Ind vs Aus 2nd ODI: केएल राहुल ने फिंच को स्टंप किया, तो तेजी से हर कोई हैरान रह गया
खास बातें
- केएल राहुल की इस स्टंपिंग के क्या कहने !!
- ...पर अंपायर के फैसले पर उठ रहे सवाल
- सोशल मीडिया पर प्रशंसकों की टिप्पणी
राजकोट: राजकोट में शुक्रवार को खेले गए दूसरे डे-नाइट वनडे मुकाबले (Ind vs Aus 2nd ODI) में भारत की जीत में केएल राहुल (KL Rahul) ने सभी का दिल जीत लिया. इस मैच के बाद यह कहें कि पूरे क्रिकेट जगत को एक नए केएल राहुल के दर्शन हुए, तो एक बार को यह गलत नहीं ही होगा ! न केवल केएल राहुल (KL Rahul) ने पांचवे नंबर पर 52 गेंदों पर 80 रन बनाकर अपने कप्तान को नया विकल्प दिया, बल्कि विकेट के पीछे उनके बेहतरीन प्रदर्शन ने क्रिकेटप्रेमियों को 'वाह राहुल, वाह-वाह राहुल' कहने पर मजबूर कर दिया, लेकिन केएल राहुल (KL Rahul) की एरॉन फिंच (Aaron Finch) की शानदार स्टंपिंग की तारीफ के साथ-साथ अंपायर के फैसले पर भी सवाल उठ रहे हैं. और तकनीक एक बार फिर से सवालों के घेरे में है.
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एरॉन फिंच रवींद्र जडेजा के 16वें ओवर ओवर की पहली ही गेंंद पर हवाई शॉट खेलने गए, लेकिन जैसे ही वह चूके, वैसे ही केएल राहुल ने बिजली की गति से उन्हें स्टंप कर दिया, लेकिन उनका पैर हवा में नहीं ही उठा. यहां पर अहम बात यह थी कि क्या फिंच का पैर लाइन से पीछे था या नहीं, और यह कम से कम कैमरे से तो साफ नहीं ही हो पाया.यही वजह रही कि दिग्गज पत्रकारों सहित खेलप्रेमियों ने भी एरॉन फिंच के समर्थन में अपनी राय दी.
केएल राहुल ने जब पारी के 16वें ओवर में रवीद्र जडेजा की गेंद पर कंगारू कप्तान एरॉन फिंच को स्टंप आउट किया, तो उनकी स्टपिंग करने की गति ने सभी को चौंका दिया. सोशल मीडिया पर तो प्रशंसकों ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया कि केएल राहुल ने ऋषभ पंत की छुट्टी कर दी !
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बहरहाल, केएल राहुल की इस स्टंपिंग ने भारत को विकेट तो दिला दिया, लेकिन यह एक बार फिर से विवाद को जन्म दे गई. वजह यह रही कि टीवी स्क्रीन पर कम से कम आम क्रिकेटप्रेमी तो यह तय नहीं कर सके कि फिंच आउट थे या नहीं.
लेकिन थर्ड अंपायर ने फिंच को आउट देने के लिए अच्छा खासा समय लिया. अलग-अलग एंगल से देखने के बाद अंपायर ने अपना फैसला दिया, लेकिन ये एंगल कैमरे से स्पष्ट नहीं हुए. एक बड़े वर्ग का यह मानना रहा है कि एरॉन फिंच नॉटआउट थे और इस संदेह का लाभ उन्हें मिलना चाहिए था.
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यह पहला मौका नहीं है, जब तकनीक सवालों के घेरे में आयी है. पहले भी कई मौके ऐसे आए हैं, जब तकनीक और थर्ड अंपायर के फैसलों पर बवाल मचा है, लेकिन बात यह है कि आईसीसी इन सावलों के जवाब देती दिखाई नहीं पड़ती. और अधर में रह जाता है न्याय. और पीड़ित खिलाड़ी को नहीं मिल पाता इंसाफ. करोड़ों रुपये तकनीक पर बहाने के बावजूद!