
मार्च एक से मेहमान कंगारुओं के खिलाफ भारत गावस्कर-बॉर्डर ट्रॉफी के तहत खेली जा रही चार टेस्ट मैचों की सीरीज का तीसरा टेस्ट इंदौर में खेला जाएगा. मुकाबले को लेकर भारतीय XI लेकर चर्चा चल रही है, तो मुख्य केंद्र पिछले दोनों मैचों प्लॉप रहे और आलोचकों के सबसे ज्यादा निशाने पर चल रहे केएल राहुल (KL Rahul) पर हो चला है. पिछले साल की शुरुआत से केएल राहुल ने खेले छह टेस्ट मैचों में 15.90 का औसत निकाला है. उनका 2021 का साल बहुत ही शानदार रहा था, लेकिन साल 2019 में केएल राहुल ने 14 टेस्ट में 746 रन बनाए थे. कुल मिलाकर केएल राहुल ने 47 टेस्ट मैचों में 33.44 का औसत निकाला है. बतौर ओपरन केएल का औसत 34.94 का रहा है. वैसे यहां केएल राहुल के समर्थक बहस कर सकते हैं कि राहिल सहित बाकी ओपनरों ने 30.56 का औसत निकाला है. यह बताता है कि हालात ओपनरों के लिए बहुत ही मुश्किल रहे हैं. लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि रोहित शर्मा (55.10), होड़ से बाहर हो चुके शिखर धवन (38.45) और मुरली विजय (36.40) का प्रदर्शन भी बेहतर रहा है.
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केएल राहुल की आलोचना को लेकर दो बाकी पहलू भी हैं. केएल व्हाइट-बॉल फौरमेटों में भी फॉर्म खो चुके हैं, तो एक वर्ग का कहना है कि शुभमन गिल को ज्यादा मौके दिए जाने की जरूरत है. वहीं, मयंक अग्रवाल भी हैं, जो रणजी ट्रॉफी में 82.50 करे औसत से 990 रन बनाकर सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज रहे हैं. जाहिर है कि केएल राहुल तीसरे टेस्ट में दबाव में होंगे. लेकिन यहां सिर्फ केएल ही नहीं, बल्कि और भी दिग्गज हैं, जिन पर दबाव रहेगा.
दबाव में हैं पुजारा भी
साल 2019 तक पुजारा का औसत 49.48 रहा था. लेकिन गुजरे सालों में पुजारा के प्रदर्शन में गिरावट देखी गयी है. हैरानी की बात यह रही कि वह घर में इंग्लैंड के खिलाफ खेली गयी सीरीज के साथ ही वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में भी प्लॉप रहे. लेकिन इससे पहले इंग्लैंड के दो पार्ट के दौरे में पुजारा का प्रदर्शन थोड़ा बेहतर रहा था. दौरे के पहले हिस्से में पुजारा ने पहली पांच टेस्ट पारियों में 6.20 का औसत निकाला, तो दूसरी पारियों में उनका औसत 68.75 की रहा. इसके बाद घर में न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो साधारण सीरीज के बाद पुजार और रहाणे दोनों को टीम से ड्रॉप कर दिया गया. इसके बाद काउंटी क्रिकेट में प्रदर्शन के दम पर पुजारा वापसी करने में सफल रहे. बांग्लादेश दौरे में उन्होंने पहली पारी में 90 तो दूसरी पारी में अपने टेस्ट करियर का सबसे तेज शतक बनाया. लेकिन उसके बाद से पुजारा का स्कोर 26, 6, 7, 0 रहा है. इसके बाद दिल्ली में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ नाबाद 31 रन की पारी खेली. साल 2020 से पुजारा का औसत 29.81 का रहा है. सेलेक्टर पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वे उन्हें ड्रॉप करने में हिचकिचाएंग नहीं. 35 साल के पुजारा पर भी अच्छी पारी खेलने का दबाव है, नियमितता लाने का दबाब है क्योंकि यहां से नाकामी उनकी मुश्किलें बढ़ाएंगी ही बढ़ाएंगी.
कोहली को भी हटाना होगा दबाव
अगर दुनिया के बल्लेबाजों के आखिरी 900 टेस्ट रन को पैमाना बनाया जाए, तो साल 2020 के बाद से विराट कोहली का औसत (26.13) सबसे बदतर रहा है. और अगर पैमाना 800 रनों का कर दिया जाए, तो वह रहाणे (24.08) के बाद दूसरे नंबर पर आते हैं. साल 2019 के बाद कोहली को अभी भी शतक बनाना है. हालिया सालों में उनका कुल औसत 54.97 से फिसलकर 48.49 का हो गया है. जाहिर है कि कोहली को इस दबाव को जल्द दूर करना होगा.
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