Eng vs Ind 1st Test: सुनील गावस्कर की फाइल फोटो
खास बातें
- टीम इंडिया क्रिकेट खेलने गई है या कुछ और काम करने-गावस्कर
- 14 दिन के अंतराल में सिर्फ 1 प्रैक्टिस मैच क्यों?
- क्या दक्षिण अफ्रीका दौरे से टीम ने कुछ सीखा?
बर्मिंघम: इंग्लैंड के हाथों बर्मिंघम में खेले गए पहले टेस्ट (Eng vs Ind, 1st Test) में मिली 31 रन से मिली हार के बाद दिग्गज सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar lash out at team India) ने कप्तान विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट की सोच और रवैये पर सवाल उठाए हैं. वास्तव में गावस्कर के इन सवालो में बहुत ही ज्यादा वजन है. और अगर वास्तव में भारतीय टीम मैनेजमेंट इन सवालों के पहलुओं के लिहाज से पहले टेस्ट की तैयारी करता, तो कौन जानता है कि टीम इंडिया सीरीज में मेजबान की जगह बढ़त पर होती. चलिए हम आपको बारी-बारी से गावस्कर के उन अहम प्वाइंट्स के बारे में बताते हैं, जो उन्होंने पहले टेस्ट में हार के बाद उठाए हैं.
1. गावस्कर ने सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात पर जताई कि पहले टेस्ट मैच से पहले टीम को पांच दिन का अवकाश क्यों दिया गया. गावस्कर ने एसेक्स के खिलाफ खेले गए चारिदनी मुकाबले को तीनदिनी मैच में बदलने को मुद्दा बनाते हुए कहा कि जहां विराट कोहली लंबा अवकाश लेने के बाद भी खुद को समायोजित कर सकते हैं, अन्य खिलाड़ियों पर यह बात लागू नहीं होती. विराट कोहली और टीम मैनेजमेंट को यह समझना था कि अन्य बल्लेबाजों को ज्यादा मैच प्रैक्टिस की जरूरत थी.
2. गावस्कर ने कहा कि इस साल के शुरू में दक्षिण अफ्रीका में हुई हार से क्या भारत ने कुछ सीखा? क्या उन्होंने यह नहीं सीखा कि टेस्ट सीरीज जीतने के लिए मैच प्रैक्टिस बहुत ही ज्यादा जरूरी है. खासतौर पर विदेशी जमीं पर. क्या इंग्लैंड के खिलाफ इस बड़ी सीरीज से पहले एसेक्स के खिलाफ सिर्फ एक प्रैक्टिस मैच खेलना काफी था.
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3. गावस्कर ने कहा कि वनडे सीरीज का आखिरी मुकाबला 17 जुलाई को खेला गया. और टेस्ट मैच 1 अगस्त से शुरू होना था. इस दौरान 14 दिन के अंतराल पर टीम इंडिया ने पहला टेस्ट शुरू होने तक सिर्फ एक ही अभ्यास मैच खेला. उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि आप इंग्लैंड क्रिकेट खेलने गए हैं या किसी और दूसरी बात के लिए? गावस्कर बोले कि यह सही है कि खिलाड़ियों ने घंटों नेट प्रैक्टिस की, लेकिन यही काफी नहीं है. आपको मैच भी खेलने पड़ते हैं. मैच प्रैक्टिस की अहमयित पर जोर डालते हुए गावस्कर ने कहा कि आप प्रैक्टिस में खूब थ्रो-डाउन कर सकते हैं. लेकिन इसकी तुलना कभी भी मैच प्रैक्टिस से नहीं हो सकती. आप थ्रो-डाउन में आउट हो जाते हो, लेकिन जानते हो कि आगे भी आप बैटिंग करने जा रहे हो.
4. गावस्कर ने कहा कि भारतीय मैनेजमेंट ने एक और गलती एक और अतिरिक्त बल्लेबाज को न खिलाने को लेकर की. उन्होंने कहा कि अगर यह मेरे ऊपर होता, तो विदेशी जमीं पर पहले टेस्ट में मैं हमेशा ही छह बल्लेबाजों के साथ उतारूंगा. इसके बाद विकेटकीपर और अश्विन के साथ बल्लेबाजी में और गहराई आ जाती है. इसके बाद अगर आपके शीर्ष चार बल्लेबाज फॉर्म में होते हैं, तो आप बाकी मैचों में आप पांच गेंदबाजों के साथ जा सकते हैं. समय की मांग यह है कि आप बल्लेबाजी को मजबूत करें.
5. गावस्कर ने कहा कि हर कोई कह रहा है कि टीम इंग्लैंड में एक महीने से है, लेकिन इस दौरान वह सफेद गेंद से खेल रहे थे. सफेद गेंद लाल गेंद जितनी स्विंग नहीं होती. खास तौर पर ड्यूक की लाल गेंद. टीम ने दक्षिण अफ्रीका के अनुभव से बिल्कुल नहीं सीखा. वहां टीम के पास ज्यादा समय नहीं था. उनके पास एक दो दिनी प्रैक्टिस मैच था, जो रद्द हो गया था. शुरुआती दो टेस्ट के बाद ही भारत तीसरे टेस्ट में अच्छा खेला. पर यहां पांच टेस्ट मैचों की सीरीज है. अगर आप दो टेस्ट मैच के बाद जीतना शुरू करते हो, तो तब तक आपके लिए सीरीज खत्म हो सकती है.
VIDEO: पिछले साल सुनील गावस्कर ने टीम इंडिया के एक खास गुण के बारे में बताया था.
वास्तव में सुनील गावस्कर ने बहुत महत्वूपर्ण प्वाइंट्स या कहें खामियों को पकड़ा है. इससे बीसीसीआई की दौरा निर्धारण कमेटी पर भी सवाल खड़े होते हैं कि 14 दिन के अंतराल पर कम से कम दो प्रैक्टिस मैचों की व्यवस्था क्यों नहीं की गई. वहीं टीम मैनेजमेंट की सोच भी सवाल के घेरे में आ गई कि आखिर खिलाड़ी मैच से ज्यादा नेट प्रैक्टिस को अहमियत क्यों दे रहे हैं.