
इंग्लैंड के खिलाफ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज में विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम इंडिया 0-1 से पिछड़ रही है. बर्मिंघम में खेले गए पहले टेस्ट मैच में भारतीय बल्लेबाजों (विराट कोहली को छोड़कर) की नाकामी के कारण टीम को हार का सामना करना पड़ा. सीरीज का दूसरा टेस्ट 9 अगस्त से ऐतिहासिक लॉर्ड्स मैदान पर खेला जाएगा. भारतीय क्रिकेटप्रेमियों को उम्मीद है कि लॉर्ड्स मैदान पर शानदार प्रदर्शन करते हुए विराट की टीम न केवल पलटवार करेगी बल्कि सीरीज भी बराबर करने में सफल रहेगी. वैसे भी बल्लेबाजी के लिहाज से लॉर्ड्स मैदान भारत के लिए अच्छा रहा है. भारत के एक क्रिकेटर (मौजूदा टीम का क्रिकेटर नहीं) के नाम पर तो क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स मैदान पर लगातार तीन टेस्ट में शतक बनाने का रिकॉर्ड दर्ज है. यह बल्लेबाज हैं दिलीप बलवंत वेंगसरकर, जो वर्ष 1976 से 1992 तक भारत के लिए क्रिकेट खेले. 62 वर्षीय वेंगसरकर भारतीय टीम के कप्तान और बाद में चयन समिति के अध्यक्ष भी रहे.मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को यदि 'क्रिकेट का भगवान' कहा जाता था तो वेंगसरकर को 'लॉर्ड्स मैदान का भगवान' माना जा सकता है.
विराट कोहली को टीम इंडिया में नहीं लेना चाहते थे धोनी-कर्स्टन : दिलीप वेंगसरकर
1956 में महाराष्ट्र के राजापुर में जन्मे वेंगसरकर को कवर ड्राइव का मास्टर माना जाता था. वे इतनी खूबी से कवर ड्राइव लगाते थे कि फील्डर्स को कोई मौका दिए बगैर गेंद बाउंड्री के पार नजर आती थी. 70 और 80 के दशक में सुनील गावस्कर, गुंडप्पा विश्वास के साथ वेंगसरकर को भी भारतीय बल्लेबाजी का स्तंभ माना जाता था. कर्नल के नाम से लोकप्रिय वेंगसरकर ने 116 टेस्ट और 129 वनडे मैचों में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व किया. टेस्ट क्रिकेट में 42.13 के औसत उन्होंने 6868 रन (17 शतक और 35 अर्धशतक) बनाए. लॉर्ड्स मैदान तो दाएं हाथ के आक्रामक बल्लेबाज वेंगसरकर का पसंदीदा था. यहां खेलना उन्हें इस कदर रास आता था कि उनके बल्ले से रनों का झरना बह निकलता था. लॉर्ड्स मैदान पर वर्ष 1979 में वेंगसरकर ने 0 और 103, वर्ष 1982 में 2 और 157 तथा वर्ष 1986 में नाबाद 126 और 33 रन की पारी खेली. इस ऐतिहासिक ग्राउंड पर चार टेस्ट खेलते हुए उन्होंने 72.57 के औसत से 508 रन बनाए. आखिरी बार वेंगसरकर 1990 में लॉर्ड्स मैदान में खेले. इस टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने 52 व दूसरी पारी में 35 रन बनाए. लॉर्ड्स पर लगातार तीन टेस्ट शतक जमाने की खास उपलब्धि के कारण उन्हें 'लॉर्ड ऑफ लॉर्ड्स' भी कहा जाता था. वेंगसरकर ने अपना आखिरी टेस्ट मैच वर्ष 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में खेला था.
वीडियो: मैडम तुसाद म्यूजियम में विराट कोहली
लार्ड्स मैदान की बात करें तो भारतीय टीम ने वर्ष 1986 में कपिल देव की कप्तानी में यहां इंग्लैंड को 5 विकेट से और वर्ष 2014 में महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में यहां 95 रन से जीत हासिल की थी. टीम इंडिया इस मैदान पर अब तक 17 टेस्ट खेल चुकी है, इसमें से 2 में उसे जीत हासिल हुई है जबकि चार टेस्ट ड्रॉ रहे हैं. इस मैदान पर टीम को 11 टेस्ट में इंग्लैंड के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा है. भारतीय टीम को यदि लॉर्ड्स में जीत हासिल करनी है तो गेंदबाजों के साथ बल्लेबाजों को भी अच्छा प्रदर्शन करना होगा.बर्मिंघम के पहले टेस्ट में भारतीय गेंदबाज तो अपेक्षाओं पर खरे उतरे लेकिन विराट को छोड़कर अन्य बल्लेबाजों ने अपने प्रदर्शन से निराश किया. लार्ड्स मैदान पर इंग्लैंड के खिलाफ जीत हासिल करने के लिए भारतीय बल्लेबाजों को भी रंग दिखाना होगा. इस मामले में दिलीप वेंगसरकर का इस मैदान पर करिश्माई प्रदर्शन उनके लिए प्रेरणा देने का काम कर सकता है...
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