पुजारा को भी यार्कशायर काउंटी में झेलना पड़ा नस्लवाद, इस नाम से पुकारा जाता था, अब हुआ खुलासा

यार्कशायर काउंटी के ही पूर्व कर्मचारियों ने कहा चेतेश्वर पुजारा को भी एशियाई होने और चमड़ी के रंग के  कारण इस दिग्गज भारतीय बल्लेबाज को यह सब सहना पड़ा. बहरहाल, यहां थोड़ा चौंकाने वाली बात यह है कि यार्कशायर के लिए खेलने वाले चेतेश्वर पुजारा ने कभी भी इस बात का जिक्र नहीं किया

पुजारा को भी यार्कशायर काउंटी में झेलना पड़ा नस्लवाद, इस नाम से पुकारा जाता था, अब हुआ खुलासा

चेतेश्वर पुजारा का इस अहम मुद्दे को छिपाकर रखना हैरानी भरा है

खास बातें

  • यार्कशायर पर काउंटी क्रिकेटर अजीम रफीक ने लगाए नस्लवाद के आरोप
  • पूर्व अंतरराष्टरीय क्रिकेटरों ने किया समर्थन
  • काउंटी के पूर्व स्टॉफ ने किया पुजारा के नाम का खुलासा
लीड्स:

नस्लवाद के आरोपों से घिरी यॉर्कशायर काउंटी के खिलाफ क्रिकेटर अजीम रफीक के दावों का समर्थन करते हुए उसके पूर्व कर्मचारियों ने भारत के स्टार टेस्ट बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा को लेकर भी खुलासा किया है. यार्कशायर काउंटी के ही पूर्व कर्मचारियों ने कहा चेतेश्वर पुजारा को भी एशियाई होने और चमड़ी के रंग के  कारण इस दिग्गज भारतीय बल्लेबाज को यह सब सहना पड़ा. बहरहाल, यहां थोड़ा चौंकाने वाली बात यह है कि यार्कशायर के लिए खेलने वाले चेतेश्वर पुजारा ने कभी भी इस बात का जिक्र नहीं किया और अब जब अजीम रफीक ने आरोप काउंटी पर लगाए हैं, तो उसी के पूर्व स्टॉफ ने इस बात का खुलासा किया है. वेस्टइंडीज के पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी टीनो बेस्ट और पाकिस्तान के राणा नावेद उल हसन ने रफीक के आरोपों के समर्थन में सबूत पेश किये हैं. उनके आरोपों की जांच चल रही है.

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एक वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार यॉर्कशायर के दो पूर्व कर्मचारियों ताज बट और टोनी बाउरी ने क्लब में संस्थागत नस्लवाद के खिलाफ सबूत दिये हैं. यॉर्कशायर क्रिकेट फाउंडेशन के साथ सामुदायिक विकास अधिकारी के तौर पर काम कर चुके बट ने कहा ,‘एशियाई समुदाय का जिक्र करते समय बार-बार टैक्सी चालकों और रेस्तरां में काम करने वालों का हवाला दिया जाता था.' उन्होंने कहा ,‘एशियाई मूल के हर व्यक्ति को वे ‘स्टीव' बुलाते थे. भारतीय बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा को भी "स्टीव" कहा जाता था क्योंकि वे उनके नाम का उच्चारण नहीं कर पाते थे.' वैसे  पुजारा को इस मामले की  सूचना बीसीसीआई को जरूर देनी चाहिए थि जिससे भविष्य में कभी किसी भारतीय खिलाड़ी के साथ ऐसा बर्ताव न हो सके. 


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वैसे बट की बात करें, तो उन्होंने छह महीने के भीतर ही इस्तीफा दे दिया था. बाउरी 1996 तक कोच के रूप में काम करते रहे और 1996 से 2011 तक यॉर्कशार क्रिकेट बोर्ड में सांस्कृतिक विविधता अधिकारी रहे.. बाद में उन्हें अश्वेत समुदायों में खेल के विकास के लिये क्रिकेट विकास प्रबंधक बना दिया गया. उन्होंने कहा,‘कई युवाओं को ड्रेसिंग रूम के माहौल में सामंजस्य बिठाने में दिक्कत हुई क्योंकि उन पर नस्लवादी टिप्पणियां की जाती थी. इसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ा और उन पर परेशानियां खड़ी करनी के आरोप लगाये गए.' दो साल पहले यॉर्कशार काउंटी छोड़ने वाले रफीक ने तो यहां तक कहा कि इस कड़वे अनुभव से तंग आकर उन्होंने आत्महत्या तक करने की सोच ली थी.
 

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