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Champions Trophy: जब भारत को दो बार करनी पड़ी थी गेंदबाजी, सिर्फ 10.4 ओवर की बल्लेबाजी, ICC के इस नियम के चलते टूटा था सपना

Champions Trophy 2002: 2002 में हुए चैंपियंस ट्रॉफी के तीसरे संस्करण का फाइनल भारत और श्रीलंका के बीच खेला गया था. दो दिनों तक, कुल 110.2 ओवर फेंके गए और फिर भी कोई एक टीम खिताब नहीं जीत पाई.

Champions Trophy: जब भारत को दो बार करनी पड़ी थी गेंदबाजी, सिर्फ 10.4 ओवर की बल्लेबाजी, ICC के इस नियम के चलते टूटा था सपना
Champions Trophy 2002: भारत और श्रीलंका के बीच 2002 में हुआ चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल कई मायनों में खास था

भारत और श्रीलंका के बीच 2002 में हुआ चैंपियंस ट्रॉफी फाइनल कई मायनों में खास था और दिल तोड़ने वाला भी. 2002 में हुए चैंपियंस ट्रॉफी के तीसरे संस्करण का फाइनल भारत और श्रीलंका के बीच खेला गया था. दो दिनों तक, कुल 110.2 ओवर फेंके गए और फिर भी कोई एक टीम खिताब नहीं जीत पाई. आखिर में भारत और श्रीलंका को संयुक्त विजेता घोषित किया गया. यह सब आईसीसी के एक अजीब नियम के चलते हुए जिसके बाद  रिजर्व डे को लेकर एक नई शुरुआत की जरुरत भी पड़ी.

पहले तीन वर्ल्ड कप 60 ओवरों के हुए थे. इस दौरान लंच और टी ब्रेक भी लिए जाते थे. ऐसे में एक दिन में मैच का परिणाम आने की कोई संभावना नहीं थी. ऐसे ही एक मैच का सबसे अहम उदाहरण भारत और श्रीलंका के बीच मेनचेस्टर 1979 में हुआ मुकाबला शामिल है, जब मैच देर से शुरू हुआ था और श्रीलंका ने 60 ओवरों में 238 रन बनाए थे. इसके बाद पहले दिन का खेल रोका दिया गया. भारत ने अगले दिन लक्ष्य का पीछा शुरू किया था. इस मैच के लिए रिजर्व डे रखा गया था. लेकिन इसके कुछ सालों बाद आयोजकर्ताओं ने एक नया नियम बनाया.

आईसीसी का नया नियम बड़ा ही अजीब था. अगर किसी दिन किसी मैच का रिजल्ट नहीं आ पाता और उस मैच के लिए रिजर्व डे रखा जाता था, तो वो मैच रिजर्व-डे के दिन फिर से शुरू होता, लेकिन शून्य ये. यानि पहले दिन जो भी खेल हुआ, उसका कोई मोल नहीं था. साल 1996 विश्व कप में जिम्बाब्वे-केन्या मैच 15.5 ओवर के बाद रद्द करना पड़ा. उसे अगले दिन फिर से शुरू किया गया था.  

चैंपियंस ट्रॉफी की शुरुआत क्रिकेट के विस्तार को ध्यान में रखकर की गई थी. इसका पहला संस्करण बांग्लादेश में हुआ था, तब बांग्लादेश एक एसोसिएट नेशन था और दूसरे संस्करण का आयोजन केन्या में हुआ. 2002 का आयोजन, पहली बार कोई फुल मेंबर नेशन कर रहा था. इसके अलावा पुराने नॉक-आउट नियमों को भी खत्म कर दिया गया था. सभी चारों ग्रुप से टीमों को अपने मैच जीतने थे, ताकि टीमें सेमीफाइनल के लिए क्वालीफाई करें. साल 2002 का चैंपियंस ट्रॉफी का यह संस्करण इस मायने में भी खास था, क्योंकि इसमें आईसीसी ने पहली बार डीआरएस का इस्तेमाल किया था.

भारतीय टीम की कप्तानी 2002 चैंपियंस ट्रॉफी में सौरव गांगुली कर रहे थे. टीम कई उतार चढ़ाव भरे दौर से गुजर रही थी. हालांकि, भारत ने शानदार प्रदर्शन किया था और वो सेमीफाइनल में दक्षिण अफ्रीका को हराकर फाइनल में पहुंची थी. जबकि श्रीलंका ने दूसरी तरफ सेमीफाइनल में रिकी पोंटिंग की ऑस्ट्रेलियाई टीम को हराया था.

उस समय की दो अहम टीमें सेमीफाइनल में हारकर बाहर हो गईं थी और श्रीलंका और भारत, पहली बार आईसीसी चैंपियनशिप जीतने का सपना देख रहे थे. फैंस और खिलाड़ी हालांकि, मौसम को लेकर चिंतित थे, क्योंकि मौसम का पूर्वानुमान अच्छा नहीं था.

29 सितंबर को प्रेमदासा स्टेडियम में फाइनल में, श्रीलंका ने 244 रन बनाए और भारत ने बारिश आने से पहले बिना किसी नुकसान के 14 रन बनाए. पहले दिन भारत के लिए हरभजन सिंह ने शानदार प्रदर्शन किया और 10 ओवरों में 27 रन देकर 3 विकेट लिए, जबकि वीरेंद्र सहवाग ने अपने कोटे के ओवरों में केवल 32 रन खर्चे. श्रीलंका को सनथ जयसूर्या और कुमार संगाकारा ने अच्छी शुरुआत दिलाई थी और टीम एक समय 155-1 थी, लेकिन आखिर में श्रीलंका 244-5 पर ही बना पाई. इसके बाद भारत के लिए वीरेंद्र सहवाग ने पांच गेंदों पर तीन चौके जड़े. दो ओवर के बाद भारत का स्कोर 14/0 था. लेकिन इसके बाद बारिश आई और खेल रोकना पड़ा.

रिजर्व डे पर इसके बाद फिर खेल शुरू हुआ. लेकिन इस बार फिर नए सिरे से हुआ. जयसूर्या ने एक बार फिर बल्लेबाजी का फैसला लिया. श्रीलंका की शुरुआत खराब रही थी और जहीर खान ने मैच की पहली ही गेंद पर जयसूर्या को बोल्ड किया था. इसके बाद अगरकर ने मार्वन अटापट्टू को पवेलियन भेजा. 13.1 ओवर पर अरविंदा डी सिल्वा को भी लौटना पड़ा क्योंकि कुंबले ने उन्हें कैफ के हाथों कैच आउट करवाया था. लेकिन इसके बाद महेला जयवर्धने और रसेल अर्नोल्ड ने श्रीलंकाई पारी को संभाला.

महेला जयवर्धने की 77 और रसेल अर्नोल्ड की 56 रनों की पारी के दम पर श्रीलंका ने 50 ओवरों में 7 विकेट के नुकसान पर 222 रन बनाए थे. भारत के लिए जहीर खान ने 9 ओवर में 44 रन देते हुए 3 विकेट झटके थे. वहीं सहवाग ने 8 ओवर में 31 और सचिन ने 8 ओवर में 36 रन दिए थे. इसके जवाब में भारत ने 8.4 ओवर में 1 विकेट के नुकसान पर 38 रन बनाए. लेकिन फिर बारिश आई और आखिर में मैच को रद्द करना पड़ा और भारत और श्रीलंका को संयुक्त रूप से विजेता घोषित किया गया.

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