
क्रिकेट में प्रोफाइल को बड़े करने के मौके भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत मुश्किल से मिलते हैं. खासकर जब भारत की आती है, तो जिस तरह की कड़ी प्रतिस्पर्धा हो चली है, खिलाड़ियों को देश की जर्सी पहने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है. ऐसे में जब हाथ में आया मौका फिसल जाता है, तो जाहिर है कि तब मलाल ही हिस्से में आता है. और कुछ ऐसा ही टीम इंडिया के नए लेफ्टी बल्लेबाज अभिषेक शर्मा (Abhishek Sharma) के बारे में कहा जा सकता है. पहले मैच में रन आउट हुए तो गुरु युवराज ने कहा, " बेहतर परफॉर्म के लिए ब्रेन का सही इस्तेमाल करना होगा", शायद इसी में चूक गए अभिषेक. शुरुआती दोनों मैचों में नाकामी के बाद उम्मीद थी कि हैदराबाद में आखिरी मुकाबले में उनका चिर-परिचित अंदाज देखने को जरूर मिलेगा, जो इस साल उन्होंने हैदराबाद में दिखाया था, लेकिन सीरीज खत्म होते-होने उनके लिए सीरीज मौके को गंवाना साबित हुई.
आखिरी मैच में भी नाकाम
हैदराबाद की पिच रनों से भरपूर थी. और सनराइजर्स के लिए इस साल किए गए सुपर प्रदर्शन के बाद उनसे आतिशी पारी की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन तंजीम शाकिब की गेंद को पुल करने गए, तो टाइमिंग नहीं मिली. मिडविकेट पर मेहदी हसन ने शानदार कैच लपक लिया. मौका ही नहीं गवाया, बल्कि सीरीज पर पानी भी फेर दिया.
और गए आंकड़े पानी में!
यही कहना सही होगा अभिषेक के बारे में कि एक तरह उनसे सीरीज में बढ़िया आंकड़ों की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन इस पर उन्होंने पानी फेर दिया. तीन मैचों के बाद 11.66 के औसत से तीन मैचों की सीरीज में सिर्फ 35 रन ही बना सके अभिषेक. जरा सोचिए कि यह बांग्लादेश टीम थी, पिच आसान थी, गेंद बल्ले पर टनाटन आ रही थी, लेकिन अभिषेक शायद ब्रेन का सही इस्तेमाल नहीं कर सके.
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