
बीसीसीआई के मौजूदा सचिव जय शाह आईसीसी चेयरमैन बनने की दौड़ में सबसे आगे हैं. आईसीस के मौजूदा चेयरमैन ग्रेग बार्कले जिनके पास दो साल के एक और टर्म के लिए मौका है, उन्होंने अगला चुनाव लड़ने के इंकार कर दिया है. ऐसे में जय शाह, जिनको लेकर दावा है कि उनके पास 16 में से 15 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, उनकी जगह लेने के लिए रेस में सबसे आगे हैं. रिपोर्ट्स की मानें तो जय शाह अगर आईसीसी चेयरमैन का चुनाव लड़ते हैं तो यह महज औपचारिकता होगी. आईसीसी चेयरमैन के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 27 अगस्त है और नए चेयरमैन 1 दिसंबर से कार्यभार संभालेंगे.
अगर जय शाह, आईसीसी चेयरमैन बनते हैं तो वह महज 35 साल की उम्र में, सबसे कम उम्र के आईसीसी प्रमुख होंगे. बता दें, जय शाह से पहले जगमोहन डालमिया, शरद पवार, एन. श्रीनिवासन और शशांक मनोहर, ऐसे भारतीय रहे हैं, जो आईसीस प्रमुख रह चुके हैं और जय शाह इस लिस्ट में एक और भारतीय होंगे. हालांकि, भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व दिग्गज सुनील गावस्कर ने जय शाह का बचाव करते हुए 'ओल्ड पॉवर्स' (इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया जैसे पुराने बोर्ड) पर निशाना साधा है. दरअसल, ग्रेग बार्कले द्वारा यह ऐलान करने के बाद की वह तीसरे टर्म का चुनाव नहीं लड़ेंगे, इसके बाद इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के मीडिया हल्कों में इस तरह की खबरें थी कि जय शाह ने ग्रेग बार्कले को इस फैसले के लिए मजबूर किया है.
सुनील गावस्कर ने स्पोर्टस्टार में अपने कॉलम में लिखा,"पूरी संभावना है कि जय शाह अगले आईसीसी अध्यक्ष होंगे. जैसा कि उन्होंने भारतीय क्रिकेट के लिए किया है, पुरुष और महिला दोनों, दुनिया भर के खिलाड़ियों को फायदा होगा. जब ग्रेग बार्कले ने तीसरे कार्यकाल के लिए नहीं जाने के अपने फैसले की घोषणा की, जिसका वह हकदार थे, ओल्ड पॉवर्स के मीडिया में ऐसी खबरें थीं कि बार्कले का निर्णय शाह द्वारा मजबूर किया गया था."
सुनील गावस्कर ने अपने कॉलम में आगे लिखा,"जब उनसे इस बारे में सवाल किया गया कि ओल्ड पॉवर्स के प्रतिनिधि क्या कर रहे हैं, तो उन्हें अचानक यह ख्याल आया कि यदि वास्तव में बार्कले को तीसरा कार्यकाल नहीं लेने के लिए मजबूर किया गया था, तो आईसीसी में उनके अपने प्रतिनिधि बैठक में क्या कर रहे थे? उनके आपत्ति के स्वर कहां थे? और यदि कोई नहीं था, तो वे भी उतने ही दोषी थे, जिस पर वे अनावश्यक रूप से उंगली उठा रहे थे. इसे 'टॉल पॉपी सिंड्रोम' (किसी व्यक्ति की सफलता के कारण उसकी आलोचना करना) कहा जाता है और साथ ही यह एहसास भी कि वे अब अंतरराष्ट्रीय खेल नहीं चलाते हैं."
गावस्कर ने आगे लिखा,"पिछले कुछ सालों में भारतीय क्रिकेट ने जिस तरह से आकार लिया है वह बीसीसीआई और उसके प्रशासन को भी एक ट्रिब्यूट है. महिला और पुरुष दोनों टीमें जिस तरह का क्रिकेट खेल रही हैं, वह भारत में इस खेल के फलने-फूलने का एक और बड़ा कारण है. यदि टीम जीत नहीं रही होती तो प्रायोजक दूर रहते. खिलाड़ियों और प्रशासकों दोनों का शानदार टीम वर्क बताता है कि भारतीय क्रिकेट इतनी अच्छी स्थिति में क्यों है. ऐसा सदैव बना रहे."
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