
BCCI 'Family Diktat: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी सीरीज में टीम इंडिया को 1-3 से मिली हार के बाद 10 प्वाइंट के दिशानिर्देश तय किए थे. इनमें बोर्ड ने खिलाड़ियों को परिवार को साथ रखने को लेकर नियम भी सख्त किए. लेकिन कई दिग्गजों ने इस नियम को लेकर सवाल उठाए. हाल ही में विराट कोहली ने भी खुलकर इस मुद्दे पर अपनी राख रखी थी और बीसीसीआई के इस नियम की आलोचना की थी. वहीं अब खबर है कि बीसीसीआई इस नियम को लेकर यू-टर्न ले सकता है.
बीसीसीआई ले सकती है यू-टर्न
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि अगर खिलाड़ी चाहते हैं कि दौरे पर उनके परिवार और करीबी लोग लंबे समय तक उनके साथ रहें तो बीसीसीआई परिवार को लेकर अपने नियम में बदलाव कर सकता है. बोर्ड खिलाड़ी और सहयोगी स्टाफ को तय नियम से अधिक समय तक परिवार के सदस्यों को साथ रहने की अनुमति दे सकता है, बशर्ते खिलाड़ी बोर्ड से पूर्व अनुमति प्राप्त कर लें.
बीसीसीआई का यह यू-टर्न स्टार बल्लेबाज विराट कोहली द्वारा दौरों पर खिलाड़ियों के परिवारों की मौजूदगी का समर्थन करते हुए कहा कि वह अपने होटल के कमरे में अकेले उदास रहने के बजाय मैदान पर मुश्किल और तनावपूर्ण दिनों से निपटने के लिए हमेशा अपने पास व्यक्तिगत समर्थन रखना पसंद करेंगे.
बीसीसीआई के एक शीर्ष सूत्र ने कहा,"अगर खिलाड़ी चाहते हैं कि उनके परिवार दौरे पर लंबे समय तक रुकें तो वे अनुमति के लिए आवेदन कर सकते हैं. बीसीसीआई जो उचित समझेगा, वह निर्णय लेगा."
बीसीसीआई ने बदले थे नियम
भारत को ऑस्ट्रेलिया से टेस्ट सीरीज में मिली 1-3 की हार के बाद द्वारा जारी निर्देश में 45 दिन से अधिक के दौरे पर खिलाड़ियों के परिवार के साथ समय बिताने की सीमा 14 दिन तक सीमित कर दी थी. इसके अनुसार खिलाड़ियों की पत्नी, बच्चे या महिला मित्र छोटे दौरों पर अधिकतम एक हफ्ते तक उनके साथ रह सकते हैं. हाल में खत्म हुई चैंपियंस ट्रॉफी के दौरान कोहली, रविंद्र जडेजा और मोहम्मद शमी के परिवार दुबई में थे लेकिन वे टीम होटल में नहीं रुके और परिवारों के ठहरने का खर्च खिलाड़ियों ने उठाया, बीसीसीआई ने नहीं.
कोहली ने उठाए थे सवाल
कोहली ने शनिवार को आरसीबी के 'इनोवेशन लैब' सम्मेलन के दौरान कहा,"लोगों को परिवार की भूमिका समझाना बहुत मुश्किल है. हर बार जब आप किसी तनावपूर्ण स्थिति में होते तो अपने परिवार के पास वापस आना कितना महत्वपूर्ण होता है. मुझे नहीं लगता कि लोगों को इसकी अहमियत की समझ है."
कोहली ने कहा कि परिवार के साथ होने से खिलाड़ी को मैदान पर मिली निराशा से जल्दी उबरने में मदद मिलती है. उन्होंने कहा,"मैं अपने कमरे में जाकर अकेले बैठकर उदास नहीं रहना चाहता. मैं सामान्य होना चाहता हूं. तभी आप अपने खेल को एक जिम्मेदारी के रूप में ले सकते हैं." कोहली ने कहा,"आप बाहर की अपनी प्रतिबद्धता पूरी करते हैं और फिर आप अपने घर वापस आते हैं, आप परिवार के साथ होते हैं और आपके घर में माहौल बिलकुल सामान्य होता होती है और सामान्य पारिवारिक जीवन चलता रहता है."
इस 36 साल के खिलाड़ी ने कह,"मुझे इससे बहुत निराशा हुई क्योंकि जिनका इस मामले में कोई लेना देना नहीं था, उन्हें भी चर्चा में शामिल किया गया जिन्होंने कहा, 'ओह, शायद खिलाड़ियों को परिवार से दूर रखा जाना चाहिए'." उन्होंने कहा,"और अगर आप किसी खिलाड़ी से पूछें कि क्या आप चाहते हैं कि आपका परिवार हर समय आपके आस-पास रहे? तो वे 'हां' ही कहेंगे."
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