
पहले चैंपियंस ट्रॉफी में बुरा हाल. और अब यह तस्वीर! निश्चित तौर पर पाकिस्तानी क्रिकेट में थोड़ी बहुत नहीं, बल्कि बहुत बड़ी गड़बड़ है. अब आप देखें न कि इंग्लैंड के मशहूर फॉर्मेर 'द हंड्रेड' के लिए 50 पाकिस्तानी क्रिकेटरों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन बहुत ही ज्यादा हैरानी की बात है कि एक को भी खरीददार नहीं मिला. पाकिस्तान की ओर से नसीम शाह, सैम अयूब और शादाब खान जैसे खिलाड़ी टॉप ब्रैकेट में शामिल थे, लेकिन एक पर भी किसी ने बोली नहीं लगाई.
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नसीम शाह और शादाब खान सबसे टॉप ब्रैकेट (1,20,000 पाउंड) में शामिल थे, जबकि सैम अयूब ने खद को 78,500 के ब्रैकेट में रखा था. वैसे कुछ ऐसा ही हाल पाकिस्तानी महिला खिलाड़ियों का भी हुआ. इसमें आलिया रियाज, फातिमा सना, यूसरा आमिर, इरम जावेद और जावेरिया रऊफ शामिल हैं. इनको भी किसी ने भी नहीं खरीदा.
वैसे पाकिस्तानी खिलाड़ियों के न बिकने की एक वजह यह भी बताई जा रही है क्योंकि हंड्रेड की टीमों से भारतीय ऑनर जुड़े हैं. फिलहाल, चार आईपीएल फ्रेंचाइजी की अलग-अलग हंड्रेड टीमों में हिस्सेदारी हैं. इसमें मुंबई इंडियंस की ओवल इनविंसिबल, लखनऊ सुपर जॉयंट्स की मैनचेस्टर ओरिजिनल, सनराइजर्स हैदराबाद की नॉर्दर्न सुपरचार्जर्स और दिल्ली कैपिटल्स की हिस्सेदारी साउर्न ब्रेव टीम में है.
इसके अलावा एक भारतीय-अमेरिकी बिजनेसमैन संजय गोविल हैं, जिन्होंने वेल्स फायर में पचास फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है. वहीं, एक और क्रिकेट इन्वेस्टर होल्डिंग लि. है. यह सिलिकॉन वैली के टेक बिजनेसमैन का समूह है, जिसकी लंदन स्प्रिट में 49 प्रतिशत हिस्सेदारी है. वैसे जहां आईपीएल फ्रेंचाइजी के मालिकों के प्रभाव की अनदेखी नहीं की जा सकती है, तो पाकिस्तानी क्रिकेटरों के न बिकने की वजह व्हाइट-बॉल फॉर्मेट में उनकी बहुत ही खराब फॉर्म का होना है. इनके हालिया प्रदर्शन के कारण टीम मालिकों ने पाकिस्तानी क्रिकेटरों में निवेश करने में कोई रुचि नहीं दिखाई है.
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