कहीं अब्दुल्ला शफीक का हाल इन 5 पाकिस्तानी ओपनर जैसा न हो जाए, जितनी तेजी से चमके, गायब भी हो गए

Sl vs Pak: पिछले करीब 2 दशक में पाकिस्तान ने करीब 32 ओपनरों को आजमाया है, लेकिन उंगली पर गिनने लायक रहे, जिन्होंने पहचान स्थापित की

कहीं अब्दुल्ला शफीक का हाल इन 5 पाकिस्तानी ओपनर जैसा न हो जाए, जितनी तेजी से चमके, गायब भी हो गए

पाकिस्तान के नए ओपनर अब्दुल्लाह शफीक के खासे चर्चे हैं

खास बातें

  • पिछले करीब 2 दशक में 32 ओपनरों का इस्तेमाल
  • ओपनरों में कई बड़े नाम रहे एकदम नाकाम
  • कुछ का 20 टेस्ट से पहले ही करियर खत्म हो गया
नई दिल्ली:

पाकिस्तान क्रिकेट के इतिहास में ओपनिंग बल्लेबाजी किसी भी दौर में चैलेंज रही है. बहुत कम ही ऐसे बल्लेबाज हुए हैं, जिन्होंने खुद की पहचान स्थापित की. पिछले करीब दो दशकों में 32 बल्लेबाजों को ओपनर के रूप में आजमाया गया. इनमें अजहर अली, फवाद अलाम, कामरान अकमल और यहां तक शोएब मलिक भी शामिल रहे. इनमें से कइयों ने दूसरे रोल में कहीं बेहतर भूमिका निभाई. बहरहाल, 32 ओपनरों की सूची में अब नया नाम अब्दुल्ला शफीक का है, जिन्होंने श्रीलंका के खिलाफ पहले टेस्ट में नाबाद 160 रन की  पारी खेली थी.  लंबी सूची में चंद ही रहे, जिन्होंने बतौर ओपनर छाप छोड़ी, तो कुछ ऐसे ही रहे, जिन्हें बहुत ऊंचा आंका गयाा, लेकिन वे उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे और असमय ही तस्वीर से गायब हो गए. ये बीस से भी ज्यादा टेस्ट नहीं खेल सके. चलिए बारी-बारी से आपको मिलवा देते हैं. 

यासिर हमीद: 11 टेस्ट में 546 रन,क औसत 26.00 का

इस  सलामी बल्लेबाज को तकनीकी रूप से काफी बेहतर माना गया था. हमीद की खासियत यह रही कि उन्होंने पहले ही टेस्ट में नंबर तीन पर बांग्लादेश के खिलाफ107 और 105 रन की पारी खेलकर शुरुआत दी, लेकिन जैसे ही उन्हें ओपनर बनाया गया, तो चीजें गड़बड़ाती चली गयीं. भारत के दौरे में भी उन्होंने 91 रन बनाए. पर ओपनर बनते ही यासिर को मानो नजर लग गयी. 25 में से 11 टेस्ट हमीद ने शीर्षक्रम में खेले, लेकिन 25 पारियों में उनके बल्ले से 4 ही पचासे निकले. उनकी दो बार साल 2007 और 2010 में वापसी भी हुई, लेकिन जल्द ही उनका सितारा अस्त हो गया. 


इमरान नजीर: 8 टेस्ट में 32.84 का औसत

इमरान नजीर ऐसे बल्लेबाज थे, जिन्हें एक समय इमरान ने सचिन जैसा बल्लेबाज बताया था. नजीर बैकफुट पर खासे प्रचंड शॉट लगाते थे और उन्हें टेस्ट क्रिकेट के अपने शुरुआती दिनों में  लगभग डेढ़ सौ के स्ट्राइक रेट से रन बटोरे. नजीर सिर्फ 17 साल की उम्र में ही टेस्ट टीम में आ गए थे. पहले ही टेस्ट में उन्होंने 64 और 17 रन की पारी खेली, लेकिन अगला टेस्ट खेलने के लिए उन्हें एक साल का इंतजार करन पड़ा. वापसी पर वह विंडीज के खिलाफ 131 रन बनाकर टेस्ट में शतक बनाने वाले तीसरे सबसे युवा बल्लेबाज बन गए. साल 2000 के आखिर तक वह टीम से बाहर हो गए क्योंकि और नाम सामने आ गए. कुल मिलाकर वह 8 ही टेस्ट खेले. हैरानी की बात यह रही कि 17 साल की उम्र में डेब्यू करने और दो शतक बनाने के बावजूद वह 8 ही टेस्ट खेल सके. 

खुर्रम मंजूर: 15 टेस्ट में 740 रन और 27.40 का औसत

घरेलू क्रिकेट में रनों का ढेर लगाने के बाद खुर्रम को 22 साल की उम्र में सलमान बट्ट के साथ पारी शुरू करने का मौका मिला. सा 2009 में श्रीलंका के खिलाफ अपनी दूसरी ही टेस्ट पारी में अर्द्धशतक बनाया खुर्रम ने, लेकिन 9 महीने  बाद ही वह बाहर हो गए. फिर तीन साल बाद वापस लौटे. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ शतक भी जड़ा, लेकिन अगली 13 पारियों में सिर्फ 2 पचासे निकले. नतीजा साल 2014 के आखिर तक करिर खत्म हो गया.

अहमद शहजाद: 13 टेस्ट में 40.91 के औसत से 982 रन

इस बल्लेबाज के पास मनोदशा थी टेस्ट क्रिकेट की और यह ज्यादा टेस्ट खेलने का अधिकारी था. शहजाद के बल्ले से तीन शतक और 4 अर्द्धशतक निकले. 176 रन की पारी खेलकर दिखाया कि वह बड़ा  स्कोर बनाना जानते हैं. शुरुआती 3 टेस्ट में ही उन्होंने 147 रन की पारी खेली. फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक और न्यूजीलैंड के खिलाफ 176 रन बनाए. अपने आठवें ही टेस्ट में हफीज के साथ रिकॉर्ड साझेदारी की. लेकिन इस पारी का अंत बुरा हुआ. एक तीखी बाउंसर उनके हेलमेट पर लगी और सिर में हल्का फ्रेक्चर भी आया. अगले सात महीने तक वह कोई टेस्ट नहीं खेले. वापसी में छह पारियों में सिर्फ एक अर्द्धशतक आया. साल 2018 में डोपिंग के कारण बैन लगा, तो करियर भी खत्म हो गया.

सामी असलम: 13 टेस्ट में 31.58 के औसत से 758 रन
अंडर-19 में बेहतरीन प्रदर्शन से लेफ्टी सामी असलम निगाहों में आए थे और 20 साल का होने से पहले ही पहला टेस्ट खेल लिया. करियर के तीसरे ही टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ उन्होंने 2 अर्द्धशतक जड़े. करियर के 10वें टेस्ट तक  वह छह अर्द्धशतक  जड़ चुके थे. लेकिन हफीज और अजहर अली का उभार हुआ, तो साल 2017 से सामी असलम रेस में पिछड़ गए. समस्या यहीं ही खत्म नहीं हुई. इमाम-उल-हक, फखर जमां, आबिद अली और फिर से आए शान मसूद फिर से उभरे, तो असलम पूरी तरह से गायब हो गए.  साल 2020 में वह 25 साल के भी नहीं हुए थे कि उन्होंने अमेरिका में बसने का फैसला कर लिया. 
 

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