
साल 1987 वर्ल्डकप (1987 World Cup) में महान कपिल देव (Kapil Dev) ने चेन्नई के एम.ए.चिदंबरम स्टेडियम पर ऑस्ट्रेलिया (Australia) के खिलाफ हुए मैच में दरियादिली दिखाई थी जिसने क्रिकेट फैन्स और क्रिकेट पंडितों का दिल जीत लिया था, लेकिन भारतीय टीम (Indian Cricket Team) को हार का सामना करना पड़ा था. 9 अक्टूबर 1987 को वर्ल्डकप के दौरान ऑस्ट्रेलिया के खिलाऱफ मैच में भारत के कप्तान कपिल देव (Kapil Dev) ने टॉस जीतकर पहले ऑस्ट्रेलिया को बल्लेबाजी करने का निमंत्रण दिया. पहले बल्लेबाजी करने उतरी ऑस्ट्रेलियाई टीम के ज्योफ मार्श ने शानदार शतक 110 रन बनाए. शतक जमाने के बाद ज्योफ मार्श आउट हुए तो बल्लेबाजी करने डीन जोंस (Dean Jones) आए. जोंस ने अपनी बल्लेबाजी के दौरान भारतीय स्पिनर मनिंदर सिंह सिंह (Maninder Singh) की गेंद पर लांग ऑन बाउंड्री की ओर हवा में शॉट खेला, जहां रवि शास्त्री (Ravi Shastri) मौजूद थे.
शास्त्री ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज डीन जोंस के द्वारा मारे गए शॉट को कैच में तब्दील नहीं कर पाए. लेकिन गेंद चौके के लिए चली गई. शास्त्री ने फील्ड अंपायर को इशारा करके बताया कि गेंद चौका है. ऐसे में अंपायर ने 4 रन की ही फैसला लिया, वहीं बल्लेबाज जोंस अंपायर के इस फैसले से सहमत नहीं थे. उन्होंने अंपायर से कहा कि यह चौका बल्कि छक्का है, क्योंकि उन्हें ऐसा लगा कि गेंद गिरने के बाद बाउंड्री को टच की है.
खैर, अंपायर ने इस फैसले को नहीं माना और चौके पर ही अपनी सहमती जताई. ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी कर 268 रन बनाए. बाद में जब लंच ब्रेक हुए तो ऑस्ट्रेलिया टीम के मैनेजर एलन क्रोम्प्टोन अंपायर के पास गए और उनके फैसले पर आपत्ती जताई. अंपायर डिकी बर्ड से इस बारे में बात की और फिर भारतीय कप्तान कपील देव के पास गए. कपिल देव ने अंपायर की बात को सुनी और दरियादिली दिखाते हुए चौके को छक्के में बदलने के लिए अपनी सहमती दे दी.
अब ऑस्ट्रेलिया का स्कोर 268 से 270 हो गया था. ऐसे में भारतीय टीम को जीत के लिए 271 रनों का लक्ष्य मिला. लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम की ओर से श्रीकांत ने 70 रन, नवजोत सिंह सिंद्धू 79 गेंद पर 73 रन बनाए. दोनों की जिस तरह से बल्लेबाजी कर रहे थे उससे ऐसी उम्मीद थी कि लक्ष्य का भारतीय टीम हासिल कर लेगी. लेकिन दोनों बल्लेबाज के आउट होने के बाद भारतीय पारी लड़खड़ा गई.
भारतीय टीम 49.5 ओवर में 269 रन बनातक ढ़ेर हो गई और भारत को 1 रन से हार का सामना करना पड़ा. यदि भारतीय कप्तान कपिल देव अंपायर के पहले वाले फैसले के साथ जाते तो भारतीय टीम यह मैच जीत जाती. लेकिन कपिल देव की उस खेल भावना के कारण यकीनन भारतीय टीम का हार मिली लेकिन क्रिकेट की जीत जरूर हुई थी.
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