
India vs New Zealand Final: दो राय नहीं कि चैंपियंस ट्रॉफी (Champions Trophy 2025) में ग्रुप स्टेज तक दुबई के दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम में भारतीय स्पिनरों का खासा बोलबाला रहा है. और टीम इंडिया के आखिरी दो मैचों में तो मामला इस स्तर तक पहुंच गया कि प्रबंधन ने चार स्पिनरों को XI का हिस्सा बनाया. और अब एक बार फिर से सौ फीसद उम्मीद यही है कि भारतीय टीम इसी कॉम्बिनेशन के साथ मैदान पर उतरेगी, तो दांव कीवी भी स्पिनरों पर ही लगाएंगे क्योंकि फाइनल की पिच भी पिछले मैचों से अलग होने नजीं जा रही. हालांकि, भारत की तुलना में कीवी टीम में स्पिनरों या कहें विशुद्ध स्पिनरों की संख्या कम है, लेकिन कप्तान सैंटनर (Mitchell Santner) के रूप में न्यूजीलैंड के पास एक ऐसा स्पिनर है, जो दिन विशेष पर बड़ा खेला कर सकता है. और पिछले कुछ सालों में यह किसी से भी नहीं छिपा है कि लेफ्ट-आर्म स्पिनरों के खिलाफ कप्तान रोहित (Rohit Sharma) और विराट कोहली (Virat Kohli) को कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. कुल मिलाकर दोनों ही टीमें फाइनल का अपना-अपना "स्पिन जाल" बुनने में व्यस्त हैं. अब कौन इस जाल को अच्छी तरह काटेगा, किसी शह होगी और किसकी मात, यह तो रविवार को ही साफ होगा. चलिए टूर्नामेंट में अभी तक के सफर में दोनों टीमों के "स्पिन जाल' पर नजर दौड़ा लेते हैं कि कि किसका जाल कितना मारक और कितना प्रभावी रहा है.

भारत का जाल बहुत ही मारक है
भारत के लिए अभी तक वरुण ने 20, अक्षर पटेल ने 37, जडेजा ने 32 और कुलदीप यादव ने 36.3 ओवर गेंदबाजी की. इसमें वरुण 7 विकेट लेकर सबसे सफल भारतीय स्पिनर रहे हैं, तो अक्षर ने 5, कुलदीप ने 5 और जडेजा ने 4 विकेट लिए हैं. इन चारों ने मिलकर चार मैचों में 125.3 ओवर गेंदबाजी की है. मतलब हर मैच में कप्तान रोहित ने लगभग तीस ओवर गेंदबाजी स्पिनरों से कराई है. इन ओवरों में भारतीय स्पिनरों ने 594 रन देकर 21 विकेट चटकाए हैं और बॉलरों का इकॉनमी रन-रेट करीब 4.70 का का रहा है. स्पिनरों का दबदबा कैसा रहा है, यह आप इससे समझ सकते हैं कि भारतीय स्पिनरों ने हर मैच में 5.25 विकेट चटकाए हैं. जाहिर है कि टीम इंडिया ने स्पिन जाल बहुत ही घातक है.
न्यूजीलैंड भी कमजोर नहीं है!
न्यूजीलैंड की बात करें, तो उसके लिए सैंटनर ने 40, पार्टटाइमर रचिन रवींद्र ने 11, ब्रेसवेल ने 39 और ग्लेन फिलिप्स ने 14 ओवर फेंके हैं. इसमें सैंटनर ने वरुण के बराबर 7, ब्रेसवेल ने 6, फिलिप्स ने दो और रचिन रवींद्र ने दो विकेट चटकाए हैं. जहां भारत के पास सभी चार विशुद्ध स्पिनर या स्पिन ऑलराउंडर हैं, तो कीवी टीम के लिए तीसरे स्पिनर की भूमिका रिचन और फिलिप्स मिलकर निभा रहे हैं. और यहीं न्यूजीलैंड भारत से पिछड़ जाता है.

Photo Credit: X/@mufaddal_vohra
कुल मिलाकर न्यूजीलैंड के स्पिनरों ने चार मैचों में 104 ओवर गेंदबाजी की है, जो भारत के मुकाबले करीब 20 ओवर कम है, जो उसकी टीम में एक और स्पिनर की कमी को साफ बता है. इन ओवरों में कीवी स्पिनरों ने 518 रन देकर 17 विकेट चटकाए हैं. यानी भारत के मुकाबले 4 विकेट कम. वैसे तुलनात्मक रूप से भारत से एक या दो विशुद्ध स्पिनर कम देखते हुए यह प्रदर्शन खराब नहीं है. कीवी स्पिनरों का इकॉनी रन-रेट भी करीब 4.98 का रहा है. भारत से मामूली सा ज्यादा, तो वहीं न्यूजीलैं स्पिनरों ने हर मैच में 4.25 विकेट चटकाए हैं. मतलब भारत से एक कम.
कुल मिलाकर फाइनल का स्पिन जाल का मुकाबला बहुत ही रोचक होने जा रहा है. अब देखने की बात यह होगी कि किस टीम का जाल कितना ज्यादा मारक साबित होता है क्योंकि तुलनात्मक रूप से कमजोर होने के बावजूद न्यूजीलैंड को इस मामले में वास्तव में मैदान पर कमजोर करके नहीं आंका जा सकता है.
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