Ind vs Eng: नॉटिंघम टेस्‍ट में टीम इंडिया के लिए 'खतरे की घंटी', राहत की बात है केवल यह..

Ind vs Eng: नॉटिंघम टेस्‍ट में टीम इंडिया के लिए 'खतरे की घंटी', राहत की बात है केवल यह..

इंग्‍लैंड की तेज गेंदबाजी के आगे भारतीय टीम सीरीज में संघर्ष करती नजर आई है

खास बातें

  • इस मैदान पर ही तेज गेंदबाज का पलड़ा भारी रहा है
  • मौसम भी रह सकता है ऐसी गेंदबाजी के लिए मददगार
  • भारत को इस मैदान पर रिकॉर्ड रहा है कुछ बेहतर
नई दिल्‍ली:

पहले बर्मिंघम और फिर लॉर्ड्स टेस्‍ट में बल्लेबाज़ी के ढहने के कारण टीम इंडिया को हार का सामना करना पड़ा. अब बारी नॉटिंघम के ट्रेंटब्रिज मैदान की है. नॉटिंघम टेस्‍ट से पहले भी विराट कोहली की टीम इंडिया के लिए 'खतरे की घंटी' है. इस मैदान पर भी पलड़ा तेज़ गेंदबाज़ों का ही भारी है. इंग्‍लैंड के तेज गेंदबाजों के खिलाफ लॉर्ड्स में भारतीय बल्‍लेबाजी बुरी तरह संघर्ष करती नजर आई थी. भारतीय टीम के लिए संतोष की बात है तो केवल यह कि इंग्लैंड के बाकी मैदानों के मुक़ाबले नॉटिंघम में टीम इंडिया का रिकॉर्ड यहां ठीक-ठाक रहा है. भारत ने यहां खेले 6 टेस्ट मैचों में से एक जीता और 2 हारे हैं. बाकी 3 मैच भारत यहां ड्रॉ समाप्‍त हुए हैं. जहां 2014 में भारत ने यहां मैच ड्रॉ किया था वहीं 2007 में यहां जीत दर्ज कर सीरीज़ अपने नाम की थी.

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इस मैदान पर पेसर और स्पिनर के प्रदर्शन के बीच का अंतर देखें तो यह काफ़ी बड़ा रहा है. इस मैदान पर भारत और इंग्लैंड के बीच हुए 6 मैचों के दौरान जहां पेसर्स ने 149 विकेट झटके हैं तोस्पिनर्स ने महज़ 34 विकेट लिए हैं


नॉटिंघम में पेसर VS स्पिनर (भारत-इंग्लैंड टेस्ट)
1959: 18 पेसर, 10 स्पिनर
1996: 24 पेसर, 3 स्पिनर
2002: 23 पेसर, 5 स्पिनर
2007: 23 पेसर, 10 स्पिनर
2011:  37 पेसर, 2 स्पिनर
2014:  24 पेसर, 4 स्पिनर

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साफ़ है कि भारत के लिए तीसरे टेस्‍ट में भी वापसी आसान नहीं होने वाली. लॉर्ड्स टेस्ट में जिस तरह मौसम ने रंग बदला जिसका नुकसान टीम इंडिया को हुआ.उसके बाद दोनो ही टीमों की नज़र पिच के साथ-साथ मौसम के पूर्वानुमान पर भी होगी और संकेत भारतीय टीम के लिए अच्छे नहीं है. टेस्ट मैच के दौरान रुक-रुक कर बारिश होने और बादल छाए रहने का पूर्वानुमान है.इसका मतलब है तेज़ गेंदबाज़ी को मदद और स्विंग के लिए अनुकूल हालात, जिसके खिलाफ़ भारतीय बल्लेबाज़ों की तकनीक पूरी तरह से फ़्लॉप हुई है. अब इसके बाद फ़ोकस भारतीय बल्लेबाज़ों पर है, क्या वो इन विपरीत परिस्थितियों से पार पाकर , सीरीज़ के रोमांच को बरकरार रख सकेंगे.