अब शारदूल ठाकुर को खुद को यह कहलाना है पसंद, ऑस्ट्रेलिया दौरे को लेकर बतायी कई बातें

शारदूल (Shardul Thakur) ने कहा, ‘यह उसके लिए भावनात्मक श्रृंखला थी. हाल में उसके पिता का निधन हो गया और उसने बताया कि कैसे उसके पिता चाहते थे कि वह क्रिकेट खेले. वह भले ही इस दुनिया में मौजूद नहीं है लेकिन वह जहां भी हैं वहां से उसे देख रहे हैं और उसे पांच विकेट हासिल करते हुए देखकर उन्हें बहुत खुशी हुई होगी

अब शारदूल ठाकुर को खुद को यह कहलाना है पसंद, ऑस्ट्रेलिया दौरे को लेकर बतायी कई बातें

शारदूल ठाकुर ने टीम इंडिया को अच्छा विकल्प दिया है

मुंबई:

शारदूल ठाकुर (Shardul Thakur) ने दो साल पहले पदार्पण के बाद अब असली पदार्पण किया और इस क्रिकेटर ने कहा कि ब्रिसबेन में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट जीत में अपने प्रभावी प्रदर्शन से उन्होंने सिर्फ एक तेज गेंदबाज से गेंदबाजी ऑलराउंडर का सफर तय किया. शारदूल ने मैच में सात विकेट चटकाए जबकि वह भारत की पहली पारी में आठवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए 67 रन के साथ शीर्ष स्कोरर भी रहे. उन्होंने वॉशिंगटन सुंदर के साथ 123 रन की साझेदारी करके मेहमान टीम को मुश्किल से उबारा. टीम इंडिया अंतत: तीन विकेट से मैच जीतने में सफल रही. शारदूल (Shardul Thakur) ने 2018 में पदार्पण किया था लेकिन तब चोट के कारण सिर्फ 10 गेंद फेंक पाए थे. प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सात अर्धशतक जड़ने वाले शारदूल (Shardul Thakur) ने पालघर जिले में अपने गृहनगर से पीटीआई को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘हां, मुझे गेंदबाजी ऑलराउंडर कहा जा सकता है, मेरे पास बल्लेबाजी करने की क्षमता है और यहां तक कि भविष्य में मुझे जब भी बल्लेबाजी का मौका मिलेगा तो मैं टीम के स्कोर में उपयोगी योगदान दूंगा.'शारदूल (Shardul Thakur) के पास ब्रिसबेन में दूसरी पारी में पांच विकेट चटकाकर इस प्रदर्शन को और यादगार बनाने का मौका था लेकिन उन्हें इससे चूकने का मलाल नहीं है बल्कि साथी तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज के लिए खुशी है जिन्होंने असल में पारी में पांच विकेट चटकाए.

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उन्होंने कहा, ‘नहीं, मुझे दूसरी पारी में पांच विकेट हासिल करने से चूकने का कोई मलाल नहीं है. मेरे कहने का मतलब है कि अगर मैं पांच विकेट चटकाता तो अच्छा होता लेकिन मुझे सिराज के लिए खुशी है और मैंने प्रार्थना की थी कि उसे पांच विकेट मिले क्योंकि वह मुश्किल समय का सामना कर रहा था.' सिराज जब टीम के साथ थे तब भारत में उनके पिता का निधन हो गया लेकिन उन्होंने ऑस्ट्रेलिया में ही रुकने का फैसला किया और स्वदेश लौटने का विकल्प मिलने के बावजूद राष्ट्रीय टीम की ओर से खेलने का फैसला किया.


शारदूल ने कहा, ‘यह उसके लिए भावनात्मक श्रृंखला थी. हाल में उसके पिता का निधन हो गया और उसने बताया कि कैसे उसके पिता चाहते थे कि वह क्रिकेट खेले. वह भले ही इस दुनिया में मौजूद नहीं है लेकिन वह जहां भी हैं वहां से उसे देख रहे हैं और उसे पांच विकेट हासिल करते हुए देखकर उन्हें बहुत खुशी हुई होगी.' उन्होंने कहा, ‘इसलिए जब मैंने कैच पकड़ा तो मैं बेहद खुश था. मैंने कहा कि भगवान का शुक्र है कि सिराज को पांच विकेट मिले.' शारदूल अपने प्रदर्शन से काफी संतुष्ट हैं और इस 29 वर्षीय क्रिकेटर ने कहा कि यह विशेष प्रदर्शन था क्योंकि यह उन्होंने मुश्किल हालात और मजबूत विरोधी के खिलाफ किया.

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उन्होंने कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिसबेन में खेलना आसान नहीं होता, सभी को ब्रिसबेन में उनके रिकॉर्ड के बारे में पता है, उन्होंने 1988 से वहां कोई टेस्ट मैच नहीं गंवाया था जब तक कि हमने उन्हें नहीं हराया.' मैच में 155 रन देकर सात विकेट चटकाने वाले शारदुल जब पहली पारी में बल्लेबाजी के लिए उतरे तो भारत 186 रन पर छह विकेट गंवाने के बाद संकट में था. शारदूल ने कहा, ‘मुझे लगता है कि जब मैं पहली पारी में बल्लेबाजी के लिए उतरा तो मेरी भूमिका काफी स्पष्ट थी. हम मुश्किल हालात में थे, हमने 186 रन पर छह विकेट गंवा दिए थे और उस समय यही योजना थी कि मुझे और वॉशिंगटन (सुंदर) को जितना अधिक समय संभव हो उतनी बल्लेबाजी करनी है.'शॉरदूल के अनुसार उनके और वॉशिंगटन के बीच मैच का रुख बदलने वाली साझेदारी के दौरान आपसी संवाद सफलता के लिए अहम था.

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