खिताब जीतने के बाद विदर्भ के खिलाड़ियों ने पंडित को कंधो पर उठा लिया
खास बातें
- पिछले लगातार चार साल में टीम को फाइनल में पहुंचाया, तीन खिताब दिलाए
- दो बार लगातार मुंबई चैंपियन..दो बार विदर्भ को खिताब
- मुंबई को 2003 व 04 में भी पहले दिला चुके हैं लगातार दो खिताब
नई दिल्ली: पिछले दिनों विदर्भ ने अपने से मजबूत समझे जाने वाली टीम सौराष्ट्र को हराकर लगातार दूसरे साल रणजी ट्रॉफी चैंपियन (#Vidarbha) बनने का गौरव हासिल किया. इस कारनामे के बाद लगातार विदर्भ की चर्चा है, तो टीम के कोच और पूर्व भारतीय क्रिकेटर चंद्रकांत पंडित (#ChandrakantPandit) भी क्रिकेट सर्किल में चर्चा का विषय बने हुए हैं. वजह यह तो है कि उन्होंने अपने 'तौर-तरीकों' से विदर्भ को लगातार दूसरे साल रणजी ट्रॉफी (#RanjiTrophyFinal ) का खिताब जिताया, बल्कि कारण यह है कि अपनी कोचिंग में चंद्रकांत पंडित का यह पिछले लगातार चार फाइनल में तीसरा रणजी ट्रॉफी खिताब (Vidarbha Wins Ranji Trophy Title) रहा. इससे पहले उनकी कोचिंग में मुंबई 2015-16 में रणजी खिताब जीता था, लेकिन 2016-17 में मुंबई खिताब से चूक गया था. वैसे इससे पहल पंडित अपनी कोचिंग में मुंबई को साल 2003 व 2004 में लगातार दो साल रणजी ट्रॉफी चैंपियन बना चुके थे.
बहरहाल, साल 1987 विश्व कप में भारतीय टीम का हिस्सा रहे चंद्रकांत पंडित इस शानदार रिकॉर्ड के चलते करोड़ों भारतीय क्रिकेटप्रेमियों के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. क्रिकेटप्रेमी आपस में बात और चर्चा कर रहे हैं कि इतने बेहतरीन कोच होने के बावजूद बीसीसीआई उन्हें टीम इंडिया के साथ क्यों नहीं जोड़ रहा. वैसे बात तो सही है कि जो शख्स राज्यों को चार या पांच रणजी ट्रॉफी खिताब जिता चुका हो, उसे भला टीम इंडिया या विदेशी टीम का कोच क्यों नहीं बनना चाहिए.
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वैसे क्रिकेटप्रेमी और इनमें भी ज्यादार क्रिकेटर और पंडित के नजदीकी लोगों का मानना है कि अगर पंडित भारत ए या बीसीसीआई के कोचिंग स्टॉफ तक नहीं पहुंच सके, तो उसके पीछे है पंडित के प्रसिद्ध तौर-तरीके. चलिए हम आपको चंद्रकांत पंडित के उन कोचिंग तरीकों के बारे में बताते हैं, जो उन्होंने पिछले दो साल विदर्भ को चैंपियन बनाने के लिए या दौरान अपनाए. नजर दौड़ा लीजिए.
- पंडित ने फूड, फिटनेस, ट्रैवल, इंटरटेनमेंट सहित कई कमेटियां बनाईं. और अलग-अलग खिलाड़ी को इसका कप्तान बनाया
- कप्तान फैज फजल और फिजियो को स्थायी तौर पर फूड कमेटी की जिम्मेदारी दी
-खिलाड़ियों के खान-पान पर बहुत ही बारीकी नजर रखते हैं पंडित
-पंडित अनुशासन और गैरपारंपरिक तरीकों पर बहुत ही ज्यादा जोर देते हैं.
-ट्रेनिंग के दौरान ड्रेस कोट पर सख्ती से जोर
-नेट प्रैक्टिस के दौरान नो-बॉल पर पांच सौ रुपये जुर्माना. अगर नो-बॉल पर विकेट मिला, तो खिलाड़ी पर हजार रुपये जुर्माना
- कई मौके ऐसे आए, जब उन्होंने विदर्भ के खिलाड़ियों को थप्पड़ तक रसीद कर दिया.
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इन तौर तरीकों को पढ़कर यह अच्छी समझ सकता है और अनुमान लगा सकता है कि आखिरकार पंडित भारत ए या टीम इंडिया के कोचिंग स्टॉफ तक क्यों नहीं पहुंच सके. साफ है, इन तौर-तरीकों को टीम इंडिया पर तो लागू नहीं ही किया जा सकता. कुछ तरीके अनिल कुंबले ने लागू करने की कोशिश की थी, तो परिणाम आपके सामने है.