे, तब धोनी ने चैलेंजर ट्रॉफी में उनकी टीम के लिए ऊपरी क्रम में खेलते हुए शतक जड़ा था. धोनी ने चैलेंजर ट्रॉफी में पारी की शुरुआ करते हुए शतक जड़ा था. ऐसे में मैं उनकी क्षमता के बारे में जानता था और इसलिए उन्हें पाकिस्तान के खिलाफ नंबर-3 पर भेजा.
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बीसीसीआई बॉस बोले कि क्षमतावान खिलाड़यों को ऊपरी क्रम पर भेजना जरूरी है, जिससे पहले अपनी क्षमता के बारे में अच्छी तरह जान सकें और धोनी भी ऐसा ही खिलाड़ी था. सौरव ने कहा कि एक खिलाड़ी तब ही बनता है, जब आप उसे शीर्ष क्रम में भेजते हो. आप निचले क्रम में भेजकर किसी को खिलाड़ी नहीं बना सकते. मेरा हमेशा से मानना रहा है कि आप किसी को ड्रेसिंग रूम में बैठाकर बड़ा खिलाड़ी नहीं बना सकते. जिस तरह की क्षमता और बड़े छक्के लगाने की योग्यता धोनी रखता था, वह बहुत ही खास थी. करियर के आखिरी दौर में एमएस ने अपने खेल को बदल लिया, लेकिन जब एमएस नया था, तो उसे आजाद करना बहुत ही महत्वपूर्ण था. हालांकि, गांगुली ने अफसोस जताते हुए कहा कि धोनी ने नियमित रूप से वनडे में टॉप ऑर्डर में उतना निरंतरता से नहीं खेले, जितना उन्हें खेलना चाहिए था. जब मैंने संन्यास लिया, तो मैंने कई बार अपने विचारों को रखा कि धोनी को ऊपरी क्रम में बैटिंग करनी चाहिए थी.
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