
ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा को लगाता है कि टीम इंडिया के तेज गेंदबाज ईशांत शर्मा को भारतीय टीम में अपनी भूमिका को पहचानने की जरूरत है. उनका मानना है कि मुख्य गेंदबाज के बजाय वह कामगार की भूमिका अधिक निभाते हैं. मैक्ग्रा ने ईशांत को सलाह देते हुए कहा है कि टीम इंडिया के इस तेज गेंदबाज को नियमित तौर पर सीम के सहारे गेंद को पिच कराना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘आपको सीम के सहारे गेंद को पिच कराना होगा और पिच से मिलने वाले थोड़े मूवमेंट से मदद मिलेगी.
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गौरतलब है कि ईशांत ने इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट मैच में अच्छा प्रदर्शन किया. पहले टेस्ट की दूसरी पारी में उन्होंने पांच विकेट लिए. उनकी गेंदबाजी की बदौलत ही टीम इंडिया, इंग्लैंड टीम को दूसरी पारी में 180 रन पर समेटने में सफल रही थी. ईशांत ने मैच में सात विकेट लिए थे. मैक्ग्रा को खुशी है कि इस तेज गेंदबाज ने धीरे-धीरे परिस्थितियों से सामंजस्य बिठा लिया है. मैक्ग्रा ने कहा, ‘जब ईशांत ने शुरुआत की थी तो अपनी तेजी से क्रिकेट जगत का ध्यान अपनी तरफ खींचा था. वह अब शायद उसी तेजी से गेंदबाजी नहीं कर रहा है लेकिन अब वह अधिक अनुभवी गेंदबाज है जिसका अपनी गेंदों पर अच्छा नियंत्रण है. एजबेस्टन टेस्ट में दिखा कि ईशांत ने परिस्थितियों से बेहतर सामंजस्य बिठाना शुरू कर दिया है.’
The squad's en route to Lord's! #TestSquad@klrahul11 @ImIshant @mvj888 @karun126 pic.twitter.com/Ho0VOI93Dl
— cheteshwar pujara (@cheteshwar1) August 6, 2018
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हालांकि मैक्ग्रा का मानना है कि उप महाद्वीप के विकेटों पर खेलने के कारण संभवत: ईशांत शर्मा का रिकॉर्ड प्रभावशाली नहीं है. उन्होंने 83 टेस्ट मैचों में केवल 244 विकेट लिए हैं. ऑस्ट्रेलिया की तरफ से 124 टेस्ट मैचों में 563 विकेट लेने वाले मैक्ग्रा ने कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत में अधिकतर पिचों पर खेलना आसान नहीं है. संभवत: उन्हें (ईशांत को) अधिक स्पेल करने का मौका नहीं मिला. उन्हें एक अग्रणी गेंदबाज के बजाय कामगार की तरह अधिक उपयोग किया गया. ऑस्ट्रेलिया के इस पूर्व गेंदबाज ने कहा, 'मुझे लगता है कि उन्हें यह समझने की जरूरत है कि वह किस भूमिका में फिट बैठते हैं.’ मैक्ग्रा का मानना है कि ईशांत को नियमित तौर पर सीम के सहारे गेंद को पिच कराना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘आपको सीम के सहारे गेंद को पिच कराना होगा और पिच से मिलने वाले थोड़े मूवमेंट से मदद मिलेगी. मेरा मुख्य हथियार उछाल और थोड़ा सीम मूवमेंट थे. मेरे मामले में वार्न, ली और गिलेस्पी दूसरे छोर से गेंदबाजी करके दबाव बनाते थे.’
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मैक्ग्रा ने कहा, ‘मुझे लंबे स्पैल करना पसंद था और इससे मदद मिलती थी. अगर आप हमेशा शॉर्ट ऑफ लेंथ गेंदबाजी करते हो तो आप रनों पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रहे हों जबकि आपको विकेट लेने की जरूरत होती है.’उनका मानना है कि ससेक्स की तरफ से ऑस्ट्रेलियाई तेज गेंदबाज जेसन गिलेस्पी की देखरेख में डेढ़ महीने खेलने का ईशांत को फायदा मिला. मैक्ग्रा ने कहा, ‘अगर आप भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में एक ही लेंथ से गेंदबाजी करते हो तो आप सफल नहीं हो सकते. इंग्लैंड में गेंद स्विंग लेती है और आपको उसे थोड़ा आगे पिच कराना होगा. ऐसे में ससेक्स के लिये खेलने से उसे फायदा मिला.’उन्होंने कहा, ‘मेरे दोस्त जैसन गिलेस्पी ने कोच के रूप में बहुत अच्छा काम किया है. मैं 2000 और 2004 में काउंटी में खेला था और इंग्लैंड की परिस्थितियों में गेंदबाजी करने के बारे में तब मैंने काफी कुछ सीखा था.’(इनपुट: भाषा)