
Shubman Gill: भारतीय बल्लेबाज शुभमन गिल (Shubman Gill) ने सोमवार को स्वीकार किया कि वह यहां इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे क्रिकेट टेस्ट की दूसरी पारी में जब बल्लेबाजी के लिए उतरे तो पिछली कुछ पारियों में बड़ा स्कोर बनाने में नाकाम रहने के कारण नर्वस थे. हैदराबाद में पहले टेस्ट और यहां पहली पारी में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद गिल ने दूसरी पारी में शतक जड़ते हुए 104 रन बनाए. भारत (India Win) ने दूसरा टेस्ट 106 रन से जीता. और यह कहना सही होगा कि शतक और टेस्ट में मिली जीत के बाद अब गिल ने बाकी के मैचों में भी अपनी जगह पक्की कर ली है. मैच से पहले हेड कोच राहुल द्रविड़ ने गिल को साफ-साफ वॉर्निंग दी थी, जिसके बारे में इस बल्लेबाज ने अपने परिजनों को भी सूचित कर दिया था. गिल ने मैच के बाद प्रसारणकर्ता से कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो मैं एक पंक्ति में सब कुछ बयां कर सकता हूं. पहली गेंद और आखिरी गेंद खेलते समय मेरे दिल की धड़कन समान थी. पूरी (दूसरी) पारी के दौरान मेरे दिल की धड़कन एक जैसी थी. इससे पता चलता है कि मैं कितना नर्वस महसूस कर रहा था.'
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उन्होंने कहा, ‘जब इंग्लैंड टीम बल्लेबाजी कर रही थी तो आज सुबह मैं (मुख्य कोच) राहुल (द्रविड़) सर के साथ यही बात कर रहा था कि यह (दिल की धड़कन) काफी अजीब थी. मैंने कभी इस तरह का अनुभव नहीं किया था.' गिल क्षेत्ररक्षण के दौरान अंगूठे में लगी चोट के कारण सोमवार को क्षेत्ररक्षण करने नहीं उतरे. गिल ने पहले टेस्ट की पहली पारी में 23 रन बनाए थे लेकिन दूसरी पारी में खाता भी नहीं खोल पाए. भारत ने यह मैच 28 रन से गंवाया था.
गिल ने कहा कि वह बाहरी दबाव से परेशान नहीं थे बल्कि स्वयं से उन्हें जो उम्मीदें हैं वह उनके दिमाग में थीं. बेशक पिछले कुछ मैचों में रन नहीं बनाया गया. सिर्फ बाहरी अपेक्षाएं ही नहीं बल्कि स्वयं से भी अपेक्षाएं होती हैं. उन्होंने कहा कि मैं यहां पहली पारी में और हैदराबाद में पहले टेस्ट में जिस तरह आउट हुआ उससे निराश था. उम्मीदों के बीच मैं स्वयं से निराश था, शायद यही (नर्वस होने का) कारण था. क्या सोशल मीडिया पर नकारात्मक बातें उनके दिमाग पर असर डालकर उन्हें नर्वस कर रहीं थीं, तो उन्होंने कहा कि यह उनके लिए मायने नहीं रखती.
उन्होंने कहा, ‘मैं समाचार पत्र नहीं पढ़ता, मैं सोशल मीडिया पर जाकर यह देखने का प्रयास नहीं करता कि लोग क्या कह रहे हैं. अगर आप अच्छा नहीं कर रहे तो उम्मीद नहीं करता कि कोई और मुझे कहे कि मैं अच्छा नहीं कर रहा. मुझे स्वयं पता है कि मैं अच्छा नहीं कर रहा. किसी भी अन्य चीज से अधिक यह मेरी निजी निराशा है.'
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